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ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की होगी कार्बन डेटिंग, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए आदेश - ज्ञानवापी केस सुनवाई

ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की अब वैज्ञानिक तरीके से जांच कराई जाएगी. इसके पहले जिला जज वाराणसी ने कार्बन डेटिंग न कराने का आदेश दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके आदेश को रद कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर शिवलिंग की होगी कार्बन डेटिंग.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर शिवलिंग की होगी कार्बन डेटिंग.
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Published : May 12, 2023, 6:28 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर शिवलिंग की होगी कार्बन डेटिंग.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग का वैज्ञानिक सर्वे (कार्बन डेटिंग) कराकर शिवलिंग की आयु, प्रकृति और संरचना का निर्धारण करने के आदेश दिए हैं. यह जांच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को करानी है. न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा की पीठ ने शुक्रवार को कार्बन डेटिंग कराने से इंकार वाले जिला जज वाराणसी के आदेश को रद कर दिया. कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को निर्देश दिए हैं कि आईआईटी रुड़की, आईआईटी कानपुर और बीएसआईपी लखनऊ द्वारा प्रस्तुत वैज्ञानिक रिपोर्ट के आधार पर जांच कराएं.

जिला जज वाराणसी ने 14 अक्टूबर 2022 को याची लक्ष्मी देवी की उस अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसमें ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराकर उसकी आयु, प्रकृति और संरचना का निर्धारण करने की मांग की गई थी. जिला जज के इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई थी. याचिका पर न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा प्रथम ने यह आदेश दिया है.

प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी, मुख्य स्थाई अधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडे, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से सहायक सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया शशि प्रकाश सिंह ने कोर्ट के समक्ष एक्सपर्ट की रिपोर्ट प्रस्तुत की. बताया कि आईआईटी कानपुर, आईआईटी रुड़की, बीएसआईपी लखनऊ के विशेषज्ञों की राय में ऐसी तकनीक उपलब्ध है जिनके द्वारा शिवलिंग की संरचना को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाए बिना, उसकी आयु और प्रकृति का निर्धारण किया जा सकता है. डायरेक्टर जनरल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से इस पर प्रस्तुत रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद हाईकोर्ट ने जिला जज वाराणसी के 14 अक्टूबर 2022 के आदेश को रद कर दिया. पुरातत्व विभाग को ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग का वैज्ञानिक परीक्षण कराए जाने के निर्देश दे दिए गए हैं.

उल्लेखनीय है कि लक्ष्मी देवी ने हाईकोर्ट में पुनरीक्षण अर्जी दाखिल कर जिला न्यायालय वाराणसी के आदेश को चुनौती दी थी. हाईकोर्ट में पुरातत्व विभाग को इस बात की रिपोर्ट देने को कहा था कि क्या ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की आयु निर्धारण का कोई ऐसा तरीका हो सकता है जिससे शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बिना ही उसकी आयु का निर्धारण किया जा सके. कई विशेषज्ञ संस्थाओं से मिली रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया कि शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बिना ही उसकी आयु, प्रकृति व संरचना का पता लगाया जा सकता है. इसके आधार पर कोर्ट ने यह आदेश दिया.

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि ज्ञानवापी परिसर में 16 मई 22 को शिवलिंग बरामद हुआ था. उसकी साइंटिफिक जांच की मांग को जिला जज ने 14 अक्टूबर को खारिज कर दिया था. इस आदेश के खिलाफ हमने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी. उच्च न्यायालय ने एएसआई (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) से रिपोर्ट मांगी थी. एएसआई ने 52 पेज की रिपोर्ट न्यायालय के सामने प्रस्तुत की. इसके बाद न्यायालय ने डिस्ट्रिक्ट न्यायालय का फैसला खारिज कर दिया. अब 22 मई को सुनवाई होगी.

यह भी पढ़ें : ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग में मुश्किल क्या है, जानिए साइंस के नजरिये से

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर शिवलिंग की होगी कार्बन डेटिंग.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग का वैज्ञानिक सर्वे (कार्बन डेटिंग) कराकर शिवलिंग की आयु, प्रकृति और संरचना का निर्धारण करने के आदेश दिए हैं. यह जांच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को करानी है. न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा की पीठ ने शुक्रवार को कार्बन डेटिंग कराने से इंकार वाले जिला जज वाराणसी के आदेश को रद कर दिया. कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को निर्देश दिए हैं कि आईआईटी रुड़की, आईआईटी कानपुर और बीएसआईपी लखनऊ द्वारा प्रस्तुत वैज्ञानिक रिपोर्ट के आधार पर जांच कराएं.

जिला जज वाराणसी ने 14 अक्टूबर 2022 को याची लक्ष्मी देवी की उस अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसमें ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराकर उसकी आयु, प्रकृति और संरचना का निर्धारण करने की मांग की गई थी. जिला जज के इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई थी. याचिका पर न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा प्रथम ने यह आदेश दिया है.

प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी, मुख्य स्थाई अधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडे, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से सहायक सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया शशि प्रकाश सिंह ने कोर्ट के समक्ष एक्सपर्ट की रिपोर्ट प्रस्तुत की. बताया कि आईआईटी कानपुर, आईआईटी रुड़की, बीएसआईपी लखनऊ के विशेषज्ञों की राय में ऐसी तकनीक उपलब्ध है जिनके द्वारा शिवलिंग की संरचना को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाए बिना, उसकी आयु और प्रकृति का निर्धारण किया जा सकता है. डायरेक्टर जनरल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से इस पर प्रस्तुत रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद हाईकोर्ट ने जिला जज वाराणसी के 14 अक्टूबर 2022 के आदेश को रद कर दिया. पुरातत्व विभाग को ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग का वैज्ञानिक परीक्षण कराए जाने के निर्देश दे दिए गए हैं.

उल्लेखनीय है कि लक्ष्मी देवी ने हाईकोर्ट में पुनरीक्षण अर्जी दाखिल कर जिला न्यायालय वाराणसी के आदेश को चुनौती दी थी. हाईकोर्ट में पुरातत्व विभाग को इस बात की रिपोर्ट देने को कहा था कि क्या ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की आयु निर्धारण का कोई ऐसा तरीका हो सकता है जिससे शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बिना ही उसकी आयु का निर्धारण किया जा सके. कई विशेषज्ञ संस्थाओं से मिली रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया कि शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बिना ही उसकी आयु, प्रकृति व संरचना का पता लगाया जा सकता है. इसके आधार पर कोर्ट ने यह आदेश दिया.

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि ज्ञानवापी परिसर में 16 मई 22 को शिवलिंग बरामद हुआ था. उसकी साइंटिफिक जांच की मांग को जिला जज ने 14 अक्टूबर को खारिज कर दिया था. इस आदेश के खिलाफ हमने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी. उच्च न्यायालय ने एएसआई (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) से रिपोर्ट मांगी थी. एएसआई ने 52 पेज की रिपोर्ट न्यायालय के सामने प्रस्तुत की. इसके बाद न्यायालय ने डिस्ट्रिक्ट न्यायालय का फैसला खारिज कर दिया. अब 22 मई को सुनवाई होगी.

यह भी पढ़ें : ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग में मुश्किल क्या है, जानिए साइंस के नजरिये से

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