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Bihar CAG Report: कई वित्तीय अनियमितता का खुलासा, नगर निकायों में करोड़ों के UC सर्टिफिकेट लंबित

बिहार विधानसभा में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा वित्तीय वर्ष 31 मार्च 2000 और 31 मार्च 2021 के बीच समाप्त हुए वर्ष को लेकर स्थानीय निकाय से संबंधित रिपोर्ट पेश किया गया. रिपोर्ट में करोड़ों का एसी-डीसी बिल लंबित रखे जाने की जानकारी दी गई है. वहीं, पटना नगर निगम में कचरा संग्रहण से होने वाले राजस्व वसूली नहीं करने के कारण लगभग 9 करोड़ का राजस्व नुकसान हुआ है.

बिहार की कैग रिपोर्ट
बिहार की कैग रिपोर्ट
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Published : Jul 13, 2023, 9:45 PM IST

पटना: बिहार की कैग रिपोर्ट में 2002 से लेकर 2020 तक 9000 करोड़ से अधिक के एसी बिल बकाया रखने की जानकारी दी गई है. इसके अलावा जिला परिषद बेगूसराय द्वारा नवनिर्मित भवनों, दुकानों, मैरिज हॉल और गोदामों को स्वयं के स्त्रोतों से आय अर्जित करने के लिए पट्टे पर देने में विफलता के कारण 2 करोड़ 40 लाख रुपए के राजस्व नुकसान की जानकारी दी गई है. हजारों करोड़ के यूटीलाइजेशन सर्टिफिकेट(UC) भी लंबित पड़ा है.

ये भी पढ़ें: Bihar CAG: योजना की राशि नहीं खर्च कर पाया अल्पसंख्यक विभाग, CAG ऑडिट में खुलासा

वित्तीय अनियमितता की ओर इशारा: सीएजी ने स्थानीय निकाय से संबंधित अपनी रिपोर्ट में कई तरह के वित्तीय अनियमितता की ओर इशारा किया है. सीएजी की रिपोर्ट में अभी जानकारी दी गई है कि पंचायती राज विभाग ने वित्तीय वर्ष 2007-08 से 2020-21 के विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पंचायती राज संस्थाओं को 42940.69 करोड़ की राशि का अनुदान जारी किया गया लेकिन पंचायती राज संस्थाओं ने मार्च 20 22 तक मात्र 17917.69 करोड का यूसी प्रस्तुत किया, जो कुल राशि का 42% है.

कई जिला परिषद में राजस्व का नुकसान: जिला परिषद बेगूसराय द्वारा दो करोड़ 40 लाख रुपये के राजस्व नुकसान होने की बात कही गई है तो वहीं ग्राम पंचायत पटना द्वारा सड़क के निर्माण के संबंध में अग्रिम समायोजन एवं अनुदान संबंधित कोडल प्रावधानों का पालन नहीं किए जाने के कारण 7 लाख 33000 रुपए की गड़बड़ी की ओर इशारा किया गया है. जिला परिषद सारण की ओर से दुकान और हॉल आवंटन में शर्तों का पालन नहीं कर अनुचित लाभ पहुंचाने के कारण 96 लाख निविदा राशि जमा नहीं करने की जानकारी दी गई है.

यूसी सर्टिफिकेट अभी भी लंबित: उधर, जिला परिषद सुपौल द्वारा 71.95 लाख के धन के दुरुपयोग का जिक्र भी किया गया है. नगर विकास एवं आवास विभाग ने वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2020-21 के दौरान 10952.92 करोड़ के अनुदान की स्वीकृति दी थी लेकिन मार्च 2022 तक समायोजन के लिए 4984.78 करोड़ राशि के यूसी सर्टिफिकेट अभी भी लंबित पड़े हैं, जो कुल राशि का 40% है.

पटना नगर निगम को 8 करोड़ राजस्व की हानि: पटना नगर निगम द्वारा घर-घर कचरा संग्रहण सेवाएं प्रदान करने के लिए उपभोक्ता शुल्क की वसूली में विफल होने के कारण कम से कम 8.92 करोड़ राजस्व हानि की बात भी कही गई है. इसी तरह नगर निकायों में कई तरह की अनियमितता की ओर इशारा सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में की है. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में राज्य की नगर पालिकाओं में नगरपालिका लेखा समिति, विषय समिति और वार्ड समितियों के गठन नहीं किए जाने की बात भी कही है.

पटना: बिहार की कैग रिपोर्ट में 2002 से लेकर 2020 तक 9000 करोड़ से अधिक के एसी बिल बकाया रखने की जानकारी दी गई है. इसके अलावा जिला परिषद बेगूसराय द्वारा नवनिर्मित भवनों, दुकानों, मैरिज हॉल और गोदामों को स्वयं के स्त्रोतों से आय अर्जित करने के लिए पट्टे पर देने में विफलता के कारण 2 करोड़ 40 लाख रुपए के राजस्व नुकसान की जानकारी दी गई है. हजारों करोड़ के यूटीलाइजेशन सर्टिफिकेट(UC) भी लंबित पड़ा है.

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वित्तीय अनियमितता की ओर इशारा: सीएजी ने स्थानीय निकाय से संबंधित अपनी रिपोर्ट में कई तरह के वित्तीय अनियमितता की ओर इशारा किया है. सीएजी की रिपोर्ट में अभी जानकारी दी गई है कि पंचायती राज विभाग ने वित्तीय वर्ष 2007-08 से 2020-21 के विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पंचायती राज संस्थाओं को 42940.69 करोड़ की राशि का अनुदान जारी किया गया लेकिन पंचायती राज संस्थाओं ने मार्च 20 22 तक मात्र 17917.69 करोड का यूसी प्रस्तुत किया, जो कुल राशि का 42% है.

कई जिला परिषद में राजस्व का नुकसान: जिला परिषद बेगूसराय द्वारा दो करोड़ 40 लाख रुपये के राजस्व नुकसान होने की बात कही गई है तो वहीं ग्राम पंचायत पटना द्वारा सड़क के निर्माण के संबंध में अग्रिम समायोजन एवं अनुदान संबंधित कोडल प्रावधानों का पालन नहीं किए जाने के कारण 7 लाख 33000 रुपए की गड़बड़ी की ओर इशारा किया गया है. जिला परिषद सारण की ओर से दुकान और हॉल आवंटन में शर्तों का पालन नहीं कर अनुचित लाभ पहुंचाने के कारण 96 लाख निविदा राशि जमा नहीं करने की जानकारी दी गई है.

यूसी सर्टिफिकेट अभी भी लंबित: उधर, जिला परिषद सुपौल द्वारा 71.95 लाख के धन के दुरुपयोग का जिक्र भी किया गया है. नगर विकास एवं आवास विभाग ने वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2020-21 के दौरान 10952.92 करोड़ के अनुदान की स्वीकृति दी थी लेकिन मार्च 2022 तक समायोजन के लिए 4984.78 करोड़ राशि के यूसी सर्टिफिकेट अभी भी लंबित पड़े हैं, जो कुल राशि का 40% है.

पटना नगर निगम को 8 करोड़ राजस्व की हानि: पटना नगर निगम द्वारा घर-घर कचरा संग्रहण सेवाएं प्रदान करने के लिए उपभोक्ता शुल्क की वसूली में विफल होने के कारण कम से कम 8.92 करोड़ राजस्व हानि की बात भी कही गई है. इसी तरह नगर निकायों में कई तरह की अनियमितता की ओर इशारा सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में की है. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में राज्य की नगर पालिकाओं में नगरपालिका लेखा समिति, विषय समिति और वार्ड समितियों के गठन नहीं किए जाने की बात भी कही है.

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