शिमला : सेहत मंद होती थी तो बुजुर्ग कहते थे कि सेहतमंद होने के लिए पहाड़ पर चले जाओ. तेजी से बदलते समय और इंटरनेट के जमाने में शारीरिक श्रम न के बराबर रह जाने से अब पहाड़ भी बीमारियों के शिकंजे में आ गया है. चिंता की बात है कि बच्चों को भी ये रोग अपनी चपेट में ले रहा है.
हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री निरोग योजना (Mukhyamantri Nirog Yojana) के तहत 24 लाख लोगों की जांच की गई. उनमें से साढ़े आठ लाख लोग मधुमेह के रोगी निकले.
हिमाचल के प्रसिद्ध मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. राजेश कश्यप ने एक दशक पहले ही इस खतरे के प्रति चेताया था. उन्होंने सरल भाषा में मधुमेह के कारण और बचाव पर एक पुस्तक भी लिखी थी.
डॉ. राजेश कश्यप का कहना है कि जंक फूड का सेवन, आराम परस्त जीवन और असमय खान-पान के कारण हिमाचल प्रदेश में डायबिटीज का प्रकोप बढ़ रहा है. चिंता की बात है कि देश में मधुमेह के रोगियों का नेशनल एवरेज 9.8 फीसदी है. वहीं, हिमाचल प्रदेश में ये औसत 11.5 है. इस तरह हिमाचल की स्थिति चिंताजनक है. इस रोग के बढ़ने से सरकार भी चिंतित है. प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों में डायबिटीज के इलाज के लिए विशेष क्लीनिक स्थापित किए गए हैं.
आईजीएमसी अस्पताल के मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र मोक्टा ने तो अपने स्तर पर मधुमेह के खिलाफ अभियान चलाया है. वे नियमित रूप से कैंप लगाकर लोगों को इसके खतरे के प्रति जागरुक करते हैं. उन कैंपों में लोगों की निशुल्क जांच भी की जाती है. मधुमेह पर आईसीएमआर के लिए अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने वाले आईजीएमसी अस्पताल के मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र मोक्टा का कहना है कि हिमाचल में टाइप टू मधुमेह (type 2 diabetes in himachal) चिंताजनक रूप से बढ़ा है. टाइप टू मधुमेह में हिमाचल देश में सातवें स्थान पर है.
हिमाचल में 31 फीसदी लोग हाई ब्लड प्रेशर का शिकार (31% people suffer from high blood pressure) हैं. तीन साल पहले भी एक सर्वे हुआ था. उसमें भी आईजीएमसी अस्पताल शिमला (IGMC Hospital Shimla) के विशेषज्ञ शामिल थे. तब तीस साल और इससे अधिक आयु के 10 लाख लोगों की स्वास्थ्य जांच हुई तो उसमें से 85 हजार लोग मधुमेह की चपेट में पाए गए थे. तब के आंकड़ों के अनुसार हर 12वां व्यक्ति हिमाचल में डायबिटीज का शिकार था. हिमाचल में मधुमेह और दिल के रोग बढ़े हैं. ये दोनों एक दूसरे से इंटर लिंक्ड भी हैं.
आईजीएमसी अस्पताल के मेडिसिन विभाग (Department of Medicine at IGMC Hospital) के विशेषज्ञ डॉ. विमल भारती का कहना है कि इसके लिए तेजी से बदलता लाइफ स्टाइल जिम्मेदार है. डॉ. भारती के अनुसार डायबिटीज और हार्ट डिजीज मतलब आरामपरस्त लाइफ. इसके अलावा मेहनत से जी चुराना, पैदल न चलना, जंक फूड खाना, मोबाइल पर व्यस्त रहना, शराब व अन्य नशों में फंस जाना, आउटडोर गेम्स में हिस्सा न लेना और गांव से शहरों की तरफ पलायन, ये सब मधुमेह और हार्ट डिजीज का कारण है. मेहनत न करने और जंक फूड खाने से लोग मोटापे का शिकार हो रहे हैं और मोटा व्यक्ति जरूर मधुमेह की चपेट में भी आएगा.
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरजीत भारद्वाज (Pediatrician Dr. Surjit Bharadwaj) के अनुसार बच्चों में भी डायबिटीज बढ़ता जा रहा है. नई पीढ़ी पारंपरिक खाद्य पदार्थों को खाने में अरुचि दिखाते हैं. उन्हें जंक फूड भाता है. जंक फूड खाना और दिन भर मोबाइल पर चिपके रहने से मधुमेह का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है. दिन भर कुछ न कुछ जंक फूड खाते रहने और शारीरिक श्रम न करने के कारण बच्चों में मोटापा बढ़ जाता है. मोटापा आ जाने के बाद शुगर का खतरा अपने आप बढ़ता है. डॉ. सुरजीत भारद्वाज का कहना है कि बच्चों को खेल गतिविधियों में हिस्सा लेना बहुत जरूरी है. आउटडोर खेल बहुत जरूरी है.
वहीं, आईजीएमसी अस्पताल में सेवारत एंडोक्रायोनोलॉजी विशेषज्ञ (Endocrinology Specialist) डॉ. कुश देव सिंह जरियाल (Dr. Kush Dev Singh Jariyal) का कहना है कि मधुमेह का मुख्य कारण जीवन शैली का डिसऑर्डर होना है. उनका कहना था कि प्रदेश में 100 में से 7 से 8 लोग डायबिटीज से ग्रस्त है और इतने ही प्री डायबिटीज है. उनका कहना था कि कुल 100 में से 15 लोग डायबिटीज हैं.
डॉ. कुश देव सिंह जरियाल ने कहा कि खान पान सही न होना, व्यायाम न करना भी कारण है. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों में डायबिटीज के लक्षण नहीं होते इसलिए जिनका वजन बढ़ रहा हो, मोटे हों तो उन्हें चेक करवा लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि बच्चे भी इसके चपेट में आ रहे हैं और यदि 10 फीसदी डायबिटीज है तो उसमें बच्चे भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि बैलेंस डाइट व व्यायाम से इससे बचा जा सकता है.
ये हैं मधुमेह के लक्षण:
ज्यादा पेशाब की शिकायत.
अधिक भूख लगना.
अधिक प्यास लगना.
वजन कम होना.
हर समय सुस्ती फैलना.
शरीर में बार-बार फोड़े होना.
घाव का जल्द न भरना.
ये है मधुमेह के कारण:
वंशानुगत.
गांव से शहर की तरफ लोगों का पलायन.
जंक फूड व शीतल पेय का अत्याधिक सेवन.
गाड़ियों व लिफ्ट का अत्यधिक प्रयोग करना.
शारीरिक मेहनत कम करना.
मोटापा होना.
ऐसे करें बचाव:
वजन कम रखें.
नियमित तौर पर व्यायाम करना.
खानपान में तेल और घी कम प्रयोग.
चीनी कम प्रयोग करें.
चिंता मुक्त रहने का प्रयास करें.
समय-समय पर स्वास्थ्य जांच करवाना.