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क्या बिहार में भूकंप ला सकता है भारी तबाही, जानें कौन से जिले हैं अतिसंवेदनशील, एक्सपर्ट से लें सुझाव - ETV BHARAT BIHAR

Bihar Earthquake Alert: शुक्रवार को बिहार में भूकंप के झटके महसूस किए गए. हालांकि इसमें कोई क्षति नहीं हुई. अब सवाल उठता है कि आखिर भूकंप के दृष्टिकोण से बिहार कितना संवेदनशील है और सरकार की क्या तैयारियां है. ईटीवी भारत ने इसको लेकर एक्सपर्ट से बात की है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर.

बिहार में भूकंप ला सकता है भारी तबाही
बिहार में भूकंप ला सकता है भारी तबाही
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 4, 2023, 7:42 PM IST

भूकंप पर एक्सपर्ट की राय

पटना: नेपाल और भारत के कई हिस्‍सों में शुक्रवार देर रात तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए. इस दौरान बिहार में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. दरअसल, बिहार हाई स‍िजमिक जोन में स्थित है. ज‍िन जगहों पर भूकंप आने की संभावना होती है उन्‍हें भूकंपीय क्षेत्र या Seismic Zones कहते हैं.

बड़े भूकंप की आहट तो नहीं: भूकंप के हर पहलुओं पर जानकारी लेने के लिए ETV BHARAT पटना विश्वविद्यालय के साइंस कॉलेज के भूगर्भ विभाग के प्रोफेसर अतुल आदित्य पाण्डेय के पास पहुंची, जिन्होने विस्तार से बताया कि भूकंप होता क्या है? इसकी भविष्यवाणी क्यों नही की जाती है? बिहार में भूकंप का खतरा है या नहीं?

ईटीवी भारत GFX
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सवाल - क्या भूकंप की भविष्यवाणी की जा सकती है?

जवाब: जियोलॉजी डिपार्मेंट के प्रोफेसर अतुल आदित्य पांडेय बताते हैं कि भूकंप का जो अपना विज्ञान है और जो भूकंप से संबंधित शोध हो रहे हैं, उसमें बहुत तरह की जानकारी एकत्रित की जा रही है. जहां तक भूकंप के भविष्यवाणी का सवाल है कि भूकंप किस दिन आएगा, किस समय आएगा, कैसे आएगा, अभी तक विज्ञान में इस तरह की भविष्यवाणी नहीं की जा सकी है.

'भूकंप के दृष्टिकोण से काफी संवेदनशील है बिहार': पृथ्वी की संरचना के अनुसार पृथ्वी पर कई ऐसे क्षेत्र हैं इलाके हैं जो भूकंप की दृष्टिकोण से संवेदनशील हैं. जैसे हिमालय के जो इलाके हैं वो संवेदनशील हैं. यदि, हम बिहार की बात करें तो, नेपाल के साथ सटा हुआ है. हिमालय से नजदीक है, इसकी संरचना कुछ ऐसी है जो भूकंप संवेदनशील इलाका है.

सवाल - भूकंप क्यों और कैसे आता है?

जवाब: पृथ्वी कई अलग-अलग परतों में बनी हुई है. उसके सबसे ऊपरी परत को क्रेस्ट बोलते हैं. वह कई छोटे और बड़े टुकड़ों में बटी हुई है. जब यह टुकड़े कई बार एक दूसरे के साथ मिलते हैं तो कोलाइजन होती है और इस क्रम में दबाव और फोर्स लगते हैं. घर्षण से बड़े-बड़े चट्टान टूटते हैं और टूटने से जो ऊर्जा प्रवाहित होती है. वह भूकंप की तरंगों के माध्यम से एक इलाके से दूसरे इलाके में विस्थापित होती है.

ईटीवी भारत GFX
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सवाल- भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है?

जवाब- भूकंप का एक अपना विज्ञान है, जिसे हम समसियोलॉजी बोलते हैं. इसमें कई तरह की विशेषताएं आ गई हैं. कई तरह के विकास हुए हैं. भूकंप मापने के जो उपकरण हैं उसे हम लोग सिमसियोग्राफ कहते हैं. निजी तौर पर या फिर सरकारी संस्थाओं की तरफ से भी कई इलाकों में यह उपकरण लगाए गए हैं.

यहां लगाए गए हैं भूकंप मापी यंत्र: भारतीय मौसम विभाग के तरफ से उनके द्वारा यह स्थापित केंद्र कई जगह पर लगाए गए हैं. उन केंद्रों में भूकंप मापी यंत्र हैं. जब जमीन में हलचल होती है तो उस यंत्र से उस वाइब्रेशन को रिकॉर्ड किया जाता है और जैसा आप सभी जानते हैं कि भूकंप के तरंगों को हम प्राइमरी वेब, सेकेंडरी वेब, लव वेब जैसे कई तरह के वेव्स बताते हैं.

ऐसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता: उन तरंगों का यह सिमसियोग्राफ विश्लेषण करता है. विश्लेषण के बाद उसकी प्रक्रिया है, जिसमें हम तरंगों के पहुंचने का समय, उसकी गति और उसके फोर्सेज आदि आकलन के मुताबिक हम बताते हैं भूकंप की तीव्रता कितनी थी. जहां भूकंप आता है उस जगह से और उसके आसपास के इलाके कितने प्रभावित हुए हैं, उसे हम इंसेंटिसिटी माध्यम से मापते हैं.

सवाल- भूकंप को लेकर बिहार कितना संवेदनशील है?

जवाब: बिहार भूकंप के दृष्टिकोण से काफी संवेदनशील है. यह नेपाल से सटा हुआ है. नेपाल से सटे होने का मतलब यह हिमालय के साथ यह जुड़ा हुआ है. पृथ्वी के अंदर के सतह के बीच टक्कर होती है. उस टक्कर के कारण हिमालय में जो अपभ्रंश हैं, फॉल्ट है उस फॉल्ट के कारण भूकंप होता है.

बिहार के 38 जिलों में आठ जिले अतिसंवेदनशील: बिहार में आपदा प्राधिकरण और शोध से यह स्थापित हो चुका है कि भूकंप के कौन-कौन से ऐसे क्षेत्र हैं. हम सभी ने ऐसा देखा है कि बिहार के 38 जिलों में आठ जिले ऐसे हैं जो जोन पांच में आते हैं जो अतिसंवेदनशील हैं. कई ऐसे इलाके हैं जो जोन चार में आते हैं और बिहार के जो दक्षिण के इलाके हैं जोन तीन में आते हैं.

फॉल्ट क्या होता है?: बिहार की जो अपनी आंतरिक संरचना है, उसमें सतह के नीचे यानी गंगा के मैदानी भाग में बेसमेंट है. उसमें कई अपभ्रंश हैं, जिसे हम फॉल्ट बोलते हैं. ईस्ट पटना फॉल्ट, वेस्ट पटना फॉल्ट, मुंगेर सहरसा रेंज फॉल्ट, किशनगंज मालदा फॉल्ट, यह फॉल्ट जब ऊपर की परतों से टकराती तो भूकंप की संभावना बनती है. हालांकि अभी इसकी संभावना नहीं है.

सवाल : Seismic Zone क्‍या होता है?.

जवाब: स‍िजमिक जोन यानी भूकंपीय क्षेत्र ऐसे होते हैं, जहां भूकंप आने की बारंबारता अधिक है. नेपाल से जुड़े इलाकों में मधुबनी, अररिया, सीतामढ़ी , रक्सौल और किशनगंज आते हैं, जहां भूकंप आने की अधिकता ज्यादा है. यह अतिसंवेदनशील इलाके हैं.

भूकंप से सुरक्षित हैं ये जिले: जैसे-जैसे हम दक्षिण की ओर जाते हैं , भकंप की संवेदनशीलता कम होती जाती है. इनमें औरंगाबाद, पटना, गया, नवादा, नालंदा, जहानाबाद शामिल हैं. बिहार में तीन, चार और पांच भूकंपीय क्षेत्र है.

सवाल -भूकंप में क्‍या करें और क्‍या नहीं?

सवाल: भूकंप विज्ञान में यह कहा जाता है कि भूकंप से लोग नहीं मरते हैं. मानव जनित जो संरचनाएं हैं, जो भवन है, उनकी कमजोरी और भवन के गिरने से क्षति होती है और आपदा होती है. भूकंप से बचाव के लिए भूकंपरोधी संरचनाएं जरूर बननी चाहिए. मल्टी स्टोरी अपार्टमेंट है तो हमें जानना जरूरी है कि वह भूकंपरोधी है या नहीं.

पुराने मकानों की रिट्रोफिटिंग जरूरी: अगर कोई पुराना मकान है तो उस मकान को रिट्रोफिटिंग करना चाहिए ताकि वह भूकंप के झटकों को सह सके. भूकंप यदि आए तो हमारी पुरानी संरचना भी बची रहे. जहां हम रह रहे हैं उसका मजबूत होना बहुत जरूरी है.

किया जा रहा लोगों को जागरूक: अगर भूकंप आ जाता है तो हमें पैनिक नहीं करना चाहिए. जहां कहीं भी हम हैं मकान में है या ऊंचे इलाकों में है तो, हम खंभे वाले जगह पर चले जाएं, जो ऊंचे के इलाके हैं उसमें चले जाएं. प्रोफेसर अतुल आदित्य पाण्डेय ने बताया कि हम लोग आजकल विश्वविद्यालय में महाविद्यालय में जागरूकता का अभियान चला रहे हैं.

1934, जब बिहार से नेपाल तक हिल गई थी धरती: 5 जनवरी 1934 को भूकंप सबसे भयावह था. जान माल की भारी हानि हुई थी. 1934 के उस खौफनाक दृश्य को याद कर लोग आज भी सिहर जाते हैं. 1934 में रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 8.4 थी. उस दिन दोपहर 2:13 बजे पर भूकंप के झटके आए थे. जोर-जोर की गड़गड़ाहट लोगों की कानों में सुनाई दे रही थी. भूकंप के झटके से पूरा बिहार दहल गया था. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1934 के भूकंप में 7253 लोग मौत के मुंह में समा गए थे.

पढ़ें- Earthquake In Bihar: फिर याद आया 1934 का मंजर, जब भूकंप ने मचाई थी बिहार में भारी तबाही, छिन गईं थीं हजारों जिंदगियां

पढ़ें: Earthquake In Bihar: बिहार में भूकंप.. मोतिहारी, छपरा और गोपालगंज समेत इन जिलों में महसूस किए गए झटके

पढ़ें: नेपाल में भूकंप से भारी तबाही, 132 लोगों की मौत, भारत हर संभव सहायता के लिए तैयार

भूकंप पर एक्सपर्ट की राय

पटना: नेपाल और भारत के कई हिस्‍सों में शुक्रवार देर रात तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए. इस दौरान बिहार में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. दरअसल, बिहार हाई स‍िजमिक जोन में स्थित है. ज‍िन जगहों पर भूकंप आने की संभावना होती है उन्‍हें भूकंपीय क्षेत्र या Seismic Zones कहते हैं.

बड़े भूकंप की आहट तो नहीं: भूकंप के हर पहलुओं पर जानकारी लेने के लिए ETV BHARAT पटना विश्वविद्यालय के साइंस कॉलेज के भूगर्भ विभाग के प्रोफेसर अतुल आदित्य पाण्डेय के पास पहुंची, जिन्होने विस्तार से बताया कि भूकंप होता क्या है? इसकी भविष्यवाणी क्यों नही की जाती है? बिहार में भूकंप का खतरा है या नहीं?

ईटीवी भारत GFX
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सवाल - क्या भूकंप की भविष्यवाणी की जा सकती है?

जवाब: जियोलॉजी डिपार्मेंट के प्रोफेसर अतुल आदित्य पांडेय बताते हैं कि भूकंप का जो अपना विज्ञान है और जो भूकंप से संबंधित शोध हो रहे हैं, उसमें बहुत तरह की जानकारी एकत्रित की जा रही है. जहां तक भूकंप के भविष्यवाणी का सवाल है कि भूकंप किस दिन आएगा, किस समय आएगा, कैसे आएगा, अभी तक विज्ञान में इस तरह की भविष्यवाणी नहीं की जा सकी है.

'भूकंप के दृष्टिकोण से काफी संवेदनशील है बिहार': पृथ्वी की संरचना के अनुसार पृथ्वी पर कई ऐसे क्षेत्र हैं इलाके हैं जो भूकंप की दृष्टिकोण से संवेदनशील हैं. जैसे हिमालय के जो इलाके हैं वो संवेदनशील हैं. यदि, हम बिहार की बात करें तो, नेपाल के साथ सटा हुआ है. हिमालय से नजदीक है, इसकी संरचना कुछ ऐसी है जो भूकंप संवेदनशील इलाका है.

सवाल - भूकंप क्यों और कैसे आता है?

जवाब: पृथ्वी कई अलग-अलग परतों में बनी हुई है. उसके सबसे ऊपरी परत को क्रेस्ट बोलते हैं. वह कई छोटे और बड़े टुकड़ों में बटी हुई है. जब यह टुकड़े कई बार एक दूसरे के साथ मिलते हैं तो कोलाइजन होती है और इस क्रम में दबाव और फोर्स लगते हैं. घर्षण से बड़े-बड़े चट्टान टूटते हैं और टूटने से जो ऊर्जा प्रवाहित होती है. वह भूकंप की तरंगों के माध्यम से एक इलाके से दूसरे इलाके में विस्थापित होती है.

ईटीवी भारत GFX
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सवाल- भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है?

जवाब- भूकंप का एक अपना विज्ञान है, जिसे हम समसियोलॉजी बोलते हैं. इसमें कई तरह की विशेषताएं आ गई हैं. कई तरह के विकास हुए हैं. भूकंप मापने के जो उपकरण हैं उसे हम लोग सिमसियोग्राफ कहते हैं. निजी तौर पर या फिर सरकारी संस्थाओं की तरफ से भी कई इलाकों में यह उपकरण लगाए गए हैं.

यहां लगाए गए हैं भूकंप मापी यंत्र: भारतीय मौसम विभाग के तरफ से उनके द्वारा यह स्थापित केंद्र कई जगह पर लगाए गए हैं. उन केंद्रों में भूकंप मापी यंत्र हैं. जब जमीन में हलचल होती है तो उस यंत्र से उस वाइब्रेशन को रिकॉर्ड किया जाता है और जैसा आप सभी जानते हैं कि भूकंप के तरंगों को हम प्राइमरी वेब, सेकेंडरी वेब, लव वेब जैसे कई तरह के वेव्स बताते हैं.

ऐसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता: उन तरंगों का यह सिमसियोग्राफ विश्लेषण करता है. विश्लेषण के बाद उसकी प्रक्रिया है, जिसमें हम तरंगों के पहुंचने का समय, उसकी गति और उसके फोर्सेज आदि आकलन के मुताबिक हम बताते हैं भूकंप की तीव्रता कितनी थी. जहां भूकंप आता है उस जगह से और उसके आसपास के इलाके कितने प्रभावित हुए हैं, उसे हम इंसेंटिसिटी माध्यम से मापते हैं.

सवाल- भूकंप को लेकर बिहार कितना संवेदनशील है?

जवाब: बिहार भूकंप के दृष्टिकोण से काफी संवेदनशील है. यह नेपाल से सटा हुआ है. नेपाल से सटे होने का मतलब यह हिमालय के साथ यह जुड़ा हुआ है. पृथ्वी के अंदर के सतह के बीच टक्कर होती है. उस टक्कर के कारण हिमालय में जो अपभ्रंश हैं, फॉल्ट है उस फॉल्ट के कारण भूकंप होता है.

बिहार के 38 जिलों में आठ जिले अतिसंवेदनशील: बिहार में आपदा प्राधिकरण और शोध से यह स्थापित हो चुका है कि भूकंप के कौन-कौन से ऐसे क्षेत्र हैं. हम सभी ने ऐसा देखा है कि बिहार के 38 जिलों में आठ जिले ऐसे हैं जो जोन पांच में आते हैं जो अतिसंवेदनशील हैं. कई ऐसे इलाके हैं जो जोन चार में आते हैं और बिहार के जो दक्षिण के इलाके हैं जोन तीन में आते हैं.

फॉल्ट क्या होता है?: बिहार की जो अपनी आंतरिक संरचना है, उसमें सतह के नीचे यानी गंगा के मैदानी भाग में बेसमेंट है. उसमें कई अपभ्रंश हैं, जिसे हम फॉल्ट बोलते हैं. ईस्ट पटना फॉल्ट, वेस्ट पटना फॉल्ट, मुंगेर सहरसा रेंज फॉल्ट, किशनगंज मालदा फॉल्ट, यह फॉल्ट जब ऊपर की परतों से टकराती तो भूकंप की संभावना बनती है. हालांकि अभी इसकी संभावना नहीं है.

सवाल : Seismic Zone क्‍या होता है?.

जवाब: स‍िजमिक जोन यानी भूकंपीय क्षेत्र ऐसे होते हैं, जहां भूकंप आने की बारंबारता अधिक है. नेपाल से जुड़े इलाकों में मधुबनी, अररिया, सीतामढ़ी , रक्सौल और किशनगंज आते हैं, जहां भूकंप आने की अधिकता ज्यादा है. यह अतिसंवेदनशील इलाके हैं.

भूकंप से सुरक्षित हैं ये जिले: जैसे-जैसे हम दक्षिण की ओर जाते हैं , भकंप की संवेदनशीलता कम होती जाती है. इनमें औरंगाबाद, पटना, गया, नवादा, नालंदा, जहानाबाद शामिल हैं. बिहार में तीन, चार और पांच भूकंपीय क्षेत्र है.

सवाल -भूकंप में क्‍या करें और क्‍या नहीं?

सवाल: भूकंप विज्ञान में यह कहा जाता है कि भूकंप से लोग नहीं मरते हैं. मानव जनित जो संरचनाएं हैं, जो भवन है, उनकी कमजोरी और भवन के गिरने से क्षति होती है और आपदा होती है. भूकंप से बचाव के लिए भूकंपरोधी संरचनाएं जरूर बननी चाहिए. मल्टी स्टोरी अपार्टमेंट है तो हमें जानना जरूरी है कि वह भूकंपरोधी है या नहीं.

पुराने मकानों की रिट्रोफिटिंग जरूरी: अगर कोई पुराना मकान है तो उस मकान को रिट्रोफिटिंग करना चाहिए ताकि वह भूकंप के झटकों को सह सके. भूकंप यदि आए तो हमारी पुरानी संरचना भी बची रहे. जहां हम रह रहे हैं उसका मजबूत होना बहुत जरूरी है.

किया जा रहा लोगों को जागरूक: अगर भूकंप आ जाता है तो हमें पैनिक नहीं करना चाहिए. जहां कहीं भी हम हैं मकान में है या ऊंचे इलाकों में है तो, हम खंभे वाले जगह पर चले जाएं, जो ऊंचे के इलाके हैं उसमें चले जाएं. प्रोफेसर अतुल आदित्य पाण्डेय ने बताया कि हम लोग आजकल विश्वविद्यालय में महाविद्यालय में जागरूकता का अभियान चला रहे हैं.

1934, जब बिहार से नेपाल तक हिल गई थी धरती: 5 जनवरी 1934 को भूकंप सबसे भयावह था. जान माल की भारी हानि हुई थी. 1934 के उस खौफनाक दृश्य को याद कर लोग आज भी सिहर जाते हैं. 1934 में रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 8.4 थी. उस दिन दोपहर 2:13 बजे पर भूकंप के झटके आए थे. जोर-जोर की गड़गड़ाहट लोगों की कानों में सुनाई दे रही थी. भूकंप के झटके से पूरा बिहार दहल गया था. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1934 के भूकंप में 7253 लोग मौत के मुंह में समा गए थे.

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