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कैबिनेट सचिव ने कोविड-19 की स्थिति को लेकर समीक्षा बैठक की

सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और स्वास्थ्य सचिवों के साथ उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता के बाद कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने इन राज्यों को संक्रमण रोकने के लिए कड़े कदम उठाने को कहा.

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Published : Apr 2, 2021, 10:52 PM IST

राजीव गौबा
राजीव गौबा

नई दिल्ली : केंद्र ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 के रोजाना के मामलों में वृद्धि के कारण चिंताजनक स्थिति वाले 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने रोकथाम गतिविधियों को लागू करने में तेजी नहीं दिखाई है.

सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और स्वास्थ्य सचिवों के साथ उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता के बाद कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने इन राज्यों को संक्रमण रोकने के लिए कड़े कदम उठाने को कहा.

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक चिंताजनक स्थिति वाले 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, केरल, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, दिल्ली और हरियाणा हैं.

मंत्रालय ने कहा कि 31 मार्च तक 14 दिनों में कोविड-19 के मामलों में इन राज्यों का योगदान 90 प्रतिशत, मौत के मामले में 90.5 प्रतिशत हैं और कई राज्य पिछले साल के शीर्ष मामलों को पार कर चुके हैं या उसके करीब हैं.

बैठक में राज्यों द्वारा तुरंत अनुपालन के लिए नियमों का उल्लंघन करने वालों पर पुलिस कानून, आपदा प्रबंधन कानून और अन्य कानूनी और प्रशासनिक प्रावधानों के तहत जुर्माना लगाने की जरूरत पर विचार-विमर्श हुआ.

बैठक में एक और चिंताजनक पहलू का उल्लेख किया गया कि टीयर-दो और टीयर-तीन के शहरों के साथ शहरों के आसपास के इलाके में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि हो रही है और इन इलाकों से ग्रामीण इलाकों में संक्रमण का प्रसार होने पर कमजोर स्वास्थ्य ढांचे के साथ स्थानीय प्रशासन पर दबाव बढ़ेगा.

पिछले पखवाड़े में कोविड-19 के कारण बिगड़ती स्थिति का संज्ञान लेते हुए कैबिनेट सचिव ने उल्लेख किया कि पिछले साल जून में मामलों में वृद्धि की दर 5.5 प्रतिशत थी, जो मार्च 2021 में बढ़कर 6.8 प्रतिशत हो गयी. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इस अवधि में कोविड-19 से मौत के रोजाना मामलों की वृद्धि दर भी 5.5 प्रतिशत हो गयी है.

सितंबर 2020 में महामारी की चरम स्थिति के दौरान कोविड-19 के 97,000 नए मामले आए थे, वहीं अब संक्रमण के 81,000 मामले आए हैं.

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा उठाए गए कदमों की विस्तृत और सघन समीक्षा के बाद गौबा ने दोहराया कि रोकथाम के संबंध में ठोस प्रयास करने की जरूरत है और टीकाकरण बढ़ाते हुए तथा कोविड-19 के संबंध में उचित व्यवहार अपनाने पर जोर देते हुए निगरानी के कदम उठाए जाएं.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, 'केंद्रीय गृह सचिव ने उल्लेख किया कि जिन 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कोविड-19 के रोजाना के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, वहां रोकथाम गतिविधियों को लागू करने तेजी नहीं दिखायी गयी है. उन्होंने इस संबंध में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों से उपयुक्त कड़े कदम उठाने को कहा.'

बयान के मुताबिक, यह उल्लेख किया गया कि खासकर महाराष्ट्र की स्थिति बहुत चिंताजनक है. राज्य को मामलों की रोकथाम के लिए तुरंत और ज्यादा प्रभावी कदम उठाने को कहा गया.

पढ़ें - नंदीग्राम में चुनाव नियमों के 'उल्लंघन' पर BJP ने की ममता के खिलाफ आयोग से कार्रवाई की मांग

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने जीनोम अनुक्रमण के लिए वायरस के बदले स्वरूप पर और विस्तृत अध्ययन को लेकर राज्यों द्वारा क्लीनिकल और महामारी संबंधी आंकड़े साझा करने की जरूरत को रेखांकित किया.

राज्यों से जांच में भी वृद्धि करने को कहा गया ताकि संक्रमण दर पांच प्रतिशत से कम रहे. कुल नमूनों की जांच में 70 प्रतिशत आरटी-पीसीआर तरीके से जांच करने पर भी ध्यान केंद्रित करने को कहा गया.

राज्यों से कहा गया कि प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए 25 से 30 लोगों का पता लगाया जाए और 72 घंटे के भीतर उन्हें पृथक-वास में भेज दिया जाए। इसके अलावा ऑक्सीजन की आपूर्ति, एंबुलेंस की संख्या बढ़ाने और जल्द से जल्द मरीजों तक पहुंचने पर भी जोर दिया गया.

नई दिल्ली : केंद्र ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 के रोजाना के मामलों में वृद्धि के कारण चिंताजनक स्थिति वाले 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने रोकथाम गतिविधियों को लागू करने में तेजी नहीं दिखाई है.

सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और स्वास्थ्य सचिवों के साथ उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता के बाद कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने इन राज्यों को संक्रमण रोकने के लिए कड़े कदम उठाने को कहा.

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक चिंताजनक स्थिति वाले 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, केरल, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, दिल्ली और हरियाणा हैं.

मंत्रालय ने कहा कि 31 मार्च तक 14 दिनों में कोविड-19 के मामलों में इन राज्यों का योगदान 90 प्रतिशत, मौत के मामले में 90.5 प्रतिशत हैं और कई राज्य पिछले साल के शीर्ष मामलों को पार कर चुके हैं या उसके करीब हैं.

बैठक में राज्यों द्वारा तुरंत अनुपालन के लिए नियमों का उल्लंघन करने वालों पर पुलिस कानून, आपदा प्रबंधन कानून और अन्य कानूनी और प्रशासनिक प्रावधानों के तहत जुर्माना लगाने की जरूरत पर विचार-विमर्श हुआ.

बैठक में एक और चिंताजनक पहलू का उल्लेख किया गया कि टीयर-दो और टीयर-तीन के शहरों के साथ शहरों के आसपास के इलाके में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि हो रही है और इन इलाकों से ग्रामीण इलाकों में संक्रमण का प्रसार होने पर कमजोर स्वास्थ्य ढांचे के साथ स्थानीय प्रशासन पर दबाव बढ़ेगा.

पिछले पखवाड़े में कोविड-19 के कारण बिगड़ती स्थिति का संज्ञान लेते हुए कैबिनेट सचिव ने उल्लेख किया कि पिछले साल जून में मामलों में वृद्धि की दर 5.5 प्रतिशत थी, जो मार्च 2021 में बढ़कर 6.8 प्रतिशत हो गयी. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इस अवधि में कोविड-19 से मौत के रोजाना मामलों की वृद्धि दर भी 5.5 प्रतिशत हो गयी है.

सितंबर 2020 में महामारी की चरम स्थिति के दौरान कोविड-19 के 97,000 नए मामले आए थे, वहीं अब संक्रमण के 81,000 मामले आए हैं.

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा उठाए गए कदमों की विस्तृत और सघन समीक्षा के बाद गौबा ने दोहराया कि रोकथाम के संबंध में ठोस प्रयास करने की जरूरत है और टीकाकरण बढ़ाते हुए तथा कोविड-19 के संबंध में उचित व्यवहार अपनाने पर जोर देते हुए निगरानी के कदम उठाए जाएं.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, 'केंद्रीय गृह सचिव ने उल्लेख किया कि जिन 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कोविड-19 के रोजाना के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, वहां रोकथाम गतिविधियों को लागू करने तेजी नहीं दिखायी गयी है. उन्होंने इस संबंध में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों से उपयुक्त कड़े कदम उठाने को कहा.'

बयान के मुताबिक, यह उल्लेख किया गया कि खासकर महाराष्ट्र की स्थिति बहुत चिंताजनक है. राज्य को मामलों की रोकथाम के लिए तुरंत और ज्यादा प्रभावी कदम उठाने को कहा गया.

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नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने जीनोम अनुक्रमण के लिए वायरस के बदले स्वरूप पर और विस्तृत अध्ययन को लेकर राज्यों द्वारा क्लीनिकल और महामारी संबंधी आंकड़े साझा करने की जरूरत को रेखांकित किया.

राज्यों से जांच में भी वृद्धि करने को कहा गया ताकि संक्रमण दर पांच प्रतिशत से कम रहे. कुल नमूनों की जांच में 70 प्रतिशत आरटी-पीसीआर तरीके से जांच करने पर भी ध्यान केंद्रित करने को कहा गया.

राज्यों से कहा गया कि प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए 25 से 30 लोगों का पता लगाया जाए और 72 घंटे के भीतर उन्हें पृथक-वास में भेज दिया जाए। इसके अलावा ऑक्सीजन की आपूर्ति, एंबुलेंस की संख्या बढ़ाने और जल्द से जल्द मरीजों तक पहुंचने पर भी जोर दिया गया.

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