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CA की फाइनल परीक्षा में एमपी के भाई-बहन ने किया टॉप, परिवार में छाईं खुशियां - मुरैना के भाई बहन ने सीए की एग्जाम में किया टॉप

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट (Institute of Chartered Accountants) ने सीए फाइनल की परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए हैं. इस परीक्षा में मुरैना के रहने वाले भाई-बहन ने टॉप किया है. बहन नंदनी अग्रवाल (Nandani Agarwal) ने ऑल इंडिया लेवल पर पहला स्थान पाया है, जबकि भाई सचिन अग्रवाल (Sachin Agarwal) ने देश में 18वां स्थान प्राप्त किया है.

Morena
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Published : Sep 13, 2021, 10:49 PM IST

मुरैना : चंबल अंचल के भाई-बहन की जोड़ी ने चंबल अंचल का नाम रोशन किया है. बहन नंदनी अग्रवाल (Nandani Agarwal) ने जहां चार्टर्ड अकाउंटेंट फाइनल एंड फाउंडेशन परीक्षा में ऑल इंडिया लेवल पर पहली रैंक हासिल की है, तो भाई सचिन अग्रवाल (Sachin Agarwal) ने ऑल इंडिया लेवल पर 18वीं रैंक हासिल की है.

खास बात यह है कि 19 साल की नंदनी का यह सीए फाइनल्स का पहला अटैम्प था. नंदनी और सचिन ने इस खुशी के मौके पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की और अपनी सफलता का मंत्र बताया.

नंदनी अग्रवाल ने बताया कि वह जब तक अपना काम पूरा नहीं कर लेती थी, सोती नहीं थी. हर दिन पढ़ने का एक लक्ष्य बनाती थी और उसे पूरा करके वह सोती थी. इसी जुनून में नंदनी को सीएम की परीक्षा की ऑल इंडिया रैंकिंग में प्रथम स्थान दिलाया है. नंदनी सोशल मीडिया से पूरी तरह दूर रहती है. अब नंदनी ने IIM को अपना लक्ष्य बनाया है.

हमेशा से पढ़ाई में अव्वल रही है नंदनी

नंदनी अग्रवाल पढ़ाई के हमेशा अव्वल रही हैं, यही कारण है कि उन्होंने सभी पिछली परीक्षाओं में शत-प्रतिशत अंक हासिल किए है. उनका एक ही मूल मंत्र रहा है कि पढ़ाई के अलावा किसी दूसरे क्षेत्र में दिल और दिमाग को भटकने नहीं देना. नंदनी का कहना है कि पढ़ाई के लिए अच्छा वातावरण निर्मित करने में परिवार का बड़ा योगदान होता है. हर माता-पिता अपने बच्चों के उच्च शिक्षा के लिए पैसा तो खर्च करते हैं लेकिन उन्हें अच्छा वातावरण, जिसमें वह मन और मस्तिष्क को केंद्रीत कर पढ़ाई कर सकें, उपलब्ध नहीं करा पाते.

छात्रों को सोशल मीडिया से बनानी चाहिए दूरी

परीक्षा में 18वीं रैंक हासिल करने वाले नंदनी के भाई सचिन ने बताया कि छात्रों को पढ़ाई के क्षेत्र में अपने लक्ष्य को हासिल करना है, तो दिमाग को केन्द्रीय करना जरूरी है. इसके लिए छात्रों को सबसे पहले सोशल मीडिया से दूर होना पड़ेगा. सचिन और नंदनी ने सीए को पास करने का लक्ष्य बनाते हुए मोबाइल, लैपटॉप से सभी सोशल मीडिया एप्लीकेशंस डिलीट कर दिए थे.

IIM है आगे का लक्ष्य

ऑल इंडिया टॉपर नंदनी अग्रवाल प्रशासनिक सेवाओं से दूर रहते हुए प्राइवेट सेक्टर में जॉब करने को वरीयता दी है. उन्होंने आगे की शिक्षा के लिए IIM को अपना लक्ष्य बनाया है. नंदनी का कहना है उसने आज तक शत-प्रतिशत परिणाम दिए हैं और आगे भी लगातार पढ़ाई के क्षेत्र में पूरी तन्मयता के साथ मेहनत करेगी.

ऑल इंडिया टॉप करूंगी, यह कभी सोचा नहीं था

मात्र 19 वर्ष की उम्र में चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा को ऑल इंडिया टॉप करने वाली नंदनी की सफलता से परिवार और रिश्तेदारों काफी खुश हैं. नंदनी का कहना है कि "वह पढ़ाई के अलावा वर्कआउट पर भी ध्यान लगाती थी, ताकि शरीर भी पूरी तरह स्वस्थ्य रहे. मेरा लक्ष्य परीक्षा को फर्स्ट अटैंप में क्वालिफाई करना था, टॉपर्स में रहने का भरोसा था लेकिन फर्स्ट आउंगी यह कभी नहीं सोचा था."

यह भी पढ़ें-वॉयस नोट्स की ट्रांसक्रिप्ट के लिए फीचर विकसित कर रहा है व्हाट्सएप

चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा में ऑल इंडिया टॉप करने वाले नंदनी अग्रवाल का कहना है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा व्यवसायिक परीक्षा के लिए हिंदी में साहित्य उपलब्ध कराने की पहल अच्छी है और वह शासकीय सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण भी है. हिंदी हमारी मातृभाषा है उस पर ध्यान दिया जाना चाहिए, लेकिन मल्टीनेशनल कंपनियों में अच्छी जॉब हासिल करनी है और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में अपने आप को स्थापित करना है तो अंग्रेजी भाषा पर भी हिंदी की तरह पकड़ मजबूत बनानी पड़ेगी.

मुरैना : चंबल अंचल के भाई-बहन की जोड़ी ने चंबल अंचल का नाम रोशन किया है. बहन नंदनी अग्रवाल (Nandani Agarwal) ने जहां चार्टर्ड अकाउंटेंट फाइनल एंड फाउंडेशन परीक्षा में ऑल इंडिया लेवल पर पहली रैंक हासिल की है, तो भाई सचिन अग्रवाल (Sachin Agarwal) ने ऑल इंडिया लेवल पर 18वीं रैंक हासिल की है.

खास बात यह है कि 19 साल की नंदनी का यह सीए फाइनल्स का पहला अटैम्प था. नंदनी और सचिन ने इस खुशी के मौके पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की और अपनी सफलता का मंत्र बताया.

नंदनी अग्रवाल ने बताया कि वह जब तक अपना काम पूरा नहीं कर लेती थी, सोती नहीं थी. हर दिन पढ़ने का एक लक्ष्य बनाती थी और उसे पूरा करके वह सोती थी. इसी जुनून में नंदनी को सीएम की परीक्षा की ऑल इंडिया रैंकिंग में प्रथम स्थान दिलाया है. नंदनी सोशल मीडिया से पूरी तरह दूर रहती है. अब नंदनी ने IIM को अपना लक्ष्य बनाया है.

हमेशा से पढ़ाई में अव्वल रही है नंदनी

नंदनी अग्रवाल पढ़ाई के हमेशा अव्वल रही हैं, यही कारण है कि उन्होंने सभी पिछली परीक्षाओं में शत-प्रतिशत अंक हासिल किए है. उनका एक ही मूल मंत्र रहा है कि पढ़ाई के अलावा किसी दूसरे क्षेत्र में दिल और दिमाग को भटकने नहीं देना. नंदनी का कहना है कि पढ़ाई के लिए अच्छा वातावरण निर्मित करने में परिवार का बड़ा योगदान होता है. हर माता-पिता अपने बच्चों के उच्च शिक्षा के लिए पैसा तो खर्च करते हैं लेकिन उन्हें अच्छा वातावरण, जिसमें वह मन और मस्तिष्क को केंद्रीत कर पढ़ाई कर सकें, उपलब्ध नहीं करा पाते.

छात्रों को सोशल मीडिया से बनानी चाहिए दूरी

परीक्षा में 18वीं रैंक हासिल करने वाले नंदनी के भाई सचिन ने बताया कि छात्रों को पढ़ाई के क्षेत्र में अपने लक्ष्य को हासिल करना है, तो दिमाग को केन्द्रीय करना जरूरी है. इसके लिए छात्रों को सबसे पहले सोशल मीडिया से दूर होना पड़ेगा. सचिन और नंदनी ने सीए को पास करने का लक्ष्य बनाते हुए मोबाइल, लैपटॉप से सभी सोशल मीडिया एप्लीकेशंस डिलीट कर दिए थे.

IIM है आगे का लक्ष्य

ऑल इंडिया टॉपर नंदनी अग्रवाल प्रशासनिक सेवाओं से दूर रहते हुए प्राइवेट सेक्टर में जॉब करने को वरीयता दी है. उन्होंने आगे की शिक्षा के लिए IIM को अपना लक्ष्य बनाया है. नंदनी का कहना है उसने आज तक शत-प्रतिशत परिणाम दिए हैं और आगे भी लगातार पढ़ाई के क्षेत्र में पूरी तन्मयता के साथ मेहनत करेगी.

ऑल इंडिया टॉप करूंगी, यह कभी सोचा नहीं था

मात्र 19 वर्ष की उम्र में चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा को ऑल इंडिया टॉप करने वाली नंदनी की सफलता से परिवार और रिश्तेदारों काफी खुश हैं. नंदनी का कहना है कि "वह पढ़ाई के अलावा वर्कआउट पर भी ध्यान लगाती थी, ताकि शरीर भी पूरी तरह स्वस्थ्य रहे. मेरा लक्ष्य परीक्षा को फर्स्ट अटैंप में क्वालिफाई करना था, टॉपर्स में रहने का भरोसा था लेकिन फर्स्ट आउंगी यह कभी नहीं सोचा था."

यह भी पढ़ें-वॉयस नोट्स की ट्रांसक्रिप्ट के लिए फीचर विकसित कर रहा है व्हाट्सएप

चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा में ऑल इंडिया टॉप करने वाले नंदनी अग्रवाल का कहना है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा व्यवसायिक परीक्षा के लिए हिंदी में साहित्य उपलब्ध कराने की पहल अच्छी है और वह शासकीय सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण भी है. हिंदी हमारी मातृभाषा है उस पर ध्यान दिया जाना चाहिए, लेकिन मल्टीनेशनल कंपनियों में अच्छी जॉब हासिल करनी है और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में अपने आप को स्थापित करना है तो अंग्रेजी भाषा पर भी हिंदी की तरह पकड़ मजबूत बनानी पड़ेगी.

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