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NCST चेयरमैन ने मणिपुर हिंसा के बढ़ते मामलों को स्वीकारा, डेटा देने से किया इनकार - मणिपुर हिंसा

मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद से 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं. इस बारे में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान (NCST chairman Harsh Chouhan) से ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सौरभ शर्मा ने विशेष बात की. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

NCST chairman Harsh Chouhan
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान
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Published : Jun 24, 2023, 5:22 PM IST

नई दिल्ली : मणिपुर में कुकी-जोमी जनजातियों और मैतेई समुदाय के बीच संघर्ष के बाद 3 मई को भड़की हिंसा के बाद से अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 50 हजार से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं. इस संबंध में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष हर्ष चौहान (NCST chairman Harsh Chouhan) ने ईटीवी भारत से विशेष बात की. उन्होंने कहा कि मणिपुर में बढ़ी हिंसा की घटनाएं कोई आश्चर्य की बात नहीं है, बंगाल को देखें. उन्होंने कहा कि जब भी हिंसा होती है, यही पैटर्न देखा जाता है. पढ़ें साक्षात्कार के अंश.

प्रश्न : हम मणिपुर में आदिवासी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष देख रहे हैं, खासकर कुकी और मैतेई के बीच. मणिपुर से एनसीएसटी द्वारा प्राप्त मामलों की संख्या पर कोई विवरण?

उत्तर- हां, हिंसा भड़कने के बाद से हमारे पास मणिपुर से कई मामले आए हैं और आ रहे हैं. यह एक सतत प्रक्रिया है, वे केंद्र सरकार और राज्य सरकार से भी संपर्क में हैं.

प्रश्न : 3 मई से अब तक आपको मणिपुर से कितने मामले मिले हैं?

उत्तर- हम इस समय डेटा जारी नहीं कर सकते. जैसा कि मैंने आपको बताया, यह एक नियमित और सतत प्रक्रिया है. हम इस पर कुछ भी नहीं कह सकते या टिप्पणी नहीं कर सकते क्योंकि हमारे पास अधिकार नहीं है. लेकिन मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि हम केंद्र और राज्य सरकार के संपर्क में हैं.

प्रश्न : कोई विशिष्ट विवरण जो आप हमारे साथ साझा कर सकें?

उत्तर- हमने विवरण/रिपोर्ट राज्य सरकार (मणिपुर सरकार) को स्थानांतरित कर दी है और वे हमें रिपोर्ट प्रदान कर रहे हैं. मणिपुर से हमें कितनी शिकायतें मिली हैं, हम इसे सार्वजनिक तौर पर उजागर नहीं कर सकते.

प्रश्न : आपको कुकी और मैतेई समुदाय से क्रमशः कितने मामले प्राप्त हुए हैं?

उत्तर - हमें मणिपुर से कई समुदायों से कई शिकायतें मिल रही हैं. हमारे पास प्रत्येक आदिवासी समुदाय से प्राप्त शिकायतों की संख्या पर कोई विशिष्ट डेटा नहीं है.

प्रश्न : क्या 3 मई के बाद से मामले बढ़े हैं?

उत्तर - हां, हिंसा भड़कने के बाद से मणिपुर में मामले बढ़े हैं. लेकिन यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है क्योंकि जब भी हिंसा होती है, तो मामलों की संख्या बढ़ जाती है, ठीक उसी तरह जब पश्चिम बंगाल में हिंसा हुई, तो वहां से आने वाले मामलों की संख्या बढ़ गई. इसलिए, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि मणिपुर से मामले बढ़े हैं.

यहां यह ध्यान देने योग्य है कि पिछले कुछ दिनों से, मणिपुर में स्थिति केवल खराब हो गई है. वहीं कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि इंफाल घाटी और आदिवासी बहुल इलाकों में सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों के बीच लगातार झड़प हो रही है, जिसकी वजह से सुरक्षा बलों को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति नहीं होने दी जा रही है और उन्हें रोका जा रहा है. पिछले हफ्ते केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने मीडिया से बातचीत में यह पूछे जाने पर मणिपुर की स्थिति और जनजातीय मामलों का मंत्रालय इसे कैसे देखता है, केंद्रीय मंत्री ने जवाब दिया था कि, समय आने दीजिए. तभी हम इस पर कुछ भी कहेंगे.

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नई दिल्ली : मणिपुर में कुकी-जोमी जनजातियों और मैतेई समुदाय के बीच संघर्ष के बाद 3 मई को भड़की हिंसा के बाद से अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 50 हजार से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं. इस संबंध में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष हर्ष चौहान (NCST chairman Harsh Chouhan) ने ईटीवी भारत से विशेष बात की. उन्होंने कहा कि मणिपुर में बढ़ी हिंसा की घटनाएं कोई आश्चर्य की बात नहीं है, बंगाल को देखें. उन्होंने कहा कि जब भी हिंसा होती है, यही पैटर्न देखा जाता है. पढ़ें साक्षात्कार के अंश.

प्रश्न : हम मणिपुर में आदिवासी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष देख रहे हैं, खासकर कुकी और मैतेई के बीच. मणिपुर से एनसीएसटी द्वारा प्राप्त मामलों की संख्या पर कोई विवरण?

उत्तर- हां, हिंसा भड़कने के बाद से हमारे पास मणिपुर से कई मामले आए हैं और आ रहे हैं. यह एक सतत प्रक्रिया है, वे केंद्र सरकार और राज्य सरकार से भी संपर्क में हैं.

प्रश्न : 3 मई से अब तक आपको मणिपुर से कितने मामले मिले हैं?

उत्तर- हम इस समय डेटा जारी नहीं कर सकते. जैसा कि मैंने आपको बताया, यह एक नियमित और सतत प्रक्रिया है. हम इस पर कुछ भी नहीं कह सकते या टिप्पणी नहीं कर सकते क्योंकि हमारे पास अधिकार नहीं है. लेकिन मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि हम केंद्र और राज्य सरकार के संपर्क में हैं.

प्रश्न : कोई विशिष्ट विवरण जो आप हमारे साथ साझा कर सकें?

उत्तर- हमने विवरण/रिपोर्ट राज्य सरकार (मणिपुर सरकार) को स्थानांतरित कर दी है और वे हमें रिपोर्ट प्रदान कर रहे हैं. मणिपुर से हमें कितनी शिकायतें मिली हैं, हम इसे सार्वजनिक तौर पर उजागर नहीं कर सकते.

प्रश्न : आपको कुकी और मैतेई समुदाय से क्रमशः कितने मामले प्राप्त हुए हैं?

उत्तर - हमें मणिपुर से कई समुदायों से कई शिकायतें मिल रही हैं. हमारे पास प्रत्येक आदिवासी समुदाय से प्राप्त शिकायतों की संख्या पर कोई विशिष्ट डेटा नहीं है.

प्रश्न : क्या 3 मई के बाद से मामले बढ़े हैं?

उत्तर - हां, हिंसा भड़कने के बाद से मणिपुर में मामले बढ़े हैं. लेकिन यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है क्योंकि जब भी हिंसा होती है, तो मामलों की संख्या बढ़ जाती है, ठीक उसी तरह जब पश्चिम बंगाल में हिंसा हुई, तो वहां से आने वाले मामलों की संख्या बढ़ गई. इसलिए, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि मणिपुर से मामले बढ़े हैं.

यहां यह ध्यान देने योग्य है कि पिछले कुछ दिनों से, मणिपुर में स्थिति केवल खराब हो गई है. वहीं कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि इंफाल घाटी और आदिवासी बहुल इलाकों में सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों के बीच लगातार झड़प हो रही है, जिसकी वजह से सुरक्षा बलों को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति नहीं होने दी जा रही है और उन्हें रोका जा रहा है. पिछले हफ्ते केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने मीडिया से बातचीत में यह पूछे जाने पर मणिपुर की स्थिति और जनजातीय मामलों का मंत्रालय इसे कैसे देखता है, केंद्रीय मंत्री ने जवाब दिया था कि, समय आने दीजिए. तभी हम इस पर कुछ भी कहेंगे.

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