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कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दिया बांग्लादेशी महिला के निर्वासन का आदेश

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक बांग्लादेशी महिला को उसके देश में निर्वासित करने का आदेश दिया है. क्योंकि वह वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी भारत में रहने की वजह से हिरासत में थी. हिरासत अवधि पूरी होने के बाद एक सुधार गृह में रह रही थी.

Calcutta
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Published : Aug 6, 2021, 3:03 PM IST

कोलकाता : न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक ने सुधार गृह के अधीक्षक को निर्देश दिया कि महिला को उसके निर्वासन के उद्देश्य के लिए उचित उपाय किया जाए. अदालत ने सुधार गृह के अधीक्षक को यह निर्देश दिया कि यदि आवश्यक हो तो पुलिस कर्मियों को बांग्लादेशी महिला के साथ हवाई अड्डे पर उसकी सुरक्षा में तैनात करें. क्योंकि उसने कहा था कि वह हवाई मार्ग से अपने देश जाना चाहती है.

महिला के वकील सौम्यजीत दास महापात्रा ने कहा कि मुंबई के एक डांस बार में काम करने वाली महिला वैध पासपोर्ट और वीजा के साथ भारत आई थी, लेकिन कोविड प्रतिबंधों के कारण समय पर वापस नहीं जा सकी.

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने उसे इस साल की शुरुआत में अवैध रूप से बांग्लादेश वापस जाने की कोशिश करते हुए पकड़ा था और उसे उत्तर 24 परगना जिले के स्वरूपनगर पुलिस स्टेशन को सौंप दिया गया था. जिला अदालत ने उसे दोषी ठहराते हुए महिला को 66 दिनों के कारावास की सजा सुनाई और 19 जून को हिरासत की अवधि पूरी हुई.

महापात्रा ने कहा कि उसके मूल देश वापस भेजने की प्रक्रिया में लंबे प्रशासनिक मुद्दों के कारण, महिला अपनी सजा पूरी करने के बावजूद सुधार गृह में रह रही है, जिसके निवारण के लिए उच्च न्यायालय का रुख करना पड़ा. अदालत ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार के एक विशेष सचिव ने 13 जुलाई को केंद्र सरकार से याचिकाकर्ता को हवाई मार्ग से तत्काल निर्वासित करने का अनुरोध किया था.

यह भी पढ़ें-सीबीआई, आईबी को SC ने लगाई फटकार, कहा- जजों की सुरक्षा के प्रति लापरवाह

न्यायमूर्ति बसाक ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता अपनी उड़ान के लिए हवाई टिकट खरीदेगी और सुधार गृह के अधीक्षक के समक्ष पेश करेगी, जहां वह वर्तमान में रह रही है. उन्होंने पुलिस अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शीघ्र कदम उठाने का निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता ऐसी उड़ान ले सके.

कोलकाता : न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक ने सुधार गृह के अधीक्षक को निर्देश दिया कि महिला को उसके निर्वासन के उद्देश्य के लिए उचित उपाय किया जाए. अदालत ने सुधार गृह के अधीक्षक को यह निर्देश दिया कि यदि आवश्यक हो तो पुलिस कर्मियों को बांग्लादेशी महिला के साथ हवाई अड्डे पर उसकी सुरक्षा में तैनात करें. क्योंकि उसने कहा था कि वह हवाई मार्ग से अपने देश जाना चाहती है.

महिला के वकील सौम्यजीत दास महापात्रा ने कहा कि मुंबई के एक डांस बार में काम करने वाली महिला वैध पासपोर्ट और वीजा के साथ भारत आई थी, लेकिन कोविड प्रतिबंधों के कारण समय पर वापस नहीं जा सकी.

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने उसे इस साल की शुरुआत में अवैध रूप से बांग्लादेश वापस जाने की कोशिश करते हुए पकड़ा था और उसे उत्तर 24 परगना जिले के स्वरूपनगर पुलिस स्टेशन को सौंप दिया गया था. जिला अदालत ने उसे दोषी ठहराते हुए महिला को 66 दिनों के कारावास की सजा सुनाई और 19 जून को हिरासत की अवधि पूरी हुई.

महापात्रा ने कहा कि उसके मूल देश वापस भेजने की प्रक्रिया में लंबे प्रशासनिक मुद्दों के कारण, महिला अपनी सजा पूरी करने के बावजूद सुधार गृह में रह रही है, जिसके निवारण के लिए उच्च न्यायालय का रुख करना पड़ा. अदालत ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार के एक विशेष सचिव ने 13 जुलाई को केंद्र सरकार से याचिकाकर्ता को हवाई मार्ग से तत्काल निर्वासित करने का अनुरोध किया था.

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न्यायमूर्ति बसाक ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता अपनी उड़ान के लिए हवाई टिकट खरीदेगी और सुधार गृह के अधीक्षक के समक्ष पेश करेगी, जहां वह वर्तमान में रह रही है. उन्होंने पुलिस अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शीघ्र कदम उठाने का निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता ऐसी उड़ान ले सके.

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