लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का फैसला किया है. मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी ने आदिवासी समाज को अपना मानते हुए राष्ट्रपति पद के लिए अपना समर्थन देने का निर्णय लिया है. हमने यह अति महत्वपूर्ण फैसला बीजेपी और एनडीए के पक्ष में या फिर विपक्षी पार्टी के विरोध में नहीं लिया है.
मायावती ने शनिवार को लखनऊ में कहा कि विपक्ष ने राष्ट्रपति प्रत्याशी चुनने के लिए हुई बैठक से बहुजन समाज पार्टी को अलग रखा. एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने बैठक में बहुजन समाज पार्टी के नेताओं को नहीं बुलाया, यह उनकी सोच को दर्शाता है. राष्ट्रपति प्रत्याशी चुनने के दौरान विपक्ष का षड्यंत्र भी साफ नजर आया है. एनडीए को नहीं बल्कि एक आदिवासी के समर्थन में मतदान करें. बसपा सुप्रीमो ने कहा कि बसपा किसी की पिछलग्गू पार्टी नहीं है. बसपा को अलग-थलग रखने की वजह बाकी दलों का जातिवादी रवैया है.
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उन्होंने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि, विपक्षी एकता का प्रयास बिल्कुल भी गंभीर नहीं है. यह महज दिखावा है. भारतीय जनता पार्टी पर भी मायावती ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी के विपक्ष से बात करने का सिर्फ दिखावा ही करती है. बहुजन समाज पार्टी को बीजेपी की बी टीम बताकर झूठा आरोप लगाकर बाकी दलों ने बर्बाद किया है. इससे यूपी में समाजवादी पार्टी तो हारी, बहुजन समाज पार्टी का भी काफी नुकसान हुआ. हमारी कथनी और करनी में किसी तरह का कोई अंतर नहीं है. हमने निडर होने का नुकसान भी उठाया. हमारी पार्टी का संकल्प दूसरी पार्टियों की तरह नहीं है. हमारी पार्टी जुमलेबाजी नहीं काम करती है.
बसपा मुखिया ने कहा कि, बहुजन समाज पार्टी के नेतृत्व को बदनाम करने के लिए भी कोई मौका नहीं छोड़ रहा है. हम बिना डरे निर्णय लेते हैं. बसपा के चार बार के शासनकाल में देश ने यह देखा है कि आर्थिक विकास हुआ था. दूसरी पार्टियों का का काम मुंह में राम बगल में छुरी वाला है. बता दें कि बहुजन समाज पार्टी के वर्तमान में 10 सांसद हैं और उत्तर प्रदेश में एक विधायक है.
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