बेंगलुरु: पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा (HD Deve Gowda) ने कहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों के बीच कावेरी जल विवाद में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है (Cauvery Water Dispute). उन्होंने कहा कि कावेरी जल छोड़ने के फैसले के लिए वह सुप्रीम कोर्ट को दोषी नहीं ठहराते, बल्कि राज्य सरकार की विफलता को जिम्मेदार ठहराते हैं.
आज शेषाद्रिपुरम स्थित पार्टी कार्यालय जेपी भवन में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 'हमने प्रधानमंत्री के संज्ञान में जो तथ्य लाए हैं, उसके आधार पर केंद्र सरकार के जलशक्ति विभाग की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जानी चाहिए. क्या सभी जलाशयों का निरीक्षण करने और पानी छोड़ने के लिए प्राप्त जानकारी के आधार पर विशेषज्ञों की एक निष्पक्ष समिति भेजना संभव है?'
उन्होंने कहा कि फसल की स्थिति क्या है? किस जलाशय में कितना पानी है? ये देखना चाहिए. अन्याय तो हो ही चुका है. मैं प्रधानमंत्री से प्रार्थना करता हूं कि भविष्य में होने वाले अन्याय को रोकने के लिए वह जल शक्ति विभाग को सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन प्रस्तुत करने और एक विशेषज्ञ समिति भेजने के लिए अधिसूचना भेजने के लिए कहें.'
कल बेंगलुरु बंद का आह्वान किया गया है. मांड्या, मैसूर आदि कई जगहों पर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन हो रहा है और राष्ट्रीय मीडिया में केआरएस जलाशय की सूखी जमीन की फोटो दिखाकर कावेरी अभियान की चर्चा हो रही है. देवेगौड़ा ने चिंता जताते हुए अनुरोध किया कि कृपया केआरएस जलाशय की वास्तविक स्थिति को दर्शाती इस तस्वीर को प्रसारित करें और प्रधानमंत्री तक पहुंचाएं.
उन्होंने कहा कि 'तमिल भी हमारे भाई-बहन हैं, हमें रहना है और उन्हें रहना है. जब मैंने राज्यसभा में बोला तो मैंने कहा कि पांच लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल भेजिए. कोई तमिल लोग नहीं, कोई कर्नाटक लोग नहीं. राज्य के बाहर से विशेषज्ञ भेजें. उन्हें मौके पर जाकर जांच करने दीजिए.'
उन्होंने कहा कि 'मैंने उपराष्ट्रपति से आग्रह किया कि वे समिति से कहें कि वे आएं और बताएं कि किस जलाशय में कितना पानी है और किस जलाशय के पीछे वर्तमान फसल कितनी सूख गई है. लेकिन तमिलनाडु के प्रतिनिधियों ने रोक लगा दी. तो स्पीकर क्या करें? बाद में, भले ही मेरे हाथ कांप रहे थे, मैं अपनी पूरी ताकत जुटाकर खड़ा हुआ और सदन में बोला.'
साधा निशाना : उन्होंने कहा कि 'जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तो चार केंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे, वीरप्पा मोइली, एसएम कृष्णा, मुनियप्पा हमारे राज्य से थे. क्या तब कोई बोला था? कम से कम एक को तो कावेरी मुद्दे पर बात करनी चाहिए थी. दूसरी ओर भाजपा की ओर से 18 एमपी थे. तब मैंने अनंत कुमार से कहा, कृपया कावेरी मुद्दे पर हमारी मदद करें और हमारा पानी बचाएं. लेकिन उन्होंने भी सहयोग नहीं किया. उन्होंने अफसोस जताया कि यह कल की बात नहीं है.'
उन्होंने पहले दस हजार क्यूसेक पानी छोड़ने, फिर दूसरी बार 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने की बात कही. हमारा कैसा दुर्भाग्य है. इसमें मैं सुप्रीम कोर्ट की शिकायत नहीं कर रहा हूं, यह राज्य सरकार की विफलता है. हमारे पास 40 लाख हेक्टेयर भूमि पर फसल है. लेकिन एक ऐसी स्थिति है कि उसे पानी नहीं दिया जा सकता. उन्होंने कहा, इसीलिए मैं राज्यसभा में खड़ा हुआ और उनसे तीसरे पक्ष का एक प्रतिनिधिमंडल भेजने के लिए कहा.
उन्होंने कहा कि 91 वर्ष की आयु में भी मैं कावेरी आघात को सहन नहीं कर सका. एक तरफ आंध्र, गोवा, महाराष्ट्र और दूसरी तरफ केरल, तमिलनाडु और पांडिचेरी. आसपास के राज्यों के बीच जल विवाद है. उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए इच्छाशक्ति की कमी स्पष्ट है.
एचडीडी ने निशाना साधते हुए कहा, क्या कुमारस्वामी को जलाशय की निकासी के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश करने के लिए साइट सर्वेक्षण करना चाहिए था? कुमारस्वामी के निरीक्षण के दो घंटे बाद ही मैंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा. आपके अधिकारियों को क्या हो गया. तमिलनाडु में मानसून कैसे आता है, हमारे पास कैसे आ रहा है, मैंने सब कुछ बता दिया है. तमिलनाडु के लोग तीन फसलें उगाते हैं. लेकिन हम एक फसल उगाते हैं. हम अर्ध-झाड़ियां उगाते हैं. सिर्फ चावल ही नहीं उगाया जाता. उन्होंने कहा कि वे पिछले सभी आदेशों और वस्तुस्थिति के बारे में बता चुके हैं.
उन्होंने कहा कि 'इससे पहले जब मैंने कावेरी मुद्दे पर मनमोहन सिंह से अपील की थी तो उन्होंने कहा था कि उन्हें सरकार बनाए रखनी चाहिए. सरकार को एक साल और चलना चाहिए. इसलिए हमें इस समस्या का समाधान अदालत में करना चाहिए. राज्य के चार मंत्री थे. तब उन्हें कर्नाटक याद नहीं आया, क्योंकि तमिलनाडु में 40 सांसद थे जबकि कर्नाटक में केवल 28. इसलिए किसी ने तमिलनाडु के खिलाफ नहीं बोला.' इसी बीच उन्हें अपने पुराने राजनीतिक जीवन की याद आ गई. उन्होंने राज्य में कावेरी जल के लिए होने वाले बंद के बारे में भी बताया.
सीएम सिद्धारमैया ने किया स्वागत : सीएम सिद्धारमैया ने पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा के कदम का स्वागत किया है, जिन्होंने पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कावेरी जल वितरण को लेकर कर्नाटक राज्य के सामने आए संकट को हल करने के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है.
सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि 'राज्य में हो रहे अन्याय से बचने का एकमात्र प्रभावी तरीका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मध्यस्थता करना और बातचीत के माध्यम से समस्या का समाधान करना है. और यह इस स्थिति के लिए एक उपयुक्त समाधान है. मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के अनुरोध को स्वीकार करेंगे और उन्हें जल्द ही बातचीत के लिए आमंत्रित करेंगे.'
जेडीएस पार्टी के वरिष्ठ नेता एचडी देवेगौड़ा के इस फैसले से प्रेरणा लेते हुए प्रदेश बीजेपी के नेताओं और पार्टी के सांसदों को प्रधानमंत्री पर हस्तक्षेप के लिए दबाव बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री से राज्य के सभी दलों के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल से जल्द से जल्द मुलाकात करने का अनुरोध करेंगे.