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पंचतत्व में विलीन हुईं ब्रह्माकुमारी संस्थान की राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी

ब्रह्माकुमारीज संस्थान प्रमुख दादी ह्रदयमोहिनी का गुरुवार को निधन हो गया था. शुक्रवार को हृदयमोहिनी दादी का पार्थिव शरीर शांतिवन में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. जिसके बाद शनिवार सुबह 10 बजे शांतिवन में दादी हृदयमोहिनी पंचतत्व में विलीन हो गईं.

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Published : Mar 13, 2021, 5:06 PM IST

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सिरोही : देश और दुनिया में अध्यात्म जगत में बड़ी शख्सियत दादी हृदयमोहिनी का पार्थिव शरीर शनिवार को ब्रह्माकुमारीज संस्थान अन्तरराष्ट्रीय मुख्यालय आबूरोड स्थित शांतिवन में पंचतत्व में विलिन हो गया. दादी हृदयमोहिनी ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका थी.

94 वर्षीय राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी का देवलोकगमन 11 मार्च को मुंबई के सैफी अस्पताल में हुआ था और वे कुछ समय से अस्वस्थ थीं. बता दें कि मुंबई से ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका का पार्थिव शरीर एयर एंबुलेंस के माध्यम से ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अन्तरराष्ट्रीय मुख्यालय आबूरोड लाया गया, जहां उनका पार्थिव शरीर शांतिवन परिसर में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. जहां हृदयमोहिनी दादी को देश और दुनिया से आए प्रमुख भाई बहनों ने श्रद्धांजलि दी.

योग साधना के बीच पंचतत्व में विलीन हुईं दादी हृदयमोहिनी

निजी सचिव ने दी मुखाग्नि

इस मौके पर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राजस्थान सीएम अशोक गहलोत समेत कई नेताओं के शोक संदेश पढ़कर सुनाए गए. इसके बाद शनिवार 10 बजे मुखाग्नि दी गई. जब दादी को अंतिम विदाई और मुखाग्नि दी जा रही थी, तो उस समय पूरा माहौल भाव विह्ल हो गया. संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी, महासचिव बीके निर्वेर, कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय और दादी की निजी सचिव रही बीके नीलू ने उन्हें मुखाग्नि दी.

सैकड़ों लोगों ने की योग साधना

एक तरफ दादी का अंतिम संस्कार चल रहा था, तो वहीं दूसरी ओर संस्थान के परिसर में स्थित डायमंड हाॅल में सैकड़ों लोग योग साधना में जुटे थे. दादी अपने 8 दशक से भी लंबे आध्यात्मिक सफर के दौरान संस्थान में अलग-अलग पदों पर रहीं और लाखों लोगों को आध्यात्म की तरफ मोड़ा. दादी हृदयमोहिनी के नेतृत्व में परमात्मा एक है और सभी उसी की संतान हैं, विश्व शांति का यह संदेश देश और दुनिया में पहुंचाने में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई.

140 देशों में जग रहा अलख

मनुष्य के आत्म स्वरूप का ज्ञान और परमात्मा से कैसे रिश्ता जोड़कर शक्ति प्राप्त कर जीवन को आध्यात्मिकता के साथ सुन्दर बनाया जाए, ये कला सिखाई. देश और दुनिया की तमाम नामचीन हस्तियां दादी की आध्यात्मिक विराटता से अभिभूत थीं. आज 140 देशों में ब्रह्माकुमारीज संस्थान आध्यात्मिकता का अलख जगा रही हैं और दुनिया भर में लाखों लोग राजयोग, मेडिटेशन और आध्यात्मिक जीवन को अपना रहे हैं.

यह भी पढ़ें-धर्म परिवर्तन के बिना शादी कानूनन अवैध, लिव-इन वैध : हाईकोर्ट

संस्थान का कहना है कि दादी ने जो शिक्षा और ईश्वरीय अनुभूति का ज्ञान दिया है, वो हमेशा लोगों को श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए प्रेरित करेगा. दादी परमात्मा की संदेशवाहक भी थीं.

सिरोही : देश और दुनिया में अध्यात्म जगत में बड़ी शख्सियत दादी हृदयमोहिनी का पार्थिव शरीर शनिवार को ब्रह्माकुमारीज संस्थान अन्तरराष्ट्रीय मुख्यालय आबूरोड स्थित शांतिवन में पंचतत्व में विलिन हो गया. दादी हृदयमोहिनी ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका थी.

94 वर्षीय राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी का देवलोकगमन 11 मार्च को मुंबई के सैफी अस्पताल में हुआ था और वे कुछ समय से अस्वस्थ थीं. बता दें कि मुंबई से ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका का पार्थिव शरीर एयर एंबुलेंस के माध्यम से ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अन्तरराष्ट्रीय मुख्यालय आबूरोड लाया गया, जहां उनका पार्थिव शरीर शांतिवन परिसर में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. जहां हृदयमोहिनी दादी को देश और दुनिया से आए प्रमुख भाई बहनों ने श्रद्धांजलि दी.

योग साधना के बीच पंचतत्व में विलीन हुईं दादी हृदयमोहिनी

निजी सचिव ने दी मुखाग्नि

इस मौके पर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राजस्थान सीएम अशोक गहलोत समेत कई नेताओं के शोक संदेश पढ़कर सुनाए गए. इसके बाद शनिवार 10 बजे मुखाग्नि दी गई. जब दादी को अंतिम विदाई और मुखाग्नि दी जा रही थी, तो उस समय पूरा माहौल भाव विह्ल हो गया. संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी, महासचिव बीके निर्वेर, कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय और दादी की निजी सचिव रही बीके नीलू ने उन्हें मुखाग्नि दी.

सैकड़ों लोगों ने की योग साधना

एक तरफ दादी का अंतिम संस्कार चल रहा था, तो वहीं दूसरी ओर संस्थान के परिसर में स्थित डायमंड हाॅल में सैकड़ों लोग योग साधना में जुटे थे. दादी अपने 8 दशक से भी लंबे आध्यात्मिक सफर के दौरान संस्थान में अलग-अलग पदों पर रहीं और लाखों लोगों को आध्यात्म की तरफ मोड़ा. दादी हृदयमोहिनी के नेतृत्व में परमात्मा एक है और सभी उसी की संतान हैं, विश्व शांति का यह संदेश देश और दुनिया में पहुंचाने में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई.

140 देशों में जग रहा अलख

मनुष्य के आत्म स्वरूप का ज्ञान और परमात्मा से कैसे रिश्ता जोड़कर शक्ति प्राप्त कर जीवन को आध्यात्मिकता के साथ सुन्दर बनाया जाए, ये कला सिखाई. देश और दुनिया की तमाम नामचीन हस्तियां दादी की आध्यात्मिक विराटता से अभिभूत थीं. आज 140 देशों में ब्रह्माकुमारीज संस्थान आध्यात्मिकता का अलख जगा रही हैं और दुनिया भर में लाखों लोग राजयोग, मेडिटेशन और आध्यात्मिक जीवन को अपना रहे हैं.

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संस्थान का कहना है कि दादी ने जो शिक्षा और ईश्वरीय अनुभूति का ज्ञान दिया है, वो हमेशा लोगों को श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए प्रेरित करेगा. दादी परमात्मा की संदेशवाहक भी थीं.

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