नई दिल्ली : ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (BPRD) ने देशभर के जेल अधिकारियों से कैदियों की कलाई पर GPS आधारित बैंड बांध कर उन्हें रिहा करने के लिए कहा है. यह कदम हाल के दिनों में देशभर की कई जेलों के कैदियों को कोविड-19 सकारात्मक पाए जाने के मद्देनजर उठाया गया है.
बीपीआरडी ने जेल अधिकारियों को जारी अपने परिपत्र में कहा है कि कैदियों को फरलो और समय से पहले रिहाई के मानदंडों के तहत छूट दी जाती है और जो कैदी स्पर्शोन्मुख (asymptomatic) पाए जाते हैं. उन्हें जीपीएस आधारित रिस्ट बैंड द्वारा ट्रैक कर उनका पता लगाया जा सकता है.
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन बीपीआरडी पुलिस आधुनिकीकरण प्रक्रिया के लिए काम कर रहा है और इसे भारत की जेलों के सुधार का काम भी सौंपा गया है.
बीपीआरडी ने आगे कहा कि पेरोल या फरलो से लौटने वाले सभी कैदियों को एक विशेष अवधि के लिए अलग बैरक और कक्षों में रखा जाना चाहिए.
बीपीआरडी ने आगे कहा कि कोविड-19 मापदंडों के आधार पर सभी नए कैदियों की आईसीएमआर द्वारा निर्धारित स्क्रीनिंग के आधार सावधानी पूर्वक जांच की जाएगी और किसी भी संदिग्ध कैदी का कोविड-19 के लिए परीक्षण किया जा सकता है.
बीपीआरडी ने कहा है कि अगर कोई कैदी विदेश से आता है तो इस स्थिति में एक अलग इमारत को चिह्नित किया जा सकता है और उन्हें इस बिल्डिंग में जब तक रखा जा सकता है, जब तक कि उनकी स्क्रीनिंग पूरी नहीं हो जाती.
बीपीआरडी ने अपने परिपत्र में यह भी सुझाव दिया है कि जहां तक संभव हो कैदियों द्वारा जेल के बाहर जाने से बचने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की संभावना का उपयोग किया जाना चाहिए.
संगठन ने सुझाव दिया है कि जब तक महामारी को नियंत्रित नहीं किया जाता है तब तक कैदियों और उनके परिवार के सदस्यों की मुलाकात पर रोक लगा देनी चाहिए. हालांकि, उसने जेल के कैदियों और उनके परिवारों के बीच ई-मुलाकात के लिए भी सुझाव दिया है.
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इसके अलावा मानवाधिकारों की प्राप्ति के लिए काम करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था कॉमनवेल्थ ह्यून राइट्स इनिशिएटिव (CHRI) ने अपने एक सर्वे में कहा है कि भारत की जेलों में बंद 18,157 कैदी और विभिन्न कर्मचारियों को कोरोना संक्रमित पाया गया है. इनमें 17 कैदियों की संक्रमण के कारण मौत हो गई है.
सीएचआरआई ने कहा कि कोरोना ने उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 7,000 कैदियों को प्रभावित किया है. इसके बाद महाराष्ट्र में 2,752, असम में 2,496 और आंध्र प्रदेश में 1,375 कैदियों को प्रभावित किया है.