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अमेरिका के मिनेसोटा में कार्बन मोनोऑक्साइड से सात लोगों की मौत

अमेरिका में कार्बन मोनो-ऑक्साइड गंभीर जहरीले हादसों की सबसे बड़ी वजह है. बुधवार को अमेरिकी प्रांत मिनेसोटा में कार्बन मोनोऑक्साइड से सात लोगों की मौत हो गई. पुलिस को उनकी मौत के कारण का पता ब्लड की जांच से चला.

carbon monoxide in Minnesota
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Published : Dec 23, 2021, 11:59 AM IST

मूरहेड (अमेरिका): अमेरिका के मिनेसोटा प्रांत के मूरहेड में कार्बन मोनोऑक्साइड से एक परिवार के सात लोगों की मौत हो गई. मारे गए लोग एक ही परिवार के सदस्य हैं. घर में कार्बन मोनोऑक्साइड कहां से आया, इसकी तफ्तीश की जा रही है.

जांच अधिकारियों ने बताया कि होंडुरास के एक अप्रवासी परिवार के सात सदस्य पिछले सप्ताह मिनेसोटा आए थे. उन सभी का शव एक घर के अंदर मिला. जांच में पता चला कि उनकी मौत स्पष्ट तौर पर कार्बन मोनोऑक्साइड के विषाक्तता के कारण हुई. पुलिस को इस घटना का पता तब चला कि जब मारे गए लोगों को परिजन उनकी खोज-खबर लेने साउथ मूरहेड पहुंचे थे. वे काफी दिनों संपर्क नहीं होने के कारण खोज-खबर लेने उनके घर पहुंचे थे. पुलिस अभी भी मौत के वक्त का पता लगाने के लिए जांच कर रही है.

सेंट पॉल में रैमसे काउंटी मेडिकल एक्जामिनर कार्यालय के अधिकारियों ने मौत का कारणों का पता लगाने के लिए मारे गए लोगों के ब्लड सैंपल की जांच की. जांच में अभी यह सामने आया है कि उनके शरीर में कार्बन मोनोऑक्साइड का लेवल घातक स्तर पर पहुंच चुका था. पुलिस प्रमुख शैनन मुनरो ने कहा कि कार्बन मोनोऑक्साइड या तो घर की भट्ठी या गराज में खड़ी एक वैन से आई होगी. जांच दल को घर पर मौजूद भट्ठी में कोई ऐसी खराबी नहीं मिली, जिससे कार्बन मोनोऑक्साइड लीक हुई हो. मुनरो के अनुसार, अब जांच की जा रही है कि क्या मृतकों के खून में हाइड्रोजन साइनाइड तो नहीं है. इस जांच में आठ सप्ताह तक का वक्त लग सकता है. मुनरो ने कहा कि मारे गए लोगों की कोई क्रिमिनल हिस्ट्री नहीं मिली है. इनकी मौत कैसे हुई, इसका सच जांच के बाद ही सामने आएगा.

बता दें कि कार्बन मोनो-ऑक्साइड शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने वाले रेड ब्लड सेल्स पर असर डालती है. इस गैस के संपर्क में आने के बाद मितली और चक्कर आने लगता है. कार्बन मोनोऑक्साइड सूंघने से हीमोग्लोबिन मॉलिक्यूल ब्लॉक हो जाते हैं और शरीर का पूरा ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट सिस्टम प्रभावित हो जाता है. दरअसल, हम जब सांस के जरिये ऑक्सीजन लेते हैं तो वह हीमोग्लोबिन में घुलमिल जाती है. हीमोग्लोबिन की मदद से ही ऑक्सीजन फेफड़ों से होकर शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचती है. मगर जब हीमोग्लोबीन कार्बन मोनो-ऑक्साइड के संपर्क में आता है तो वह घुलता नहीं है. वह हीमोग्लोबिन मॉलिक्यूल को ब्लॉक कर देता है. ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण शरीर के सेल्स मरने लगते हैं और लोगों की मौत हो जाती है.

पढ़ें : कोरोना से जंग : अमेरिका ने दी फाइजर की ओरल दवा Paxlovid को मंजूरी

मूरहेड (अमेरिका): अमेरिका के मिनेसोटा प्रांत के मूरहेड में कार्बन मोनोऑक्साइड से एक परिवार के सात लोगों की मौत हो गई. मारे गए लोग एक ही परिवार के सदस्य हैं. घर में कार्बन मोनोऑक्साइड कहां से आया, इसकी तफ्तीश की जा रही है.

जांच अधिकारियों ने बताया कि होंडुरास के एक अप्रवासी परिवार के सात सदस्य पिछले सप्ताह मिनेसोटा आए थे. उन सभी का शव एक घर के अंदर मिला. जांच में पता चला कि उनकी मौत स्पष्ट तौर पर कार्बन मोनोऑक्साइड के विषाक्तता के कारण हुई. पुलिस को इस घटना का पता तब चला कि जब मारे गए लोगों को परिजन उनकी खोज-खबर लेने साउथ मूरहेड पहुंचे थे. वे काफी दिनों संपर्क नहीं होने के कारण खोज-खबर लेने उनके घर पहुंचे थे. पुलिस अभी भी मौत के वक्त का पता लगाने के लिए जांच कर रही है.

सेंट पॉल में रैमसे काउंटी मेडिकल एक्जामिनर कार्यालय के अधिकारियों ने मौत का कारणों का पता लगाने के लिए मारे गए लोगों के ब्लड सैंपल की जांच की. जांच में अभी यह सामने आया है कि उनके शरीर में कार्बन मोनोऑक्साइड का लेवल घातक स्तर पर पहुंच चुका था. पुलिस प्रमुख शैनन मुनरो ने कहा कि कार्बन मोनोऑक्साइड या तो घर की भट्ठी या गराज में खड़ी एक वैन से आई होगी. जांच दल को घर पर मौजूद भट्ठी में कोई ऐसी खराबी नहीं मिली, जिससे कार्बन मोनोऑक्साइड लीक हुई हो. मुनरो के अनुसार, अब जांच की जा रही है कि क्या मृतकों के खून में हाइड्रोजन साइनाइड तो नहीं है. इस जांच में आठ सप्ताह तक का वक्त लग सकता है. मुनरो ने कहा कि मारे गए लोगों की कोई क्रिमिनल हिस्ट्री नहीं मिली है. इनकी मौत कैसे हुई, इसका सच जांच के बाद ही सामने आएगा.

बता दें कि कार्बन मोनो-ऑक्साइड शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने वाले रेड ब्लड सेल्स पर असर डालती है. इस गैस के संपर्क में आने के बाद मितली और चक्कर आने लगता है. कार्बन मोनोऑक्साइड सूंघने से हीमोग्लोबिन मॉलिक्यूल ब्लॉक हो जाते हैं और शरीर का पूरा ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट सिस्टम प्रभावित हो जाता है. दरअसल, हम जब सांस के जरिये ऑक्सीजन लेते हैं तो वह हीमोग्लोबिन में घुलमिल जाती है. हीमोग्लोबिन की मदद से ही ऑक्सीजन फेफड़ों से होकर शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचती है. मगर जब हीमोग्लोबीन कार्बन मोनो-ऑक्साइड के संपर्क में आता है तो वह घुलता नहीं है. वह हीमोग्लोबिन मॉलिक्यूल को ब्लॉक कर देता है. ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण शरीर के सेल्स मरने लगते हैं और लोगों की मौत हो जाती है.

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