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कैग ने मृतक कर्मचारियों के परिवारों के लिए पेंशन योजना पर असम सरकार की खिंचाई की - सीएफपी योजना असम सरकार

CAG ने असम सरकार को अनुकम्पा पारिवारिक पेंशन योजना की समीक्षा करने के लिए कहा है. क्योंकि यह योजना न केवल कानूनी सिद्धांतों का उल्लंघन करती है, बल्कि इससे राज्य के कोष पर सालाना 156.91 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी बढ़ा है. पढ़ें पूरी खबर...

पेंशन योजना
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Published : Jul 18, 2021, 6:32 PM IST

गुवाहाटी : भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने असम सरकार को अनुकम्पा पारिवारिक पेंशन योजना (Compassionate Family Pension Scheme) की समीक्षा करने के लिए कहा है, क्योंकि यह न केवल कानूनी सिद्धांतों का उल्लंघन करती है बल्कि इससे राज्य के कोष पर सालाना 156.91 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी बढ़ा है.

CAG ने विधानसभा के बजट सत्र में रखी 2019 के लिए अपनी रिपोर्ट में कहा कि राज्य सरकार ने CFP योजना के लिए अलग से बजट का आवंटन करने के लिए नहीं कहा और 'पेंशन' के तहत पूरा खर्च इसमें से लेना बजट का उल्लंघन है.

इससे पहले, मेडिकल आधार पर अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों या सेवा में रहते हुए मारे गए कर्मियों के योग्य वारिसों की नियुक्त में देरी के कारण 2017 से पहले लागू अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति (सीए) योजना का प्रभावी प्रबंधन नहीं किया गया तथा इसका दस्तावेजीकरण भी अधूरा था और उसमें विसंगतियां थी.

रिपोर्ट में कहा गया है, 'इन विसंगतियों को दूर करने के बजाय राज्य सरकार ने सीएफपी योजना शुरू की.'

कैग ने कहा कि इसके अलावा राज्य सरकार ने अखिल भारतीय सेवा (All India Service) के अधिकारियों को शामिल करने के लिए सीएफपी योजना के लाभों को बढ़ा दिया, जिनकी पेंशन और पारिवारिक पेंशन का खर्च केंद्र सरकार वहन करती है और उसने केंद्र से विचार-विमर्श किए बगैर ऐसा किया.

पढ़ें : पीएफआरडीए के तहत पेंशन कोष 6 लाख करोड़ रुपये से पार

रिपार्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी और मृत्यु दर तथा संक्रमित मामलों की उच्च दर के कारण राज्य के कोष पर वित्तीय बोझ आने वाले वर्षों में बढ़ सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

गुवाहाटी : भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने असम सरकार को अनुकम्पा पारिवारिक पेंशन योजना (Compassionate Family Pension Scheme) की समीक्षा करने के लिए कहा है, क्योंकि यह न केवल कानूनी सिद्धांतों का उल्लंघन करती है बल्कि इससे राज्य के कोष पर सालाना 156.91 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी बढ़ा है.

CAG ने विधानसभा के बजट सत्र में रखी 2019 के लिए अपनी रिपोर्ट में कहा कि राज्य सरकार ने CFP योजना के लिए अलग से बजट का आवंटन करने के लिए नहीं कहा और 'पेंशन' के तहत पूरा खर्च इसमें से लेना बजट का उल्लंघन है.

इससे पहले, मेडिकल आधार पर अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों या सेवा में रहते हुए मारे गए कर्मियों के योग्य वारिसों की नियुक्त में देरी के कारण 2017 से पहले लागू अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति (सीए) योजना का प्रभावी प्रबंधन नहीं किया गया तथा इसका दस्तावेजीकरण भी अधूरा था और उसमें विसंगतियां थी.

रिपोर्ट में कहा गया है, 'इन विसंगतियों को दूर करने के बजाय राज्य सरकार ने सीएफपी योजना शुरू की.'

कैग ने कहा कि इसके अलावा राज्य सरकार ने अखिल भारतीय सेवा (All India Service) के अधिकारियों को शामिल करने के लिए सीएफपी योजना के लाभों को बढ़ा दिया, जिनकी पेंशन और पारिवारिक पेंशन का खर्च केंद्र सरकार वहन करती है और उसने केंद्र से विचार-विमर्श किए बगैर ऐसा किया.

पढ़ें : पीएफआरडीए के तहत पेंशन कोष 6 लाख करोड़ रुपये से पार

रिपार्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी और मृत्यु दर तथा संक्रमित मामलों की उच्च दर के कारण राज्य के कोष पर वित्तीय बोझ आने वाले वर्षों में बढ़ सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

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