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राज्य सभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में बीजद सांसद ने कहा- सरकार की कथनी-करनी में फर्क - parliament news

राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का आज तीसरा दिन है. संसद में बजट सत्र के पांचवें दिन आज प्रश्नकाल के बाद राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा शुरू की गई. बीजद सांसद प्रसन्न आचार्य ने सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में देश की खूबसूरत तस्वीर पेश करने का प्रयास किया गया, लेकिन कई मायनों में यह वास्तविकता से कोसों दूर है.

bjd mp
बीजद सांसद प्रसन्नाचार्या
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Published : Feb 4, 2022, 12:13 PM IST

Updated : Feb 4, 2022, 4:36 PM IST

नई दिल्ली : संसद में बजट सत्र के पांचवें दिन आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान ओडिशा से निर्वाचित बीजद सांसद ने कहा कि केंद्र सरकार अपने फैसलों में ओडिशा के साथ भेदभाव (discrimination with odisha in railways) कर रही है. उन्होंने कहा कि रेलवे से जुड़ी परियोजना में उन्हें कहा गया कि ओडिशा में समुद्री किनारों के कारण परियोजना लागू करना संभव नहीं है, लेकिन आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में परियोजना को स्वीकृति दी गई. यह साफ बताता है कि ओडिशा के साथ भेदभाव किया जा रहा है.

महिलाओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की अनदेखी !
महिलाओं को बंधन मुक्त (women emancipation) करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भाजपा का दोहरा मानदंड साफ नजर आता है, जब सबरीमाला प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी महिलाओं को उनका अधिकार नहीं दिया गया. आचार्य ने कहा कि अभिभाषण में महिला सशक्तिकरण को सरकार की शीर्ष प्राथमिकता बताया गया है लेकिन यह तथ्यों के विपरीत है. उन्होंने कहा कि 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे बहुत नारे हैं किंतु सबरीमला मामले में क्या हुआ? उन्होंने भाजपा की ओर इशारा करते हुए कहा, 'एक ओर हम महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाने की बात करते हैं फिर हम कैसे महिलाओं को मंदिर में जाने से रोकने का समर्थन कर सकते हैं ?

संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर बीजद सांसद प्रसन्न आचार्य ने कहा कि सरकार का पाखंड उजागर हो गया है. उन्होंने कहा कि प्रचंड बहुमत के बाद भी सरकार महिलाओं के आरक्षण का प्रावधान नहीं कर रही है. उन्होंने देश के फेडरल स्ट्रक्चर के साथ छेड़छाड़ करने के मुद्दे पर भी सरकार को आड़े हाथों लिया. प्रसन्न आचार्य ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण वास्तविकता से दूर दिखता है, और सरकार की करनी और कथनी में साफ फर्क नजर आता है.

उन्होंने कहा कि 2010 में उच्च सदन में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बावजूद यह आज तक कानून नहीं बन पाया है. बीजद सदस्य प्रसन्न आचार्य ने कहा कि संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व आज कुल दस प्रतिशत और देश की विभिन्न विधानसभाओं में मात्र नौ प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि परंपरावादी मुस्लिम देशों में भी आरक्षण है तथा पाकिस्तान एवं बांग्लादेश ने भी महिला आरक्षण विधेयक पारित कर दिया है. उन्होंने कहा, 'किंतु हम अनिच्छुक हैं. हम एक ओर उनके अधिकार बढ़ाने की बात करते हैं, वहीं उनको उनका राजनीतिक अधिकार देने के इच्छुक क्यों नहीं हैं?'

राज्य सभा में बीजद सांसद प्रसन्न आचार्य

किसान क्यों कर रहा आत्महत्या ?
बीजू जनता दल के नेता प्रसन्न आचार्य ने किसानों की आय दोगुना करने के वादे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने पूछा कि यदि किसानों की आय दोगुनी हो गयी है तो आज उन्हें प्रतिदिन आत्महत्या करने को मजबूर क्यों होना पड़ रहा है? उन्होंने कहा कि अभिभाषण में किसानों द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की जो बात कही गयी है, वह स्वागत योग्य है. किंतु उन्होंने यह भी प्रश्न किया कि जब किसान ने देश में इतना योगदान दिया तो बदले में उन्हें क्या लाभ मिला? उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल ने किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया था.

एनसीआरबी के आंकड़ों का जिक्र
उन्होंने सरकार से प्रश्न किया कि क्या किसानों की आय अभी तक दोगुनी हो पायी? उन्होंने यह भी पूछा कि यदि किसानों की आय दोगुनी हो गयी होती तो वे प्रतिदिन आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि आत्महत्या करने वालों में छोटे एवं सीमांत किसान और भूमिहीन कृषक सबसे अधिक हैं. बीजद नेता ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2019 में देश में 42,480 किसानों और दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की, जो पिछले साल की तुलना में छह प्रतिशत अधिक मामले थे. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की मांग के अनुरूप न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने के लिए कानून बनाने के बारे में कोई घोषणा नहीं की है.

ओडिशा को मिले विशेष राज्य का दर्जा
प्रसन्न आचार्य ने प्राकृतिक आपदाओं से ओड़िशा को हुए नुकसान की भरपाई के लिए उसे विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा देने की मांग की. बीजद नेता प्रसन्न आचार्य ने कहा कि वह अभिभाषण में राष्ट्रपति द्वारा 75 वर्ष की देश की विकास गाथा में योगदान करने वाली सारी महान विभूतियों को नमन करने का स्वागत करते है. उन्होंने कहा कि नये भारत के निर्माण के लिए नींव तैयार करने में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित देश के सभी महान नेताओं के योगदान का सम्मान होना चाहिए.

आजादी के महानायकों के प्रति सरकार का रवैया
आचार्य ने कहा कि वह इस बात के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की सराहना करते हैं कि वह कुछ मामलों में राष्ट्रवादी रुख अपना रही है. उन्होंने कहा कि नेताजी को लेकर किया गया निर्णय बहुत अच्छा है क्योंकि देश के सभी लोग उनके योगदान को स्वीकार करते हैं. उन्होंने कहा कि देश में कई लोगों का यहां तक मानना है कि यदि नेताजी जीवित रहे होते और स्वतंत्रता के बाद हमारे देश के निर्णयों की अगुवाई कर रहे होते तो हमारे देश के स्वरूप की दिशा भिन्न होती, किंतु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो पाया. बीजद नेता ने कहा, 'दुर्भाग्यवश हमारे देश में कुछ ऐसे लोग रहे हैं, जिनके बारे में मैं संकेत नहीं करना चाहता, जिन्होंने कुछ नेताओं को आदर्श के रूप में पेश करने के लिए नेताजी एवं अन्य कई के योगदान को आराम से भुला दिया.'

सुंदरगढ़ जिले में एम्स की जरूरत
उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी के इस निर्णय की सराहना करते हैं कि देश में हर वर्ष अब गणतंत्र दिवस उत्सव की शुरुआत नेताजी के जन्मदिवस 23 जनवरी से होगी. आचार्य ने कहा कि राष्ट्रपति ने जम्मू एवं कश्मीर में दो एम्स खोलने की घोषणा की है जिसका वह स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा 'किंतु देश में कई ऐसे स्थान है जहां स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा बहुत ही खराब है. ओडिशा का सुंदरगढ़ एक ऐसा ही जिला है जहां एम्स को तुरंत खोलने की आवश्यकता है.'

आईएएस कैडर रूल में बदलाव पर सवाल
आचार्य ने आरोप लगाया कि प्रत्येक विधेयक में सरकार राज्यों के कोई न कोई अधिकार ले लेती है. उन्होंने सवाल किया कि यह किस तरह का संघवाद है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस रवैया का ताजा उदाहरण भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की पदोन्नति के मामले में उसका नया फैसला है. उन्होंने कहा, 'सरकार की कथनी और करनी में बहुत फर्क है.' बीजद ने मांग की कि पेट्रोलियम पदार्थों और शराब पर जो उपकर और अधिभार केंद्र लगाता है उससे होने वाली प्राप्ति में से कुछ हिस्से को राज्यों को दिया जाना चाहिए, जो अभी नहीं दिया जा रहा है.

राजद सांसद भी आक्रामक
प्रसन्न आचार्य के अलावा राजद सांसद मनोज कुमार झा ने राज्य सभा (rjd mp manoj kr jha rajya sabha) में देश के बदलते हालात का चित्रण करने का प्रयास किया. उन्होंने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बौनी समझ के लोग लंबा इतिहास नहीं लिख सकते. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राष्ट्रीय जनता दल की ओर से मनोज कुमार झा ने कहा कि आज लोग कृष्ण और करीम के बीच दीवार खड़ी करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं.

राष्ट्रपति के अभिभाषण में जिन मुद्दों का जिक्र हुआ उसके संदर्भ में मनोज कुमार झा ने कहा कि जिन परिवारों के चिराग बुझे, उनके लिए मौत आंकड़ा नहीं है. सरकार को संवेदनशील होना चाहिए. उन्होंने कहा कि समानता और बंधुत्व के बारे में आंबेडकर का जिक्र हुआ. उन्होंने खुद कहा था- लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा हीरो वर्शिप. व्यक्ति केंद्रित सरकार होने पर लोकतंत्र खत्म होता है.

केंद्र पर संघवाद की भावना के विरूद्ध काम करने के आरोप
बीजद सांसद प्रसन्न आचार्य के अलावा राज्य सभा में माकपा नेता के सोमप्रसाद ने देश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को लेकर गहरी चिंता जताई. उन्होंने केंद्र सरकार पर संघवाद की भावना के विरुद्ध काम करने और राज्यों के प्रशासन संबंधी मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया. राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य के सोमप्रसाद ने कहा कि अभिभाषण में भारत की एक बहुत ही बेहतर और आशाजनक तस्वीर पेश करने का प्रयास किया गया है किंतु वास्तविकता बिल्कुल अलग है. उन्होंने कहा कि अभिभाषण में देश की राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक वास्तविकताओं का उल्लेख नहीं किया गया है.

विधानसभा से पारित कानून राज्यपाल ने लौटाया
उन्होंने केंद्र सरकार पर संघवाद की भावना के विरूद्ध एकपक्षीय ढंग से फैसले करने और राज्य सरकारों के अधिकारों पर रोक लगाने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि केंद्र द्वारा नियुक्त राज्यपाल अधिकतर समय केंद्र सरकार के राजनीतिक हितों के अनुरूप काम करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि इसका सबसे ताजा उदाहरण तमिलनाडु है. सोमनाथ का संकेत तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा नीट परीक्षा से संबंधित राज्य विधानसभा से पारित कानून को वापस लौटाये जाने की तरफ था.

आईएएस कैडर रूल में बदलाव असंवैधानिक कदम
माकपा नेता ने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएसएस) के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति पर केंद्र का फैसला इस बात का उदाहरण है कि कैसे केंद्र सरकार राज्यों के प्रशासन संबंधी मामलों में हस्तक्षेप करती है. उन्होंने मांग की कि सरकार को इस प्रकार का असंवैधानिक कदम वापस लेना चाहिए.

कोरोना महामारी की विभीषिका
उन्होंने कहा कि अभिभाषण में महामारी को लेकर कई बातें कहीं गयीं किंतु वास्तविकता यह है कि सरकार स्थिति से निबटने में पूरी तरह विफल रही है. उन्होंने कहा कि सही समय पर ऑक्सीजन और दवाएं नहीं मिलने के कारण कई बच्चों तक की जान गयी. सोमप्रसाद ने कहा, 'हम गंगा में बहती लाशों के दृश्य...शवदाह गृहों के बाहर लंबी कतारों को कैसे भूल सकते हैं?' उन्होंने कहा कि देश में करीब 100 करोड़ लोगों को एक साल के भीतर टीके की 115 करोड़ खुराक लगा देना, कोई बड़ी बात नहीं है, यह काम जल्दी किया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि वास्तव में सरकार इस अवधि में देश की पूरी आबादी को टीके की दोनों खुराक देने में विफल रही है.

बजट सत्र की अन्य खबरें-

सरकार पर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप
उन्होंने कहा कि अभिभाषण में महामारी के दौरान अग्रिम पंक्ति के कर्मियों की सराहना की गयी है. उन्होंने कहा कि प्रश्न यह उठता है कि सरकार ने उनकी सुरक्षा, उन्हें बीमा मुहैया कराने, उनको आर्थिक लाभ देने के लिए क्या किया? उन्होंने कहा कि इस प्रश्न का जवाब है, कुछ नहीं. माकपा नेता ने दावा किया कि महामारी के दौरान सरकार ने अपनी जनविरोधी नीतियों को लागू करने में कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों में मूल्यवृद्धि और विनिवेश इसका सबसे बढ़िया उदाहरण हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मुनाफे में चलने वाली सार्वजनिक कंपनियों के शेयर बेचकर उसका पैसा उन निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने में लगा रही है जो घाटे में चल रही हैं.

घट रहे रोजगार के अवसर
उन्होंने रसोई गैस की कीमतों में होने वाली वृद्धि और बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इससे देश के लोगों, विशेषकर महिलाओं को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सोमप्रसाद ने कहा कि सरकार जहां सरकारी विभागों में खाली पड़े पद नहीं भर रही, वहीं सार्वजनिक उद्यमों के विनिवेश से रोजगार के अवसर भी घट रहे हैं. उन्होंने कहा कि विनिवेश होने के बाद पीएसएयू में आरक्षण समाप्त हो जाता है. उन्होंने कहा कि सरकार को निजी क्षेत्र में आरक्षण पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.

(एजेंसी इनपुट)

नई दिल्ली : संसद में बजट सत्र के पांचवें दिन आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान ओडिशा से निर्वाचित बीजद सांसद ने कहा कि केंद्र सरकार अपने फैसलों में ओडिशा के साथ भेदभाव (discrimination with odisha in railways) कर रही है. उन्होंने कहा कि रेलवे से जुड़ी परियोजना में उन्हें कहा गया कि ओडिशा में समुद्री किनारों के कारण परियोजना लागू करना संभव नहीं है, लेकिन आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में परियोजना को स्वीकृति दी गई. यह साफ बताता है कि ओडिशा के साथ भेदभाव किया जा रहा है.

महिलाओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की अनदेखी !
महिलाओं को बंधन मुक्त (women emancipation) करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भाजपा का दोहरा मानदंड साफ नजर आता है, जब सबरीमाला प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी महिलाओं को उनका अधिकार नहीं दिया गया. आचार्य ने कहा कि अभिभाषण में महिला सशक्तिकरण को सरकार की शीर्ष प्राथमिकता बताया गया है लेकिन यह तथ्यों के विपरीत है. उन्होंने कहा कि 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे बहुत नारे हैं किंतु सबरीमला मामले में क्या हुआ? उन्होंने भाजपा की ओर इशारा करते हुए कहा, 'एक ओर हम महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाने की बात करते हैं फिर हम कैसे महिलाओं को मंदिर में जाने से रोकने का समर्थन कर सकते हैं ?

संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर बीजद सांसद प्रसन्न आचार्य ने कहा कि सरकार का पाखंड उजागर हो गया है. उन्होंने कहा कि प्रचंड बहुमत के बाद भी सरकार महिलाओं के आरक्षण का प्रावधान नहीं कर रही है. उन्होंने देश के फेडरल स्ट्रक्चर के साथ छेड़छाड़ करने के मुद्दे पर भी सरकार को आड़े हाथों लिया. प्रसन्न आचार्य ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण वास्तविकता से दूर दिखता है, और सरकार की करनी और कथनी में साफ फर्क नजर आता है.

उन्होंने कहा कि 2010 में उच्च सदन में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बावजूद यह आज तक कानून नहीं बन पाया है. बीजद सदस्य प्रसन्न आचार्य ने कहा कि संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व आज कुल दस प्रतिशत और देश की विभिन्न विधानसभाओं में मात्र नौ प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि परंपरावादी मुस्लिम देशों में भी आरक्षण है तथा पाकिस्तान एवं बांग्लादेश ने भी महिला आरक्षण विधेयक पारित कर दिया है. उन्होंने कहा, 'किंतु हम अनिच्छुक हैं. हम एक ओर उनके अधिकार बढ़ाने की बात करते हैं, वहीं उनको उनका राजनीतिक अधिकार देने के इच्छुक क्यों नहीं हैं?'

राज्य सभा में बीजद सांसद प्रसन्न आचार्य

किसान क्यों कर रहा आत्महत्या ?
बीजू जनता दल के नेता प्रसन्न आचार्य ने किसानों की आय दोगुना करने के वादे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने पूछा कि यदि किसानों की आय दोगुनी हो गयी है तो आज उन्हें प्रतिदिन आत्महत्या करने को मजबूर क्यों होना पड़ रहा है? उन्होंने कहा कि अभिभाषण में किसानों द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की जो बात कही गयी है, वह स्वागत योग्य है. किंतु उन्होंने यह भी प्रश्न किया कि जब किसान ने देश में इतना योगदान दिया तो बदले में उन्हें क्या लाभ मिला? उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल ने किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया था.

एनसीआरबी के आंकड़ों का जिक्र
उन्होंने सरकार से प्रश्न किया कि क्या किसानों की आय अभी तक दोगुनी हो पायी? उन्होंने यह भी पूछा कि यदि किसानों की आय दोगुनी हो गयी होती तो वे प्रतिदिन आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि आत्महत्या करने वालों में छोटे एवं सीमांत किसान और भूमिहीन कृषक सबसे अधिक हैं. बीजद नेता ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2019 में देश में 42,480 किसानों और दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की, जो पिछले साल की तुलना में छह प्रतिशत अधिक मामले थे. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की मांग के अनुरूप न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने के लिए कानून बनाने के बारे में कोई घोषणा नहीं की है.

ओडिशा को मिले विशेष राज्य का दर्जा
प्रसन्न आचार्य ने प्राकृतिक आपदाओं से ओड़िशा को हुए नुकसान की भरपाई के लिए उसे विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा देने की मांग की. बीजद नेता प्रसन्न आचार्य ने कहा कि वह अभिभाषण में राष्ट्रपति द्वारा 75 वर्ष की देश की विकास गाथा में योगदान करने वाली सारी महान विभूतियों को नमन करने का स्वागत करते है. उन्होंने कहा कि नये भारत के निर्माण के लिए नींव तैयार करने में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित देश के सभी महान नेताओं के योगदान का सम्मान होना चाहिए.

आजादी के महानायकों के प्रति सरकार का रवैया
आचार्य ने कहा कि वह इस बात के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की सराहना करते हैं कि वह कुछ मामलों में राष्ट्रवादी रुख अपना रही है. उन्होंने कहा कि नेताजी को लेकर किया गया निर्णय बहुत अच्छा है क्योंकि देश के सभी लोग उनके योगदान को स्वीकार करते हैं. उन्होंने कहा कि देश में कई लोगों का यहां तक मानना है कि यदि नेताजी जीवित रहे होते और स्वतंत्रता के बाद हमारे देश के निर्णयों की अगुवाई कर रहे होते तो हमारे देश के स्वरूप की दिशा भिन्न होती, किंतु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो पाया. बीजद नेता ने कहा, 'दुर्भाग्यवश हमारे देश में कुछ ऐसे लोग रहे हैं, जिनके बारे में मैं संकेत नहीं करना चाहता, जिन्होंने कुछ नेताओं को आदर्श के रूप में पेश करने के लिए नेताजी एवं अन्य कई के योगदान को आराम से भुला दिया.'

सुंदरगढ़ जिले में एम्स की जरूरत
उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी के इस निर्णय की सराहना करते हैं कि देश में हर वर्ष अब गणतंत्र दिवस उत्सव की शुरुआत नेताजी के जन्मदिवस 23 जनवरी से होगी. आचार्य ने कहा कि राष्ट्रपति ने जम्मू एवं कश्मीर में दो एम्स खोलने की घोषणा की है जिसका वह स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा 'किंतु देश में कई ऐसे स्थान है जहां स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा बहुत ही खराब है. ओडिशा का सुंदरगढ़ एक ऐसा ही जिला है जहां एम्स को तुरंत खोलने की आवश्यकता है.'

आईएएस कैडर रूल में बदलाव पर सवाल
आचार्य ने आरोप लगाया कि प्रत्येक विधेयक में सरकार राज्यों के कोई न कोई अधिकार ले लेती है. उन्होंने सवाल किया कि यह किस तरह का संघवाद है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस रवैया का ताजा उदाहरण भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की पदोन्नति के मामले में उसका नया फैसला है. उन्होंने कहा, 'सरकार की कथनी और करनी में बहुत फर्क है.' बीजद ने मांग की कि पेट्रोलियम पदार्थों और शराब पर जो उपकर और अधिभार केंद्र लगाता है उससे होने वाली प्राप्ति में से कुछ हिस्से को राज्यों को दिया जाना चाहिए, जो अभी नहीं दिया जा रहा है.

राजद सांसद भी आक्रामक
प्रसन्न आचार्य के अलावा राजद सांसद मनोज कुमार झा ने राज्य सभा (rjd mp manoj kr jha rajya sabha) में देश के बदलते हालात का चित्रण करने का प्रयास किया. उन्होंने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बौनी समझ के लोग लंबा इतिहास नहीं लिख सकते. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राष्ट्रीय जनता दल की ओर से मनोज कुमार झा ने कहा कि आज लोग कृष्ण और करीम के बीच दीवार खड़ी करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं.

राष्ट्रपति के अभिभाषण में जिन मुद्दों का जिक्र हुआ उसके संदर्भ में मनोज कुमार झा ने कहा कि जिन परिवारों के चिराग बुझे, उनके लिए मौत आंकड़ा नहीं है. सरकार को संवेदनशील होना चाहिए. उन्होंने कहा कि समानता और बंधुत्व के बारे में आंबेडकर का जिक्र हुआ. उन्होंने खुद कहा था- लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा हीरो वर्शिप. व्यक्ति केंद्रित सरकार होने पर लोकतंत्र खत्म होता है.

केंद्र पर संघवाद की भावना के विरूद्ध काम करने के आरोप
बीजद सांसद प्रसन्न आचार्य के अलावा राज्य सभा में माकपा नेता के सोमप्रसाद ने देश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को लेकर गहरी चिंता जताई. उन्होंने केंद्र सरकार पर संघवाद की भावना के विरुद्ध काम करने और राज्यों के प्रशासन संबंधी मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया. राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य के सोमप्रसाद ने कहा कि अभिभाषण में भारत की एक बहुत ही बेहतर और आशाजनक तस्वीर पेश करने का प्रयास किया गया है किंतु वास्तविकता बिल्कुल अलग है. उन्होंने कहा कि अभिभाषण में देश की राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक वास्तविकताओं का उल्लेख नहीं किया गया है.

विधानसभा से पारित कानून राज्यपाल ने लौटाया
उन्होंने केंद्र सरकार पर संघवाद की भावना के विरूद्ध एकपक्षीय ढंग से फैसले करने और राज्य सरकारों के अधिकारों पर रोक लगाने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि केंद्र द्वारा नियुक्त राज्यपाल अधिकतर समय केंद्र सरकार के राजनीतिक हितों के अनुरूप काम करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि इसका सबसे ताजा उदाहरण तमिलनाडु है. सोमनाथ का संकेत तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा नीट परीक्षा से संबंधित राज्य विधानसभा से पारित कानून को वापस लौटाये जाने की तरफ था.

आईएएस कैडर रूल में बदलाव असंवैधानिक कदम
माकपा नेता ने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएसएस) के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति पर केंद्र का फैसला इस बात का उदाहरण है कि कैसे केंद्र सरकार राज्यों के प्रशासन संबंधी मामलों में हस्तक्षेप करती है. उन्होंने मांग की कि सरकार को इस प्रकार का असंवैधानिक कदम वापस लेना चाहिए.

कोरोना महामारी की विभीषिका
उन्होंने कहा कि अभिभाषण में महामारी को लेकर कई बातें कहीं गयीं किंतु वास्तविकता यह है कि सरकार स्थिति से निबटने में पूरी तरह विफल रही है. उन्होंने कहा कि सही समय पर ऑक्सीजन और दवाएं नहीं मिलने के कारण कई बच्चों तक की जान गयी. सोमप्रसाद ने कहा, 'हम गंगा में बहती लाशों के दृश्य...शवदाह गृहों के बाहर लंबी कतारों को कैसे भूल सकते हैं?' उन्होंने कहा कि देश में करीब 100 करोड़ लोगों को एक साल के भीतर टीके की 115 करोड़ खुराक लगा देना, कोई बड़ी बात नहीं है, यह काम जल्दी किया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि वास्तव में सरकार इस अवधि में देश की पूरी आबादी को टीके की दोनों खुराक देने में विफल रही है.

बजट सत्र की अन्य खबरें-

सरकार पर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप
उन्होंने कहा कि अभिभाषण में महामारी के दौरान अग्रिम पंक्ति के कर्मियों की सराहना की गयी है. उन्होंने कहा कि प्रश्न यह उठता है कि सरकार ने उनकी सुरक्षा, उन्हें बीमा मुहैया कराने, उनको आर्थिक लाभ देने के लिए क्या किया? उन्होंने कहा कि इस प्रश्न का जवाब है, कुछ नहीं. माकपा नेता ने दावा किया कि महामारी के दौरान सरकार ने अपनी जनविरोधी नीतियों को लागू करने में कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों में मूल्यवृद्धि और विनिवेश इसका सबसे बढ़िया उदाहरण हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मुनाफे में चलने वाली सार्वजनिक कंपनियों के शेयर बेचकर उसका पैसा उन निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने में लगा रही है जो घाटे में चल रही हैं.

घट रहे रोजगार के अवसर
उन्होंने रसोई गैस की कीमतों में होने वाली वृद्धि और बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इससे देश के लोगों, विशेषकर महिलाओं को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सोमप्रसाद ने कहा कि सरकार जहां सरकारी विभागों में खाली पड़े पद नहीं भर रही, वहीं सार्वजनिक उद्यमों के विनिवेश से रोजगार के अवसर भी घट रहे हैं. उन्होंने कहा कि विनिवेश होने के बाद पीएसएयू में आरक्षण समाप्त हो जाता है. उन्होंने कहा कि सरकार को निजी क्षेत्र में आरक्षण पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : Feb 4, 2022, 4:36 PM IST
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