नई दिल्ली : पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (Bureau of Police Research and Development-BPRD) की ओर से विभिन्न राज्यों में महिलाओं की सुरक्षा (women's safety) पर एक हैंडबुक परिचालित की गई है. यह कदम महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध (crime against women and children) पर रोक लगाने के प्रयास के तौर पर उठाया गया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के सुझावों के बाद, BPRD ने महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस जांचकर्ताओं के लिए यह हैंडबुक तैयार किया है.
तदनुसार, विभिन्न राज्यों के सुरक्षा बलों को भी हैंडबुक में सुझाए गए दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कहा गया है. 155 पन्नों के हैंडबुक में घटनास्थलों से सबूतों की बरामदगी और उन्हें संभालने के दौरान एहतियातन बरतने के बारे में बताया गया है. हैंडबुक में पुलिस की जिम्मेदारी और भूमिका सहित वैज्ञानिक तकनीकों के बारे में भी बताया गया है.
BPRD ने अपने हैंडबुक में कहा है कि किसी भी अपराध की पीड़िता सदमे और संकट की स्थिति में होती है. ऐसे में न्याय पाने की उम्मीद में वह थाने तक आकर शिकायत दर्ज कराने का साहस दिखाती हैं. इसलिए पीड़िता के प्रति पुलिस का व्यवहार ही समाज के विश्वास को मजबूत करता है. साथ ही पीड़िता और उसके साथ आए परिजनों के साथ नर्मी और सम्मान के साथ व्यवहार करने को भी कहा गया है.
यौन अपराध की पीड़िता की चिकित्सा जांच का हवाला देते हुए, BPRD ने पीड़िता (या नाबालिग के मामले में अभिभावक) को चिकित्सकीय जांच की आवश्यकता के बारे में सूचित करने और पीड़ित या अभिभावक की सहमति लेने का सुझाव दिया है. इसमें कहा गया है कि ऐसे अपराध जो विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ होते हैं और जिनमें केवल महिलाएं ही पीड़ित होती हैं, उन्हें महिलाओं के खिलाफ अपराध की श्रेणी में रखा जाता है.
हैंडबुक में अपराध की घटनाओं के विभिन्न स्थानों, महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए संवैधानिक प्रावधानों, मुआवजे और पुनर्वास सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को भी वर्गीकृत किया गया है.