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कलकत्ता हाईकोर्ट ने अमर्त्य सेन को जमीन से बेदखल करने की संभावित कार्रवाई पर लगाई अंतरिम रोक - अमर्त्य सेन केस

नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन कलकत्ता हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाई कोर्ट ने अमर्त्य सेन को जमीन से बेदखल करने की संभावित कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी है.

Amartya Sen
अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन
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Published : May 4, 2023, 2:19 PM IST

कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट ने नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को शांति निकेतन स्थित उनके पुश्तैनी आवास 'प्रतिची' की कुछ भूमि से बेदखल करने की विश्व भारती विश्वविद्यालय की संभावित कार्रवाई पर बृहस्पतिवार को अंतरिम रोक लगा दी. सेन ने विश्व भारती विश्वविद्यालय की ओर से जारी उस बेदखली नोटिस के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसमें उनसे छह मई तक शांतिनिकेतन स्थित उनके पुश्तैनी आवास की 0.13 एकड़ भूमि खाली करने के लिए कहा गया है.

विश्व भारती विश्वविद्यालय का आरोप है कि सेन ने 0.13 एकड़ भूमि पर ‘अवैध रूप से कब्जा’ कर रखा है. उसने कहा है कि अगर सेन निर्धारित समयसीमा में कथित अनधिकृत कब्जे वाली जमीन को खाली नहीं करते हैं, तो उन्हें वहां से हटाने की कार्रवाई की जाएगी. न्यायमूर्ति बिभास रंजन डे की पीठ ने सेन के खिलाफ बेदखली की संभावित कार्रवाई पर उस समय तक अंतरिम रोक लगा दी, जब तक बीरभूम की निचली अदालत में इससे संबंधित याचिका पर सुनवाई नहीं हो जाती.

ये भी पढ़ें- Mamata Warns Visva Bharati: अमर्त्य सेन के शांतिनिकेतन स्थित घर को गिराने की कोशिश पर ममता ने दी धरने पर बैठने की चेतावनी

मालूम हो कि सेन ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के सूरी की एक अदालत में उनकी संभावित बेदखली पर रोक लगाने के अनुरोध को लेकर एक याचिका दायर की है, जिस पर सुनवाई के लिए 15 मई की तारीख तय की गई है. नोबेल विजेता अर्थशास्त्री ने अपनी याचिका में दलील दी है कि अक्टूबर 1943 में विश्व भारती के तत्कालीन महासचिव रतींद्रनाथ टैगोर ने उनके पिता आशुतोष सेन को 99 साल के पट्टे पर 1.38 एकड़ जमीन दी थी, जिन्होंने बाद में उस पर ‘प्रतिची’ का निर्माण किया.

(पीटीआई-भाषा)

कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट ने नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को शांति निकेतन स्थित उनके पुश्तैनी आवास 'प्रतिची' की कुछ भूमि से बेदखल करने की विश्व भारती विश्वविद्यालय की संभावित कार्रवाई पर बृहस्पतिवार को अंतरिम रोक लगा दी. सेन ने विश्व भारती विश्वविद्यालय की ओर से जारी उस बेदखली नोटिस के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसमें उनसे छह मई तक शांतिनिकेतन स्थित उनके पुश्तैनी आवास की 0.13 एकड़ भूमि खाली करने के लिए कहा गया है.

विश्व भारती विश्वविद्यालय का आरोप है कि सेन ने 0.13 एकड़ भूमि पर ‘अवैध रूप से कब्जा’ कर रखा है. उसने कहा है कि अगर सेन निर्धारित समयसीमा में कथित अनधिकृत कब्जे वाली जमीन को खाली नहीं करते हैं, तो उन्हें वहां से हटाने की कार्रवाई की जाएगी. न्यायमूर्ति बिभास रंजन डे की पीठ ने सेन के खिलाफ बेदखली की संभावित कार्रवाई पर उस समय तक अंतरिम रोक लगा दी, जब तक बीरभूम की निचली अदालत में इससे संबंधित याचिका पर सुनवाई नहीं हो जाती.

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मालूम हो कि सेन ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के सूरी की एक अदालत में उनकी संभावित बेदखली पर रोक लगाने के अनुरोध को लेकर एक याचिका दायर की है, जिस पर सुनवाई के लिए 15 मई की तारीख तय की गई है. नोबेल विजेता अर्थशास्त्री ने अपनी याचिका में दलील दी है कि अक्टूबर 1943 में विश्व भारती के तत्कालीन महासचिव रतींद्रनाथ टैगोर ने उनके पिता आशुतोष सेन को 99 साल के पट्टे पर 1.38 एकड़ जमीन दी थी, जिन्होंने बाद में उस पर ‘प्रतिची’ का निर्माण किया.

(पीटीआई-भाषा)

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