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बंबई HC ने गढ़चिरौली विस्फोट के आरोपी की याचिका पर सुनवाई पूरी की, फैसला सुरक्षित

बंबई उच्च न्यायालय ने माओवादी नेता निर्मला उप्पगंती की याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा दिया हुआ जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा का मौलिक अधिकार कैदियों सहित सभी पर लागू होता है. याचिका में जिसमें उसे जेल से एक धर्मशाला में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया है.

बंबई उच्च न्यायालय
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Published : Sep 7, 2021, 9:19 PM IST

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा दिया हुआ जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा का मौलिक अधिकार कैदियों सहित सभी पर लागू होता है. अदालत कथित माओवादी नेता निर्मला उप्पगंती (Maoist leader Nirmala Uppuganti's plea) की उस याचिका पर कानून के दायरे में सभी पहलुओं पर विचार करेगा, जिसमें उसे जेल से एक धर्मशाला (hospice) में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया है.

न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जमादार की पीठ ने स्थानांतरण का अनुरोध करने वाली उप्पगंती की याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली और फैसला बाद में सुनाएगी.

वर्ष 2019 के गढ़चिरौली IED विस्फोट मामले में आरोपी उप्पगंती ने इस महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर अनुरोध किया था कि उन्हें भायखला महिला जेल (Byculla women's prison) से धर्मशाला में स्थानांतरित कर दिया जाए क्योंकि वह कैंसर से पीड़ित हैं.

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में एक मई 2019 को नक्सलियों द्वारा किए गए IED विस्फोट में गढ़चिरौली त्वरित प्रतिक्रिया दल के 15 सुरक्षाकर्मियों और एक आम नागरिक की मौत हो गई थी. वरिष्ठ वकील युग चौधरी और वकील पायोशी रॉय के जरिए दाखिल अपनी याचिका में उप्पगंती ने बीमारी में देखभाल के लिए एक धर्मशाला में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है ताकि 'अंतिम दिनों के दौरान उनकी ठीक से देखभाल की जा सके.'

हालांकि, राज्य की वकील संगीता शिंदे ने उप्पगंती की याचिका का विरोध किया. शिंदे ने अदालत से कहा कि उप्पगंती पर गंभीर अपराध का आरोप है. रॉय ने कहा कि उप्पगंती को अपने जीवन के अंतिम कुछ दिन बिताने के लिए एक धर्मशाला में स्थानांतरित करने और उन्हें अपने पति से मिलने की इजाजत दी जाए, जो इस मामले में उनके सह-आरोपी हैं और वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं. पीठ ने कहा कि न्यायाधीश भी इंसान होते हैं और वे इस बात पर विचार करेंगे कि याचिकाकर्ता के मामले में कानून के तहत क्या अनुमति है.

पढ़ें : महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में नक्सल विरोधी अभियान में ₹16 लाख व विस्फोटक जब्त

पीठ ने कहा, 'अनुच्छेद 21 कैदियों समेत सब पर लागू होता है. निश्चय रूप से विवेक का प्रयोग करना होगा और हम कानून के दायरे से बाहर नहीं जा सकते, लेकिन हम सभी पहलुओं पर विचार करेंगे.'

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा दिया हुआ जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा का मौलिक अधिकार कैदियों सहित सभी पर लागू होता है. अदालत कथित माओवादी नेता निर्मला उप्पगंती (Maoist leader Nirmala Uppuganti's plea) की उस याचिका पर कानून के दायरे में सभी पहलुओं पर विचार करेगा, जिसमें उसे जेल से एक धर्मशाला (hospice) में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया है.

न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जमादार की पीठ ने स्थानांतरण का अनुरोध करने वाली उप्पगंती की याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली और फैसला बाद में सुनाएगी.

वर्ष 2019 के गढ़चिरौली IED विस्फोट मामले में आरोपी उप्पगंती ने इस महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर अनुरोध किया था कि उन्हें भायखला महिला जेल (Byculla women's prison) से धर्मशाला में स्थानांतरित कर दिया जाए क्योंकि वह कैंसर से पीड़ित हैं.

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में एक मई 2019 को नक्सलियों द्वारा किए गए IED विस्फोट में गढ़चिरौली त्वरित प्रतिक्रिया दल के 15 सुरक्षाकर्मियों और एक आम नागरिक की मौत हो गई थी. वरिष्ठ वकील युग चौधरी और वकील पायोशी रॉय के जरिए दाखिल अपनी याचिका में उप्पगंती ने बीमारी में देखभाल के लिए एक धर्मशाला में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है ताकि 'अंतिम दिनों के दौरान उनकी ठीक से देखभाल की जा सके.'

हालांकि, राज्य की वकील संगीता शिंदे ने उप्पगंती की याचिका का विरोध किया. शिंदे ने अदालत से कहा कि उप्पगंती पर गंभीर अपराध का आरोप है. रॉय ने कहा कि उप्पगंती को अपने जीवन के अंतिम कुछ दिन बिताने के लिए एक धर्मशाला में स्थानांतरित करने और उन्हें अपने पति से मिलने की इजाजत दी जाए, जो इस मामले में उनके सह-आरोपी हैं और वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं. पीठ ने कहा कि न्यायाधीश भी इंसान होते हैं और वे इस बात पर विचार करेंगे कि याचिकाकर्ता के मामले में कानून के तहत क्या अनुमति है.

पढ़ें : महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में नक्सल विरोधी अभियान में ₹16 लाख व विस्फोटक जब्त

पीठ ने कहा, 'अनुच्छेद 21 कैदियों समेत सब पर लागू होता है. निश्चय रूप से विवेक का प्रयोग करना होगा और हम कानून के दायरे से बाहर नहीं जा सकते, लेकिन हम सभी पहलुओं पर विचार करेंगे.'

(पीटीआई-भाषा)

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