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मखमली बुग्यालों के बीच दूध-मक्खन से खेली गई होली, धूमधाम से मनाया गया बटर फेस्टिवल

Butter Festival Uttarakhand उत्तराखंड में कई ऐसे पर्व और तीज त्यौहार हैं. जो प्रकृति से जुड़े हैं. इनमें घी संक्रांति और अढूंडी उत्सव भी शामिल है. आज जहां कुमाऊं में लोकपर्व घी संक्रांति यानी घ्यू या ओल्गिया त्यार मनाया जा रहा है तो वहीं, उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल में अढूंडी उत्सव यानी बटर फेस्टिवल मनाया गया है. यह पर्व पूरी तरह से कुदरत को समर्पित है. बटर फेस्टिवल में दूध, दही और मक्खन की होली खेली गई.

Butter Festival Uttarkhand
दयारा बुग्याल में अढूंडी उत्सव की धूम
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Published : Aug 17, 2023, 6:51 PM IST

Updated : Aug 17, 2023, 11:03 PM IST

दयारा बुग्याल में अढूंडी उत्सव की धूम

उत्तरकाशी (उत्तराखंड): फाल्गुन माह की होली के रंगों में तो सभी सराबोर होते हैं, लेकिन उपला टकनौर क्षेत्र में आयोजित मक्खन और मट्ठा के साथ खेली जाने वाली होली अंढूड़ी की अलग ही पहचान है. इस बार भी दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल (अंढूड़ी उत्सव) समेश्वर देव डोली और पांडव पश्वों के सानिध्य में धूमधाम से मनाई गई. इस दौरान कृष्ण और राधा के मटकी फोड़ने के बाद पंचगाई पट्टी समेत आसपास के ग्रामीणों ने दूध, दही एवं मक्खन की होली खेली. गुलाल की जगह एक दूसरे पर लोगों ने दूध मक्खन लगाकर रासो तांदी नृत्य का किया.

Butter Festival Uttarakhand
उत्तराखंड के दयारा बुग्याल में अढूंडी उत्सव

बता दें कि उत्तरकाशी जिले में करीब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित दयारा बुग्याल में अंढूड़ी उत्सव पारंपरिक तरीके से मनाया गया. दयारा पर्यटन उत्सव समिति के तत्वाधान में पंचगाई रैथल समेत नटीण, बंद्राणी, क्यार्क, भटवाड़ी के आराध्य समेश्वर देवता की डोली और पांच पांडवों के पश्वा दयारा बुग्याल पहुंचे. इसके साथ ही जिले के अन्य स्थानों से भी लोग दयारा बुग्याल पहुंचे. जहां पर पहले पांच पांडव के पश्वा अवतरित हुए. उसके बाद समेश्वर देवता की डोली के साथ उनके पश्वा भी अवतरित हुए.

Butter Festival Uttarakhand
दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल

अंढूड़ी उत्सव के मौके पर लोक परंपरा के अनुसार, समेश्वर देवता ने कफुवा पर डांगरियों (छोटी कुल्हाड़ी) पर चलकर मेलार्थियों को आशीर्वाद दिया. उसके बाद बुग्याल में स्थित छानियों में एकत्रित दूध दही और मक्खन को वन देवताओं समेत स्थानीय देवी देवताओं को भोग चढ़ाया गया. वहीं, राधा-कृष्ण ने मक्खन की हांडी तोड़ी, फिर बटर फेस्टिवल का जश्न शुरू हुआ. ग्रामीणों ने एक दूसरे पर गुलाल के स्थान पर दूध मक्खन लगाकर होली खेली.

ये भी पढ़ेंः स्पेन के 'ला टोमाटीना' से खास है उत्तराखंड का बटर फेस्टिवल, 11 हजार फीट पर खेली जाती है मक्खन की होली

वहीं, दूध मक्खन की होली के बाद महिलाओं ने पारंपरिक परिधान में राधा-कृष्ण की जोड़ी के साथ रासो तांदी नृत्य किया. वहीं, इसमें पुरुषों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. यह उत्सव काफी पौराणिक है. ग्रामीण बुग्यालों से अपने मवेशियों को जब अपने घरों की ओर वापसी करते हैं तो इस मौके पर ग्रामीण दूध, दही, मक्खन को वन और स्थानीय देवताओं को चढ़ाकर आशीर्वाद लेते हैं.

Butter Festival Uttarakhand
दयारा बुग्याल में देवी डोलियां

दयारा पर्यटन उत्सव समिति के अध्यक्ष मनोज राणा ने बताया कि पशुपालन पर टिकी आजीविका के चलते ग्रामीण सुख समृद्धि की कामना करते करते हैं. इसी को लेकर सालों से दयारा बुग्याल में मट्ठा और मक्खन की होली खेलते हैं. यह उत्सव भाद्रपद महीने की संक्रांति को पारंपरिक रूप से मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि अब यह पर्व विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाता जा रहा है.
ये भी पढ़ेंः आज है उत्तराखंड का लोक पर्व घी संक्रांति, घी नहीं खाया तो अगले जन्म में बनोगे घोंघा, क्या है सच?

दयारा बुग्याल में अढूंडी उत्सव की धूम

उत्तरकाशी (उत्तराखंड): फाल्गुन माह की होली के रंगों में तो सभी सराबोर होते हैं, लेकिन उपला टकनौर क्षेत्र में आयोजित मक्खन और मट्ठा के साथ खेली जाने वाली होली अंढूड़ी की अलग ही पहचान है. इस बार भी दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल (अंढूड़ी उत्सव) समेश्वर देव डोली और पांडव पश्वों के सानिध्य में धूमधाम से मनाई गई. इस दौरान कृष्ण और राधा के मटकी फोड़ने के बाद पंचगाई पट्टी समेत आसपास के ग्रामीणों ने दूध, दही एवं मक्खन की होली खेली. गुलाल की जगह एक दूसरे पर लोगों ने दूध मक्खन लगाकर रासो तांदी नृत्य का किया.

Butter Festival Uttarakhand
उत्तराखंड के दयारा बुग्याल में अढूंडी उत्सव

बता दें कि उत्तरकाशी जिले में करीब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित दयारा बुग्याल में अंढूड़ी उत्सव पारंपरिक तरीके से मनाया गया. दयारा पर्यटन उत्सव समिति के तत्वाधान में पंचगाई रैथल समेत नटीण, बंद्राणी, क्यार्क, भटवाड़ी के आराध्य समेश्वर देवता की डोली और पांच पांडवों के पश्वा दयारा बुग्याल पहुंचे. इसके साथ ही जिले के अन्य स्थानों से भी लोग दयारा बुग्याल पहुंचे. जहां पर पहले पांच पांडव के पश्वा अवतरित हुए. उसके बाद समेश्वर देवता की डोली के साथ उनके पश्वा भी अवतरित हुए.

Butter Festival Uttarakhand
दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल

अंढूड़ी उत्सव के मौके पर लोक परंपरा के अनुसार, समेश्वर देवता ने कफुवा पर डांगरियों (छोटी कुल्हाड़ी) पर चलकर मेलार्थियों को आशीर्वाद दिया. उसके बाद बुग्याल में स्थित छानियों में एकत्रित दूध दही और मक्खन को वन देवताओं समेत स्थानीय देवी देवताओं को भोग चढ़ाया गया. वहीं, राधा-कृष्ण ने मक्खन की हांडी तोड़ी, फिर बटर फेस्टिवल का जश्न शुरू हुआ. ग्रामीणों ने एक दूसरे पर गुलाल के स्थान पर दूध मक्खन लगाकर होली खेली.

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वहीं, दूध मक्खन की होली के बाद महिलाओं ने पारंपरिक परिधान में राधा-कृष्ण की जोड़ी के साथ रासो तांदी नृत्य किया. वहीं, इसमें पुरुषों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. यह उत्सव काफी पौराणिक है. ग्रामीण बुग्यालों से अपने मवेशियों को जब अपने घरों की ओर वापसी करते हैं तो इस मौके पर ग्रामीण दूध, दही, मक्खन को वन और स्थानीय देवताओं को चढ़ाकर आशीर्वाद लेते हैं.

Butter Festival Uttarakhand
दयारा बुग्याल में देवी डोलियां

दयारा पर्यटन उत्सव समिति के अध्यक्ष मनोज राणा ने बताया कि पशुपालन पर टिकी आजीविका के चलते ग्रामीण सुख समृद्धि की कामना करते करते हैं. इसी को लेकर सालों से दयारा बुग्याल में मट्ठा और मक्खन की होली खेलते हैं. यह उत्सव भाद्रपद महीने की संक्रांति को पारंपरिक रूप से मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि अब यह पर्व विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाता जा रहा है.
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Last Updated : Aug 17, 2023, 11:03 PM IST
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