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स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव के बीच पंजाब में जारी है कैंसर का कहर

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Published : Jun 30, 2021, 8:41 PM IST

पंजाब में कैंसर के इलाज (treatment of cancer) को लेकर सरकार द्वारा समय-समय पर किए जाने वाले दावों के बावजूद कैंसर का कहर जारी है. अकेले पंजाब के मालवा क्षेत्र में 2014-2016 के बीच कैंसर से 47,378 मौतें हुई हैं.

पंजाब में जारी है कैंसर का कहर
पंजाब में जारी है कैंसर का कहर

चंडीगढ़ : पंजाब में कैंसर के इलाज (treatment of cancer) को लेकर सरकार द्वारा समय-समय पर किए जाने वाले दावों के बावजूद कैंसर का कहर जारी है. हर सरकार राज्य के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं (good health facilities) प्रदान करने में विफल रही है.

पंजाब में कैंसर का कारण

पंजाब में कैंसर का मूल कारण (root cause of cancer ) कीटनाशकों (pesticides ) का बढ़ता उपयोग है, जिसे हम अपने खाने-पीने के माध्यम से लेते हैं. बाद में शरीर पर यह हानिकारक प्रभाव डालते हैं. इसके अलावा एक दूसरा प्रमुख कारण लोगों के आहार (diet of the people) में बड़ा बदलाव और हवा में बढ़ता प्रदूषण (pollution) है. लोगों द्वारा नशीली दवाओं (drugs ) के बढ़ते उपयोग के कारण भी कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं.

बठिंडा से राजस्थान के लिए कैंसर ट्रेन

बठिंडा के कैंसर से पीड़ित मरीज ट्रेन से राजस्थान के बीकानेर जाते थे, जिसे कैंसर ट्रेन ((CANCER TRAIN) ) कहा जाता था. क्योंकि इलाज के लिए चंडीगढ़ और लुधियाना जाना आर्थिक और भौगोलिक (economically and geographically) रूप से संभव नहीं था. इसलिए लोग राजस्थान जाया करते थे, लेकिन अब मालवा में बड़े कैंसर अस्पताल (cancer hospitals ) खोले गए हैं, जिससे कम लोग इलाज के लिए राजस्थान जा रहे हैं.

बठिंडा स्थित एडवांस्ड कैंसर डायग्नोस्टिक ट्रीटमेंट एंड रिसर्च सेंटर (Advanced Cancer Diagnostic Treatment and Research Center) और बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी (Baba Farid Medical University) के निदेशक दीपक अरोड़ा (Deepak Arora) का कहना है कि पंजाब में कैंसर के बढ़ने का कारण भूजल (ground water) में रसायनों का उच्च स्तर है. हमने अनुसंधान केंद्र को नई तकनीक की मशीनें (new technology machines) उपलब्ध कराई हैं, जिससे लोग अब इलाज के लिए राजस्थान नहीं जाते हैं और हरियाणा, लुधियाना, बठिंडा और राजस्थान से लोग इलाज के लिए आते हैं. हमारे पास विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम है जो समय-समय पर लोगों को कैंसर से निपटने के लिए प्रेरित करती है.

एडवांस्ड कैंसर डायग्नोस्टिक ट्रीटमेंट एंड रिसर्च सेंटर में दो बड़ी मशीनें लगाई गई हैं, जो केवल उत्तर भारत (North India) में बठिंडा में ही उपलब्ध हैं.

बठिंडा स्थित एडवांस्ड कैंसर डायग्नोस्टिक ट्रीटमेंट एंड रिसर्च सेंटर में इलाज के लिए आए मरीजों का कहना है कि हालांकि सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन सेंटर में डॉक्टरों और स्टाफ (doctors and staff) की भारी कमी है. मरीज परेशान हैं. उन्होंने सरकार से अपील की कि या तो केंद्रों पर स्टाफ और डॉक्टर उपलब्ध कराएं या केंद्रों को बंद कर दें.

वर्ल्ड कैंसर केयर चैरिटेबल सोसाइटी (World Cancer Care Charitable Society) के मालवा जोन के निदेशक सतपाल सिंह सिद्धू (Satpal Singh Sidhu) ने कहा कि उनके संगठन ने पंजाब के 75 प्रतिशत गांवों में मुफ्त कैंसर परीक्षण किया है और लोगों में कैंसर के बारे में जागरूकता पैदा की है. गांव में निशुल्क जांच की जाती है और इलाज भी निशुल्क किया जाता है. इसके अलावा पांच विशेष बसों का डिजाइन तैयार किया गया है, जिसमें करीब एक दर्जन कैंसर की जांच की जा सकेगी.

बढ़ते वायु प्रदूषण (air pollution), कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग और दवाओं के बढ़ते उपयोग को पंजाब में कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि के मुख्य कारणों के रूप में उद्धृत किया जा रहा है.

कैंसर विशेषज्ञों (Cancer experts ) का कहना है कि सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं का दावा भले ही कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर लोगों को ये सुविधाएं नहीं मिल रही हैं और कैंसर के मरीज अपनी जान गंवा रहे हैं.

पढ़ें - यूपी विधानसभा चुनाव : सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ेगा राष्ट्रीय किसान मंच

क्या कहते हैं आंकड़े

अकेले पंजाब के मालवा क्षेत्र में 2014-2016 के बीच कैंसर से 47,378 मौतें हुई हैं. 2014 में यहां 15,171 लोगों की कैंसर से मौत हो गई. 2015 में 15,784 के कारण जान गंवाई, जबकि 2016 में यह आंकड़ा 16,423 पहुंच गया.

2016 के बाद पंजाब सरकार ने कैंसर से होने वाली मौतों का ब्योरा साझा करने पर रोक लगा दी है.

पंजाब के मालवा बेल्ट में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) से पीड़ित महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है. यहां 30% मरीज गले के कैंसर (throat cancer) से पीड़ित हैं और 70% महिलाएं स्तन और ओवरियन कैंसर (ovarian cancer) से पीड़ित हैं.

एडवांस कैंसर केयर सेंटर, बठिंडा में रोजाना 70 से 80 कैंसर रोगियों को कीमोथेरेपी (chemotherapy) की जा रही है.

कैंसर ट्रेन की स्थिति

बीकानेर के लिए कैंसर रोगियों के लिए रात 9 बजे बठिंडा से एक कैंसर ट्रेन चलती थी. देश में कोविड ब्रेक के बाद इस ट्रेन को अस्थायी रूप से रोक दिया गया था. प्रति यात्री किराया सामान्य सीट के लिए 115 रुपये और स्लीपर सीट के लिए 220 रुपये था और यह सुबह करीब साढ़े चार बजे लालगढ़ पहुंचती है.

चंडीगढ़ : पंजाब में कैंसर के इलाज (treatment of cancer) को लेकर सरकार द्वारा समय-समय पर किए जाने वाले दावों के बावजूद कैंसर का कहर जारी है. हर सरकार राज्य के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं (good health facilities) प्रदान करने में विफल रही है.

पंजाब में कैंसर का कारण

पंजाब में कैंसर का मूल कारण (root cause of cancer ) कीटनाशकों (pesticides ) का बढ़ता उपयोग है, जिसे हम अपने खाने-पीने के माध्यम से लेते हैं. बाद में शरीर पर यह हानिकारक प्रभाव डालते हैं. इसके अलावा एक दूसरा प्रमुख कारण लोगों के आहार (diet of the people) में बड़ा बदलाव और हवा में बढ़ता प्रदूषण (pollution) है. लोगों द्वारा नशीली दवाओं (drugs ) के बढ़ते उपयोग के कारण भी कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं.

बठिंडा से राजस्थान के लिए कैंसर ट्रेन

बठिंडा के कैंसर से पीड़ित मरीज ट्रेन से राजस्थान के बीकानेर जाते थे, जिसे कैंसर ट्रेन ((CANCER TRAIN) ) कहा जाता था. क्योंकि इलाज के लिए चंडीगढ़ और लुधियाना जाना आर्थिक और भौगोलिक (economically and geographically) रूप से संभव नहीं था. इसलिए लोग राजस्थान जाया करते थे, लेकिन अब मालवा में बड़े कैंसर अस्पताल (cancer hospitals ) खोले गए हैं, जिससे कम लोग इलाज के लिए राजस्थान जा रहे हैं.

बठिंडा स्थित एडवांस्ड कैंसर डायग्नोस्टिक ट्रीटमेंट एंड रिसर्च सेंटर (Advanced Cancer Diagnostic Treatment and Research Center) और बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी (Baba Farid Medical University) के निदेशक दीपक अरोड़ा (Deepak Arora) का कहना है कि पंजाब में कैंसर के बढ़ने का कारण भूजल (ground water) में रसायनों का उच्च स्तर है. हमने अनुसंधान केंद्र को नई तकनीक की मशीनें (new technology machines) उपलब्ध कराई हैं, जिससे लोग अब इलाज के लिए राजस्थान नहीं जाते हैं और हरियाणा, लुधियाना, बठिंडा और राजस्थान से लोग इलाज के लिए आते हैं. हमारे पास विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम है जो समय-समय पर लोगों को कैंसर से निपटने के लिए प्रेरित करती है.

एडवांस्ड कैंसर डायग्नोस्टिक ट्रीटमेंट एंड रिसर्च सेंटर में दो बड़ी मशीनें लगाई गई हैं, जो केवल उत्तर भारत (North India) में बठिंडा में ही उपलब्ध हैं.

बठिंडा स्थित एडवांस्ड कैंसर डायग्नोस्टिक ट्रीटमेंट एंड रिसर्च सेंटर में इलाज के लिए आए मरीजों का कहना है कि हालांकि सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन सेंटर में डॉक्टरों और स्टाफ (doctors and staff) की भारी कमी है. मरीज परेशान हैं. उन्होंने सरकार से अपील की कि या तो केंद्रों पर स्टाफ और डॉक्टर उपलब्ध कराएं या केंद्रों को बंद कर दें.

वर्ल्ड कैंसर केयर चैरिटेबल सोसाइटी (World Cancer Care Charitable Society) के मालवा जोन के निदेशक सतपाल सिंह सिद्धू (Satpal Singh Sidhu) ने कहा कि उनके संगठन ने पंजाब के 75 प्रतिशत गांवों में मुफ्त कैंसर परीक्षण किया है और लोगों में कैंसर के बारे में जागरूकता पैदा की है. गांव में निशुल्क जांच की जाती है और इलाज भी निशुल्क किया जाता है. इसके अलावा पांच विशेष बसों का डिजाइन तैयार किया गया है, जिसमें करीब एक दर्जन कैंसर की जांच की जा सकेगी.

बढ़ते वायु प्रदूषण (air pollution), कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग और दवाओं के बढ़ते उपयोग को पंजाब में कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि के मुख्य कारणों के रूप में उद्धृत किया जा रहा है.

कैंसर विशेषज्ञों (Cancer experts ) का कहना है कि सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं का दावा भले ही कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर लोगों को ये सुविधाएं नहीं मिल रही हैं और कैंसर के मरीज अपनी जान गंवा रहे हैं.

पढ़ें - यूपी विधानसभा चुनाव : सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ेगा राष्ट्रीय किसान मंच

क्या कहते हैं आंकड़े

अकेले पंजाब के मालवा क्षेत्र में 2014-2016 के बीच कैंसर से 47,378 मौतें हुई हैं. 2014 में यहां 15,171 लोगों की कैंसर से मौत हो गई. 2015 में 15,784 के कारण जान गंवाई, जबकि 2016 में यह आंकड़ा 16,423 पहुंच गया.

2016 के बाद पंजाब सरकार ने कैंसर से होने वाली मौतों का ब्योरा साझा करने पर रोक लगा दी है.

पंजाब के मालवा बेल्ट में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) से पीड़ित महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है. यहां 30% मरीज गले के कैंसर (throat cancer) से पीड़ित हैं और 70% महिलाएं स्तन और ओवरियन कैंसर (ovarian cancer) से पीड़ित हैं.

एडवांस कैंसर केयर सेंटर, बठिंडा में रोजाना 70 से 80 कैंसर रोगियों को कीमोथेरेपी (chemotherapy) की जा रही है.

कैंसर ट्रेन की स्थिति

बीकानेर के लिए कैंसर रोगियों के लिए रात 9 बजे बठिंडा से एक कैंसर ट्रेन चलती थी. देश में कोविड ब्रेक के बाद इस ट्रेन को अस्थायी रूप से रोक दिया गया था. प्रति यात्री किराया सामान्य सीट के लिए 115 रुपये और स्लीपर सीट के लिए 220 रुपये था और यह सुबह करीब साढ़े चार बजे लालगढ़ पहुंचती है.

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