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रिसर्च में दावा, आंखों की रोशनी छीन सकती है वियाग्रा की लत

यौन नपुंसकता के इलाज के लिए ली जाने वाली कामोत्तेजक दवा वियाग्रा के कई साइड इफेक्ट सामने आए हैं. हालिया एक रिसर्च स्टडी में सामने आया है कि इसके नियमित इस्तेमाल करने वाले अपनी आंखों की रोशनी गंवा सकते हैं.

Use of viagra may lead to blindness
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Published : Apr 8, 2022, 7:05 PM IST

टोरेंटो : यौन शक्ति को बढ़ाने और शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए वियाग्रा खाने वालों के लिए बुरी खबर है. वियाग्रा के कारण आंखों की रोशनी जा सकती है. इसके अलावा आंखों में काले धब्बे होने का खतरा बना रहता है. डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन के इलाज में इस्तेमाल किए जाने वाले वियाग्रा के उपयोग से आंखों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है.

ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि वियाग्रा के कारण जननांगों में रक्त के प्रवाह में वृद्धि हो सकती है मगर आंखों के ब्लड सर्कुलेशन में दिक्कत होती है. टीम ने पाया कि नपुंसकता दूर करने वाली अन्य दवाओं (Cialis, Levitra और Spedra) से भी आंखों की रोशनी जाने की आशंका 85 प्रतिशत बनी रहती है. लीड रिसर्चर डॉ माहयार एत्मिनन ने चेतावनी दी है कि इसके उपयोग से सिर्फ अमेरिका में ही 20 मिलियन लोग प्रभावित हो रहे है. उन्होंने सलाह दी है कि वियाग्रा के शौकीन लोग अगर अपनी नजर में कोई बदलाव का अनुभव करते हैं तो इसे गंभीरता से लेते हुए डॉक्टर से संपर्क करें.

ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि वियाग्रा को लेकर निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले 213,033 पुरुषों के इंश्योरेंस क्लेम रेकॉर्ड की स्टडी की गई. इनमें से 123,347 पुरुषों ने फाइजर की वियाग्रा के रूप में ब्रांडेड दवा सिल्डेनाफिल लिया था, जबकि 78,609 लोग तडालाफिल (Cialis) का सेवन कर रहे थे. 6,604 लोग रेगुलर वॉर्डनफिल (Levitra) और 4,473 पुरुष वानफिल (Spedra) खा रहे थे.

रिसर्च टीम ने इन लोगों की आंखों का हाल जानने के लिए 2006 से 2020 के बीच आए क्लेम रेकॉर्ड का अध्ययन किया. जांच में यह सामने आया कि दवा के नियमित उपयोगकर्ता बनने से पहले किसी भी पुरुष को आंखों में कोई दिक्कत नहीं थी. जब उन्होंने इसका सेवन किया तो उनकी रेटिना पर असर पड़ने लगा. उनकी आंख के पिछले हिस्से में लिक्विड जमा होने लगा, जिससे रेटिना के खराब होने की आशंका 158 फीसदी बढ़ गई. इसके अलावा उनकी आंखों में काले धब्बे और फ्लैश ऑफ लाइट की दिक्कतें शुरू हो गईं.

रिसर्च में यह सामने आया है कि वियाग्रा के इस्तेमाल से ऑप्टिक नर्व में रक्त का प्रवाह रुक जाता है. ऐसे हालात में इस्केमिक ऑप्टिक न्यूरोपैथी से पीड़ित होने की आशंका 102 प्रतिशत बढ़ जाती है. इससे रेटिना में रक्त का थक्का भी जम जाता है. आंखों में काले धब्बे या 'फ्लोटर्स' हो जाते हैं.

(IANS)

पढ़ें : बेहतर शादीशुदा रिश्ते की नींव डालने में मददगार हो सकती प्री-मैरिज काउंसिलिंग

टोरेंटो : यौन शक्ति को बढ़ाने और शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए वियाग्रा खाने वालों के लिए बुरी खबर है. वियाग्रा के कारण आंखों की रोशनी जा सकती है. इसके अलावा आंखों में काले धब्बे होने का खतरा बना रहता है. डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन के इलाज में इस्तेमाल किए जाने वाले वियाग्रा के उपयोग से आंखों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है.

ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि वियाग्रा के कारण जननांगों में रक्त के प्रवाह में वृद्धि हो सकती है मगर आंखों के ब्लड सर्कुलेशन में दिक्कत होती है. टीम ने पाया कि नपुंसकता दूर करने वाली अन्य दवाओं (Cialis, Levitra और Spedra) से भी आंखों की रोशनी जाने की आशंका 85 प्रतिशत बनी रहती है. लीड रिसर्चर डॉ माहयार एत्मिनन ने चेतावनी दी है कि इसके उपयोग से सिर्फ अमेरिका में ही 20 मिलियन लोग प्रभावित हो रहे है. उन्होंने सलाह दी है कि वियाग्रा के शौकीन लोग अगर अपनी नजर में कोई बदलाव का अनुभव करते हैं तो इसे गंभीरता से लेते हुए डॉक्टर से संपर्क करें.

ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि वियाग्रा को लेकर निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले 213,033 पुरुषों के इंश्योरेंस क्लेम रेकॉर्ड की स्टडी की गई. इनमें से 123,347 पुरुषों ने फाइजर की वियाग्रा के रूप में ब्रांडेड दवा सिल्डेनाफिल लिया था, जबकि 78,609 लोग तडालाफिल (Cialis) का सेवन कर रहे थे. 6,604 लोग रेगुलर वॉर्डनफिल (Levitra) और 4,473 पुरुष वानफिल (Spedra) खा रहे थे.

रिसर्च टीम ने इन लोगों की आंखों का हाल जानने के लिए 2006 से 2020 के बीच आए क्लेम रेकॉर्ड का अध्ययन किया. जांच में यह सामने आया कि दवा के नियमित उपयोगकर्ता बनने से पहले किसी भी पुरुष को आंखों में कोई दिक्कत नहीं थी. जब उन्होंने इसका सेवन किया तो उनकी रेटिना पर असर पड़ने लगा. उनकी आंख के पिछले हिस्से में लिक्विड जमा होने लगा, जिससे रेटिना के खराब होने की आशंका 158 फीसदी बढ़ गई. इसके अलावा उनकी आंखों में काले धब्बे और फ्लैश ऑफ लाइट की दिक्कतें शुरू हो गईं.

रिसर्च में यह सामने आया है कि वियाग्रा के इस्तेमाल से ऑप्टिक नर्व में रक्त का प्रवाह रुक जाता है. ऐसे हालात में इस्केमिक ऑप्टिक न्यूरोपैथी से पीड़ित होने की आशंका 102 प्रतिशत बढ़ जाती है. इससे रेटिना में रक्त का थक्का भी जम जाता है. आंखों में काले धब्बे या 'फ्लोटर्स' हो जाते हैं.

(IANS)

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