नई दिल्ली/बेंगलुरु : कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने गुरुवार को कहा कि राज्य ने तमिलनाडु को कावेरी नदी का जल दिए जाने के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. शिवकुमार ने कहा कि राज्य और किसानों के हितों की रक्षा के लिए सरकार उच्चतम न्यायालय में अपनी दलीलें पेश कीं. शिवकुमार के पास जलसंसाधन विभाग का प्रभार भी है. उन्होंने तमिलनाडु उसे पानी छोड़ने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है और वर्तमान संकट तमिलनाडु ने बिलिगुंडलू में अंतरराज्यीय सीमा के पास मेकेदातु संतुलन जलाशय-सह-पेयजल परियोजना के निर्माण के लिए कर्नाटक के प्रस्ताव पर अपने अनावश्यक विरोध से पैदा किया है.
शीर्ष अदालत के समक्ष एक हलफनामे में, कर्नाटक सरकार ने कहा कि वह आम वर्षों के लिए निर्धारित जल निकासी के अनुसार जल दिये के लिए बाध्य नहीं है और उसे मजबूर नहीं किया जा सकता है, जो कि जून में 9.19 टीएमसी, जुलाई में 31.24 टीएमसी, अगस्त में 45.95 टीएमसी, सितंबर में 36.76 टीएमसी, अक्टूबर में 20.22 टीएमसी, नवंबर में 13.78 टीएमसी, दिसंबर में 7.35 टीएमसी, जनवरी में 2.76 टीएमसी और फरवरी से मई तक 2.5 टीएमसी, जिसे मिलाकर कुल 177.25 टीएमसी है. गौरतलब है कि इससे पहले शिवकुमार ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा था, "हमने उच्चतम न्यायालय की नई पीठ के समक्ष अपनी दलीलें रखने के संबंध में बातचीत की थी. हमने राज्य और किसानों के हितों की रक्षा के मद्देनजर कावेरी जल साझा करने के मुद्दे पर अपील दाखिल की है."
तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई 25 को : उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के बांधों से कावेरी नदी का पानी छोड़ने की मांग को लेकर तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर याचिका पर 25 अगस्त को सुनवाई करना तय किया है. जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ शुक्रवार को मामले की सुनवाई करेगी. इससे पहले सोमवार को सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ ने तमिलनाडु की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी द्वारा कावेरी जल द्वारा पारित निर्देशों के अनुसार अगस्त महीने के लिए पानी छोड़ने की मांग करने वाले आवेदन को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग के बाद एक पीठ गठित करने पर सहमति व्यक्त की थी. तमिलनाडु सरकार ने राज्य को पर्याप्त पानी नहीं देने के लिए सीडब्ल्यूएमए के साथ कर्नाटक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. अपने आवेदन में तमिलनाडु ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा संशोधित कावेरी ट्रिब्यूनल के फैसले के अनुसार, अगस्त और सितंबर महीने के लिए निर्धारित रिलीज सुनिश्चित करने के लिए शीर्ष अदालत से कर्नाटक को निर्देश देने की मांग की है.
गौरतलब है कि कावेरी और महादयी जैसे अंतर राज्यीय जल से जुड़े अन्य मुद्दों के संबंध में सर्व दलीय प्रतिनिधिमंडल के केन्द्र के पास जाने के बारे में एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि सबसे पहले एक संभावित तिथि निर्धारित की जाएगी और इसके बाद जलशक्ति मंत्रालय तथा प्रधानमंत्री कार्यालय से संपर्क किया जाएगा. वहां से मुलाकात का वक्त निर्धारित होने के पश्चात प्रतिनिधिमंडल जाएगा. उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा था कि वह कावेरी नदी जल बंटवारे को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच दशकों पुराने विवाद की सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन करेगा. तमिलनाडु ने इस सप्ताह की शुरुआत में उच्चतम न्यायालय का रुख किया था और कर्नाटक को फसलों के लिए कावेरी से 24,000 क्यूसेक पानी छोड़ने के निर्देश देने को लेकर याचिका दाखिल की थी.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने तमिलनाडु के साथ कावेरी नदी जल बंटवारा तथा महादयी के मुद्दे पर चर्चा के लिए बुधवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इस बैठक में तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी का जल छोड़े जाने के संबंध में उच्चतम न्यायालय में प्रभावी ढंग से कानूनी लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया गया. इसके अलावा बैठक में अंतरराज्यीय जल मुद्दों और लंबित परियोजनाओं को हल करने के उद्देश्य से एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को केंद्र सरकार तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास भेजे जाने के बारे में विपक्षी दलों से सहयोग भी मांगा गया.