नई दिल्ली : सरकार ने कोरोबार सुगमता को और बढ़ाने तथा स्टार्टअप परिवेश को प्रोत्साहित करने के लिये बुधवार को सीमित जवाबदेही भागीदारी (एलएलपी) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी. इसके तहत अधिनियम के 12 अपराधों को आपराधिक श्रेणी से हटाया गया है. इसके अलावा, संशोधित कानून के तहत छोटे एलएलपी के लिये परिभाषा पेश की जाएगी.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एलएलपी कानून में संशोधन को मंजूरी दी. यह पहली बार है जब 2009 में कानून के अमल में आने के बाद बदलाव किये गये हैं.
वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा, कारोबार सुगमता के लिये कंपनी कानून, 2013 में कई बदलाव किये गये हैं और इसी प्रकार का बदलाव एलएलपी में किये गये हैं क्योंकि एलएलपी स्टार्टअप के बीच ज्यादा लोकप्रिय है.
फिलहाल, 24 दंडनीय प्रावधान और 21 सुलह वाले यानी कम्पाउडेबल अपराध की श्रेणी में हैं. वहीं तीन गंभीर श्रेणी के अपराध में शामिल हैं.
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सीतारमण ने कहा कि इस मंजूरी से अन्य बातों के अलावा अधिनियम में दंडात्मक प्रावधानों की कुल संख्या घटकर 22 रह जाएगी, जबकि सुलह के जरिये मामलों को निपटाने वाले अपराधों (कम्पाउंडेबल ऑफेन्स) की संख्या केवल सात रह जाएगी. साथ ही गंभीर अपराधों की संख्या तीन होगी और इन-हाउस एडजुडिकेशन व्यवस्था (आईएम) यानी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त निर्णायक अधिकारी के आदेश के तहत निपटाए जाने वाले चूक की संख्या केवल 12 रह जाएंगी.
उन्होंने कहा, इस प्रकार एलएलपी के लिये 12 अपराधों को आपराधिक श्रेणी से अलग किया गया है. तीन धाराओं को पूरी तरह से छोड़ दिया गया है.
वित्त मंत्री ने कहा, ये परिवर्तन एलएलपी को कंपनी अधिनियम के तहत आने वाली कंपनियों के साथ समान अवसर उपलब्ध कराने में मदद करेंगे.
उन्होंने कहा, हम अंतर को कम कर रहे हैं और एलएलपी को अधिक आकर्षक और उपयोग के हिसाब से आसान बना रहे हैं. स्टार्टअप आज एलएलपी मॉडल को तरजीह देते हैं, ऐसे में इस कदम से वे कारोबार सुगमता के मामले में खुद को अन्य कंपनियों के समान पाएंगे.
इसके अलावा सरकार छोटे एलएलपी के लिये उनके कारोबार आकार और भागीदारों के योगदान के आधार पर नई परिभाषा पेश करेगी.
(भाषा)