ETV Bharat / bharat

उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए चेतावनी : संयुक्त किसान मोर्चा

संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए चेतावनी हैं. यदि वह लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियों में सुधार नहीं करते हैं तो भाजपा को इसके नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहना पड़ेगा.

संयुक्त किसान मोर्चा
संयुक्त किसान मोर्चा
author img

By

Published : Nov 2, 2021, 7:07 PM IST

नई दिल्ली : देश के 14 राज्यों में 29 विधानसभा सीटों और तीन लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे मंगलवार को घोषित होने के बाद राजनीतिक पार्टियों में जीत का श्रेय और हार के मुद्दे बताने की होड़ लग गई. वहीं, राजनीतिक पार्टियों से अलग कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने इसे भाजपा के लिए एक चेतावनी करार दिया.

हालांकि आंकड़े देखें तो उपचुनाव के नतीजों में मिला-जुला असर दिखाई देता है और साफ तौर पर केवल किसान आंदोलन के कारण भाजपा और उसके घटक दलों को नुकसान हुआ ऐसा नहीं कहा जा सकता है.

हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में जरूर भाजपा को निराश होना पड़ा है. हालांकि हरियाणा की ऐलनाबाद विधानसभा सीट पहले भी इनेलो के पास ही थी और अभय चौटाला ही यहां से विधायक थे. कृषि कानूनों के मुद्दे पर किसानों के समर्थन में उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. जब दोबारा अपनी सीट से चुनाव लड़े तो पिछले चुनाव की तुलना में उनका वोट बढ़ने की बजाय घट गया लेकिन अभय चौटाला जीत दर्ज करने में सफल रहे हैं. ऐसे में हरियाणा की सीट पर किसान आंदोलन का कोई खास असर नहीं दिखता.

हिमाचल प्रदेश के नतीजे भाजपा के लिए एक बड़ी चिंता का सबब हो सकते हैं, क्योंकि यहां तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव के नतीजों में सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा. भाजपा शासित राज्य में भाजपा के लिए यह बड़ी हार है. कांग्रेस पार्टी ने इसे मौजूदा सरकार के खिलाफ जनादेश बताया तो वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने इसे किसानों में असंतोष के कारण भाजपा को चेतावनी बताया है.

किसान मोर्चा का दावा रहा है कि तेलंगाना से उन्हें किसान संगठनों का व्यापक समर्थन है और वहां के किसानों में मोदी सरकार के प्रति भारी असंतोष है. हालांकि तेलंगाना की हुजूराबाद सीट पर हुए उपचुनाव की गिनती में भाजपा के उम्मीदवार आगे चल रहे थे. उनकी जीत लगभग सुनिश्चित बताई जा रही है. आंध्र प्रदेश में बड़वेल विधानसभा सीट पर वाईएसआर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रहा और पार्टी 90 हजार के बड़े मार्जिन से जीती.

मध्य प्रदेश में सभी सीटों पर भाजपा की जीत

कर्नाटक में भाजपा और कांग्रेस ने एक-एक सीट जीती है. वहीं मध्य प्रदेश उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए अच्छी खबर है. यहां एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे जिसमें से सभी सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार ही विजयी हुए हैं.

वहीं, कांग्रेस शासित राजस्थान में दोनों सीटों पर कांग्रेस की जीत ने गहलोत सरकार की लोकप्रियता पर मोहर लगा दी है.

असम में भाजपा गठबंधन ने सभी पांच सीटों पर जीत दर्ज की है तो बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने चारों सीटों पर कब्जा किया है. भाजपा के घटक दल जेडीयू ने बिहार में दोनों विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की है. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि अलग-अलग राज्यों में राजनीतिक पार्टियों के अपने प्रभाव और प्रचार पर ये नतीजे आये हैं.

यह भी पढ़ें- उपचुनाव में मिली हार के बाद भाजपा के सीएम भी मानने लगे, महंगाई ने किया बेड़ा गर्क

संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि उपचुनाव के ये नतीजे भाजपा के लिए चेतावनी हैं. यदि वह लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियों में सुधार नहीं करते हैं तो भाजपा को इसके नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहना पड़ेगा.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के उस बयान का संयुक्त किसान मोर्चा ने समर्थन किया है जिसमें खट्टर ने किसानों के मुद्दे का हल बातचीत से सुलझाने की बात कही है, लेकिन साथ ही मोर्चा ने कहा है कि खट्टर कृषि कानूनों का समर्थन कर गलती कर रहे हैं.

नई दिल्ली : देश के 14 राज्यों में 29 विधानसभा सीटों और तीन लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे मंगलवार को घोषित होने के बाद राजनीतिक पार्टियों में जीत का श्रेय और हार के मुद्दे बताने की होड़ लग गई. वहीं, राजनीतिक पार्टियों से अलग कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने इसे भाजपा के लिए एक चेतावनी करार दिया.

हालांकि आंकड़े देखें तो उपचुनाव के नतीजों में मिला-जुला असर दिखाई देता है और साफ तौर पर केवल किसान आंदोलन के कारण भाजपा और उसके घटक दलों को नुकसान हुआ ऐसा नहीं कहा जा सकता है.

हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में जरूर भाजपा को निराश होना पड़ा है. हालांकि हरियाणा की ऐलनाबाद विधानसभा सीट पहले भी इनेलो के पास ही थी और अभय चौटाला ही यहां से विधायक थे. कृषि कानूनों के मुद्दे पर किसानों के समर्थन में उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. जब दोबारा अपनी सीट से चुनाव लड़े तो पिछले चुनाव की तुलना में उनका वोट बढ़ने की बजाय घट गया लेकिन अभय चौटाला जीत दर्ज करने में सफल रहे हैं. ऐसे में हरियाणा की सीट पर किसान आंदोलन का कोई खास असर नहीं दिखता.

हिमाचल प्रदेश के नतीजे भाजपा के लिए एक बड़ी चिंता का सबब हो सकते हैं, क्योंकि यहां तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव के नतीजों में सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा. भाजपा शासित राज्य में भाजपा के लिए यह बड़ी हार है. कांग्रेस पार्टी ने इसे मौजूदा सरकार के खिलाफ जनादेश बताया तो वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने इसे किसानों में असंतोष के कारण भाजपा को चेतावनी बताया है.

किसान मोर्चा का दावा रहा है कि तेलंगाना से उन्हें किसान संगठनों का व्यापक समर्थन है और वहां के किसानों में मोदी सरकार के प्रति भारी असंतोष है. हालांकि तेलंगाना की हुजूराबाद सीट पर हुए उपचुनाव की गिनती में भाजपा के उम्मीदवार आगे चल रहे थे. उनकी जीत लगभग सुनिश्चित बताई जा रही है. आंध्र प्रदेश में बड़वेल विधानसभा सीट पर वाईएसआर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रहा और पार्टी 90 हजार के बड़े मार्जिन से जीती.

मध्य प्रदेश में सभी सीटों पर भाजपा की जीत

कर्नाटक में भाजपा और कांग्रेस ने एक-एक सीट जीती है. वहीं मध्य प्रदेश उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए अच्छी खबर है. यहां एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे जिसमें से सभी सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार ही विजयी हुए हैं.

वहीं, कांग्रेस शासित राजस्थान में दोनों सीटों पर कांग्रेस की जीत ने गहलोत सरकार की लोकप्रियता पर मोहर लगा दी है.

असम में भाजपा गठबंधन ने सभी पांच सीटों पर जीत दर्ज की है तो बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने चारों सीटों पर कब्जा किया है. भाजपा के घटक दल जेडीयू ने बिहार में दोनों विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की है. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि अलग-अलग राज्यों में राजनीतिक पार्टियों के अपने प्रभाव और प्रचार पर ये नतीजे आये हैं.

यह भी पढ़ें- उपचुनाव में मिली हार के बाद भाजपा के सीएम भी मानने लगे, महंगाई ने किया बेड़ा गर्क

संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि उपचुनाव के ये नतीजे भाजपा के लिए चेतावनी हैं. यदि वह लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियों में सुधार नहीं करते हैं तो भाजपा को इसके नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहना पड़ेगा.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के उस बयान का संयुक्त किसान मोर्चा ने समर्थन किया है जिसमें खट्टर ने किसानों के मुद्दे का हल बातचीत से सुलझाने की बात कही है, लेकिन साथ ही मोर्चा ने कहा है कि खट्टर कृषि कानूनों का समर्थन कर गलती कर रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.