नैनीताल (उत्तराखंड): सरोवर नगरी के मेट्रोपोल क्षेत्र में शत्रु संपत्ति पर हुए अतिक्रमण पर जल्द ही जिला प्रशासन की बड़ी कार्रवाई होने जा रही है. अतिक्रमण को हटाने के लिए जिला प्रशासन ने 134 से अधिक अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर जल्द से जल्द अपना अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं. प्रशासन का नोटिस जारी होने के बाद से अब अतिक्रमणकारियों में हड़कंप मचा हुआ है.
राजा महमूदाबाद की शत्रु संपत्ति पर चलेगा बुलडोजर: नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना सिंह ने बताया कि शत्रु संपत्ति पर काबिज लोगों को हटाने के लिए दो बार प्रशासन ने नोटिस जारी कर दिए हैं. कुछ लोग नोटिस से छूट गए थे. उन्हें प्रशासन द्वारा दोबारा नोटिस भेजा गया है. कुछ लोगों ने नोटिस को लेकर अपनी आपत्तियां अतिक्रमण मामले में दर्ज की थी. साथ ही कुछ लोगों ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसे दोनों न्यायालयों द्वारा सुनवाई के बाद निस्तारित कर दिया गया है. जल्द ही प्रशासन बरसात कम होते ही शत्रु संपत्ति पर हुए अतिक्रमण को मुक्त कराएगा.
इन्होंने लिखा था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र: बताते चलें कि शत्रु संपत्ति पर हुए अतिक्रमण को हटाने को लेकर हाईकोर्ट के अधिवक्ता नितिन कार्की ने पूर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. कार्की ने शत्रु संपत्ति से कब्जा खाली करवाने की मांग की थी. जिसके बाद प्रशासन अब कई सालो से अवैध रूप से शत्रु संपत्ति पर काबिज अतिक्रमणकारियो पर कार्रवाई करने जा रहा है.
बंटवारे के समय पाकिस्तान भागे थे राजा महमूदाबाद: आपको बताते चलें कि बंटवारे के समय पाकिस्तान चले गए राजा महमूदाबाद की नैनीताल में अपार संपत्तियां हैं. देश की आजादी के बाद राजा महमूदाबाद पाकिस्तान चले गए थे. इस कारण उनकी संपत्ति केंद्र सरकार के अधीन हो गई. कुछ साल पूर्व राजा महमूदाबाद के वारिसों ने संपत्ति पर अधिकार पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में वाद दायर किया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें संपत्ति उन्हें देने से इंकार कर दिया. जिसके बाद से हजारों हेक्टेयर में फैली संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा हो गया. हालांकि इनमें से कुछ अभी भी केंद्र सरकार के अधीन हैं.
राजा महमूदाबाद की शत्रु संपत्ति पर हैं अवैध कब्जे: 15 अगस्त 1947 में भारत पाकिस्तान के अलग होने, 1962 में चीन, 1965 और 1971 भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन चले गए नागरिकों को भारत सरकार शत्रु मानती है. भारत सरकार ने 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किया था. जिसके तहत शत्रु संपत्ति की देखरेख एक कस्टोडियन को दी गई. केंद्र सरकार में इसके लिए कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग भी है. इसे शत्रु संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार है. नैनीताल में ऐसी ही राजा महमूदाबाद यानी मोहम्मद आमिर खान की संपत्ति है, जिस पर बरसों से कई लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ है. शत्रु संपत्ति से अब कब्जे खाली करने की कवायद की जा रही है.
शत्रु संपत्ति पर कब्जा करने वालों को 15 दिन का नोटिस: नैनीताल डीएम वंदना सिंह ने बताया कि मेट्रोपोल क्षेत्र में करीब 22 हजार 500 वर्ग मीटर में शत्रु संपत्ति है. इसमें से करीब 99 करोड़ की 11 हजार 400 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण कर लिया गया है. अतिक्रमणकारियों को लंबे समय से शत्रु संपत्ति से कब्जा खाली करने के नोटिस जारी किए गए थे. इसके बावजूद भी किसी ने अब तक अतिक्रमण खाली नहीं किया है. अतिक्रमणकारियों को नियमानुसार 15 दिन का समय दिया गया है. अगर 15 दिन के भीतर सभी ने अपना अतिक्रमण नहीं हटाया, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
कौन थे राजा महमूदाबाद? राजा महमूदाबाद संयुक्त प्रांत ब्रिटिश इंडिया, वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में रहते थे. यूपी के सीतापुर जिले में राजा महमूदाबाद की रियासत थी. उस समय अवध की सबसे बड़ी ताल्लुकेदारी राजा महमूदाबाद के आधीन रही थी. महमूदाबाद रियासत के राजाओं को अंग्रेजों ने सर और खान बहादुर आदि उपाधियों से पुरस्कृत किया था. इनकी जमींदारी सीतापुर जिले और लखीमपुर जिले के विशाल क्षेत्र में फैली हुई थी. इनमें महोली, मैनहन, मितौली, कस्ता आदि क्षेत्रों के गांव शामिल थे.
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राजा महमूदाबाद की अकूत संपत्तियां थीं: 1947 में भारत की आजादी के पश्चात राजा महमूदाबाद ईराक चले गए. ईराम से होते हुए राजा महमूदाबाद पाकिस्तान पहुंचे. पाकिस्तान में भी राजा महमूदाबाद की तमाम संपत्तियां मौजूद थीं. कहा जाता है कि इसके अलावा ईराक और इंग्लैंड में भी राजा महमूदाबाद रियासत की अकूत संपत्तियां थीं. आजाद भारत में राजा महमूदाबाद की संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया था.
शत्रु संपत्ति क्या है? शत्रु संपत्ति का सीधा मतलब है शत्रु यानी दुश्मन की संपत्ति. वो दुश्मन किसी व्यक्ति का नहीं बल्कि मुल्क का है. जैसे पाकिस्तान और चीन दुश्मन माने जाते हैं क्योंकि ये कई बार हमारे देश पर आक्रमण कर चुके हैं. 1947 में भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था. जो लोग पाकिस्तान चले गए वो अपनी अचल संपत्ति यहां छोड़कर गए. घर, मकान, हवेलियां, कोठियां, जमीन, कंपनियां आदि यहीं रह गईं. इन सब पर भारत सरकार का कब्जा हो गया.
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