नई दिल्ली : इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि देश के आवास और शहरी क्षेत्र पर कोविड19 महामारी का गंभीर प्रभाव पड़ा है. विशेषज्ञों का मानना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन निश्चित रूप से इस क्षेत्र को ट्रैक पर लाने के लिए कोई बड़ा कदम उठाएंगी.
ईटीवी भारत ने शनिवार को आवास और शहरी मामलों के विशेषज्ञों के साथ बात की और उन क्षेत्रों का पता लगाने की कोशिश की, जिन्हें इस बजट में महत्व मिल सकता है.
इस मामले पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (NIUA) के पूर्व निदेशक प्रो चेतन वैद्य का मानना है कि यह बजट निश्चित रूप से आवास और शहरी मामलों के क्षेत्र में बजटीय आवंटन में बड़ी वृद्धि का गवाह बनेगा. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि इस बार आवास और शहरी क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी.
पिछले केंद्रीय बजट(2019-20) में 50,040 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन में18 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली थी.
उन्हें उम्मीद है कि बजट शहरी क्षेत्र मिशन जैसे कि प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), अटल मिशन फॉर कायाकल्प और शहरी परिवर्तन (एएमआरयूटी) और स्मार्ट सिटी मिशन के लिए अतिरिक्त धनराशि मिलेगी.
प्रोफेसर वैद्य ने आगे कहा कि आवास ऋण के लिए कर लाभ में वृद्धि की भी आवश्यकता है.
वहीं आर्थिक और बजट विश्लेषक समिश शर्मा का कहना है कि राष्ट्रीय अचल संपत्ति विकास परिषद (NAREDCO) वित्त मंत्रालय को अपनी सिफारिशों में पहले ही उल्लेख कर चुका है कि गृह खरीदारों में ईएमआई का भुगतान करने की क्षमता नहीं है.
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शर्मा के अनुसार बजट में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई-यू) पर भी प्रकाश डाला जा सकता है क्योंकि सरकार का लक्ष्य 2022 तक सभी शहरी गरीबों को आवास है देना है.
इस बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने दावा किया कि आने वाला बजट एक पूंजीवादी अनुकूल बजट होगा. भाकपा के राज्यसभा सदस्य बिनॉय विश्वम ने कहा कि बजट पूंजीपतियों के लिए होगा.
यह अडानी-अंबानी बजट होगा, जहां आम लोगों को महत्व नहीं मिलेगा. बजट में लोगों की वास्तविक चिंता को दूर करने का कोई मौका नहीं होगा. यह वर्कर्स समस्या का कोई समाधान नहीं देगा.