नागपुर: महाराष्ट्र में पूर्व मंत्री सुनील केदार की मुश्किलें बढ़ने की संभावना है. 152 करोड़ रुपये के नागपुर डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक बॉन्ड (शेयर) निवेश घोटाले में जमानत मिलने के बाद वह जेल से बाहर आये और बुधवार को एक बड़ी रैली की. इस रैली में शामिल होने के लिए नागपुर पुलिस ने सुनील केदार और उनके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. देर रात धंतोली थाने में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
बताया जा रहा है कि उन्होंने पुलिस की अनुमति लिए बिना ही रैली निकाली और इससे ट्रैफिक जाम हो गया, जिसके चलते मामला दर्ज किया गया है. हाई कोर्ट द्वारा सुनील केदार को जमानत दिये जाने के बाद कार्यकर्ताओं को पता चला कि केदार जेल से बाहर आ जाएंगे. इसके बाद हजारों की संख्या में उनके समर्थक वाहं जुट गए. नागपुर की सेंट्रल जेल में सजा काट रहे कई गंभीर अपराध के कैदी, नक्सली और आतंकवादी संगठनों के कैदी रहते हैं.
इसलिए सेंट्रल जेल परिसर प्रतिबंधित क्षेत्र है. इसलिए जेल प्रशासन ने जेल के बाहर भीड़ न लगाने का नोटिस जारी किया था. हालांकि, सुनील केदार के समर्थकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. केदार के समर्थकों ने रैली भी निकाली. बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने सुनील केदार की सजा को निलंबित कर दिया है, लेकिन उनकी विधायकी रद्द होगी. नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक बांड घोटाले में 5 साल की सजा सुनाए जाने के बाद सुनील केदार की विधायकी रद्द कर दी गई थी.
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के मुताबिक, अगर विधायक या सांसद को अदालत द्वारा दो साल से अधिक की सजा सुनाई जाती है तो जनप्रतिनिधि की सदस्यता रद्द हो जाती है. उस कानून के तहत सुनील केदार की विधायकी रद्द कर दी गयी.
वर्ष 2001-2002 में, जब पूर्व मंत्री सुनील केदार नागपुर जिले के अध्यक्ष थे, तब सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक, होमट्रेड लिमिटेड मुंबई, इंद्रमनी मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड कोलकाता, सेंचुरी डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड कोलकाता, सिंडिकेट मैनेजमेंट सर्विसेज अहमदाबाद और गिल्टेज मैनेजमेंट सर्विसेज मुंबई को बैंक फंड से सरकारी बांड (शेयर) खरीदे गए.
शेयर खरीदने वाली निजी कंपनी दिवालिया हो गई. कंपनी के दिवालिया हो जाने से किसानों का भी पैसा डूब गया. इसलिए सुनील केदार और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.