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बॉम्बे हाईकोर्ट ने एमवीए सरकार के दौरान शुरू किए गए कार्यों को रोकने के शिंदे सरकार के आदेश पर रोक लगाई

न्यायमूर्ति धानुका ने कहा कि हमारे प्रथम दृष्टया विचार में, राज्य सरकार, याचिकाकर्ता पंचायत के गांव में किए जाने वाले ठेकेदार को दिए गए उक्त कार्य के लिए बजट को मंजूरी देने के बाद पहले ही आदेश जारी कर चुकी है, ऐसे काम को निलंबित नहीं किया जा सकता.

Eknath Shinde
एकनाथ शिंदे
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Published : Dec 4, 2022, 9:22 AM IST

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने 12 दिसंबर तक एकनाथ शिंदे सरकार द्वारा 19 और 25 जुलाई को जारी किए गए आदेशों पर अंतरिम रोक लगा दी है जिसमें महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सराकर के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू की गई विकास गतिविधियों को निलंबित कर दिया गया था. निलंबित की गई गतिविधियों में वे शामिल हैं जिनके लिए 1 अप्रैल, 2021 से निविदाएं जारी की गई थीं, लेकिन कार्य आदेश जारी नहीं किए गए थे. इन घोषणाओं में गांवों के भीतर बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना; यात्रा स्थलों तीर्थ क्षेत्रों और कोंकण पर्यटन विकास कार्यक्रम सहित संत सेवालाल महाराज तीर्थ क्षेत्र विकास योजना से जुड़ू घोषणाएं थीं.

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इसके साथ ही महान व्यक्तियों के स्मारकों के निर्माण के लिए जिला परिषदों/जिला-स्तरीय पंचायतों को सब्सिडी देने से जुड़ी योजनाओं की घोषणाओं की गई थी. न्यायमूर्ति रमेश डी धानुका और न्यायमूर्ति एस जी डिगे 28 नवंबर को कोल्हापुर में बेलेवाड़ी ग्राम पंचायत द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें सरकार के आदेशों को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि 31 मार्च को ग्राम पंचायत में गटर का निर्माण राज्य द्वारा स्वीकृत किया गया था. याचिका में कहा गया है कि कार्य आदेश 14 जुलाई को जारी किया गया था, लेकिन सरकार ने बिना कोई कारण बताए उसके बाद विवादित आदेश जारी कर दिया कि बजट, जिसे पहले ही वित्त अधिनियम में शामिल किया जा चुका है, को एक कार्यकारी आदेश द्वारा निलंबित कर दिया गया.

पढ़ें: मुंबई में 500 वर्ग फुट के घरों का टैक्स माफ, जानिए कितने परिवारों को होगा फायदा

ठेकेदार मंगेश सरकप्पा सूत्रे के पक्ष में जारी वर्क ऑर्डर का हवाला देते हुए ग्राम पंचायत की ओर से पेश एडवोकेट एस एस पटवर्धन ने कहा कि 31 मार्च 2023 से पहले काम पूरा हो जाना चाहिए, अन्यथा निर्धारित बजट लैप्स हो जाएगा. इस साल अक्टूबर में 19 और 25 जुलाई के विवादित आदेशों का हवाला देते हुए महाराष्ट्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में 850 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं को रद्द कर दिया था. सरकार ने दावा किया था कि परियोजनाओं को एमवीए सरकार की एक गलती को ठीक करने के लिए रद्द कर दिया गया है. वर्तमान सरकार का आरोप था कि एमवीए सरकार ने एनसीपी विधायकों के प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों में असमान धन का वितरण किया.

पढ़ें: मल्लिकार्जुन खड़गे फिलहाल राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने रहेंगे

याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ के 9 नवंबर के आदेश का हवाला दिया, जो सरकार द्वारा पहले से दिए गए कार्यों को निलंबित करने के खिलाफ याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रही थी. खंडपीठ ने परियोजनाओं के संबंध में यथास्थिति का आदेश पारित किया है. सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सरकारी वकील कविता सोलंके ने निर्देश लेने और बयान देने के लिए समय मांगा. न्यायमूर्ति धानुका ने कहा कि हमारे प्रथम दृष्टया विचार में, राज्य सरकार, याचिकाकर्ता पंचायत के गांव में किए जाने वाले ठेकेदार को दिए गए उक्त कार्य के लिए बजट को मंजूरी देने के बाद पहले ही आदेश जारी कर चुकी है, ऐसे काम को निलंबित नहीं किया जा सकता.

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने 12 दिसंबर तक एकनाथ शिंदे सरकार द्वारा 19 और 25 जुलाई को जारी किए गए आदेशों पर अंतरिम रोक लगा दी है जिसमें महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सराकर के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू की गई विकास गतिविधियों को निलंबित कर दिया गया था. निलंबित की गई गतिविधियों में वे शामिल हैं जिनके लिए 1 अप्रैल, 2021 से निविदाएं जारी की गई थीं, लेकिन कार्य आदेश जारी नहीं किए गए थे. इन घोषणाओं में गांवों के भीतर बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना; यात्रा स्थलों तीर्थ क्षेत्रों और कोंकण पर्यटन विकास कार्यक्रम सहित संत सेवालाल महाराज तीर्थ क्षेत्र विकास योजना से जुड़ू घोषणाएं थीं.

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इसके साथ ही महान व्यक्तियों के स्मारकों के निर्माण के लिए जिला परिषदों/जिला-स्तरीय पंचायतों को सब्सिडी देने से जुड़ी योजनाओं की घोषणाओं की गई थी. न्यायमूर्ति रमेश डी धानुका और न्यायमूर्ति एस जी डिगे 28 नवंबर को कोल्हापुर में बेलेवाड़ी ग्राम पंचायत द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें सरकार के आदेशों को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि 31 मार्च को ग्राम पंचायत में गटर का निर्माण राज्य द्वारा स्वीकृत किया गया था. याचिका में कहा गया है कि कार्य आदेश 14 जुलाई को जारी किया गया था, लेकिन सरकार ने बिना कोई कारण बताए उसके बाद विवादित आदेश जारी कर दिया कि बजट, जिसे पहले ही वित्त अधिनियम में शामिल किया जा चुका है, को एक कार्यकारी आदेश द्वारा निलंबित कर दिया गया.

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ठेकेदार मंगेश सरकप्पा सूत्रे के पक्ष में जारी वर्क ऑर्डर का हवाला देते हुए ग्राम पंचायत की ओर से पेश एडवोकेट एस एस पटवर्धन ने कहा कि 31 मार्च 2023 से पहले काम पूरा हो जाना चाहिए, अन्यथा निर्धारित बजट लैप्स हो जाएगा. इस साल अक्टूबर में 19 और 25 जुलाई के विवादित आदेशों का हवाला देते हुए महाराष्ट्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में 850 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं को रद्द कर दिया था. सरकार ने दावा किया था कि परियोजनाओं को एमवीए सरकार की एक गलती को ठीक करने के लिए रद्द कर दिया गया है. वर्तमान सरकार का आरोप था कि एमवीए सरकार ने एनसीपी विधायकों के प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों में असमान धन का वितरण किया.

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याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ के 9 नवंबर के आदेश का हवाला दिया, जो सरकार द्वारा पहले से दिए गए कार्यों को निलंबित करने के खिलाफ याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रही थी. खंडपीठ ने परियोजनाओं के संबंध में यथास्थिति का आदेश पारित किया है. सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सरकारी वकील कविता सोलंके ने निर्देश लेने और बयान देने के लिए समय मांगा. न्यायमूर्ति धानुका ने कहा कि हमारे प्रथम दृष्टया विचार में, राज्य सरकार, याचिकाकर्ता पंचायत के गांव में किए जाने वाले ठेकेदार को दिए गए उक्त कार्य के लिए बजट को मंजूरी देने के बाद पहले ही आदेश जारी कर चुकी है, ऐसे काम को निलंबित नहीं किया जा सकता.

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