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बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा, PM Cares से मिले खराब वेंटिलेटर के कारण मौत की जवाबदेही केंद्र की

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपनी एक अहम टिप्पणी में कहा है कि यदि पीएम केयर्स फंड के माध्यम से गुजरात की किसी कंपनी द्वारा आपूर्ति किए गए किसी भी खराब वेंटिलेटर की वजह से कोरोना संक्रमित रोगियों की मौत होती है, तो इसकी जिम्मेदारी केंद्र की होगी. अदालत ने

बॉम्बे हाईकोर्ट
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Published : Jun 3, 2021, 6:20 PM IST

औरंगाबाद (महाराष्ट्र) : बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि यदि पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) के माध्यम से गुजरात की किसी कंपनी द्वारा आपूर्ति किए गए किसी भी खराब वेंटिलेटर (defective Ventilator) की वजह से कोविड-19 (Covid-19) के रोगियों की मौत होती है, तो इसकी जिम्मेदारी केंद्र की होगी.

बुधवार को अपने फैसले में न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति बी.यू. देबद्वार ने कहा कि कोविड-19 के मरीजों पर ऐसे वेंटिलेटर के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जा सकती ,क्योंकि बड़ै पैमाने पर मरम्मत किए गए वेंटिलेटर से मरीज की जान जा सकती है. अगर केंद्र द्वारा महाराष्ट्र को भेजे गए वेंटिलेटर में से कोई भी खराब है, तो उसे बदला जाना चाहिए.

7 जून को होगी अगली सुनवाई

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि नई दिल्ली से विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम द्वारा गुरुवार को औरंगाबाद के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का दौरा किया जाएगा. इस टीम में राम मनोहर लोहिया और सफदरगंज अस्पताल से एक-एक डॉक्टर होंगे. खराब वेंटिलेटर का निरीक्षण करने के लिए अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 7 जून को तय की है.

ये भी पढे़ं : कोविड-19 से प्रभावित बच्चों के लिए सरकार ने जारी किेए दिशा-निर्देश

यह मामला अप्रैल में पीएम केयर्स फंड के तहत जीएमसीएच को प्रदान किए गए 150 वेंटिलेटर से संबंधित है, जिनकी आपूर्ति राजकोट स्थित ज्योति सीएनसी द्वारा की गई थी, जिनमें से लगभग 133 खराब पाए गए थे.

ये भी पढे़ं : कोरोना संकट : WHO में बोले विदेश सचिव, मिलकर करेंगे चुनौतियों का सामना

एक जीएमसीएच समिति ने वेंटिलेटर पर एक रिपोर्ट सौंपी थी, जो मरम्मत के बाद भी लगातार खराब हो रही थी और इसलिए मशीनों का इस्तेमाल एहतियात के तौर पर नहीं किया जा रहा था. महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने इस मुद्दे को बड़े पैमाने पर उठाया था.

(आईएएनएस)

औरंगाबाद (महाराष्ट्र) : बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि यदि पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) के माध्यम से गुजरात की किसी कंपनी द्वारा आपूर्ति किए गए किसी भी खराब वेंटिलेटर (defective Ventilator) की वजह से कोविड-19 (Covid-19) के रोगियों की मौत होती है, तो इसकी जिम्मेदारी केंद्र की होगी.

बुधवार को अपने फैसले में न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति बी.यू. देबद्वार ने कहा कि कोविड-19 के मरीजों पर ऐसे वेंटिलेटर के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जा सकती ,क्योंकि बड़ै पैमाने पर मरम्मत किए गए वेंटिलेटर से मरीज की जान जा सकती है. अगर केंद्र द्वारा महाराष्ट्र को भेजे गए वेंटिलेटर में से कोई भी खराब है, तो उसे बदला जाना चाहिए.

7 जून को होगी अगली सुनवाई

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि नई दिल्ली से विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम द्वारा गुरुवार को औरंगाबाद के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का दौरा किया जाएगा. इस टीम में राम मनोहर लोहिया और सफदरगंज अस्पताल से एक-एक डॉक्टर होंगे. खराब वेंटिलेटर का निरीक्षण करने के लिए अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 7 जून को तय की है.

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यह मामला अप्रैल में पीएम केयर्स फंड के तहत जीएमसीएच को प्रदान किए गए 150 वेंटिलेटर से संबंधित है, जिनकी आपूर्ति राजकोट स्थित ज्योति सीएनसी द्वारा की गई थी, जिनमें से लगभग 133 खराब पाए गए थे.

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एक जीएमसीएच समिति ने वेंटिलेटर पर एक रिपोर्ट सौंपी थी, जो मरम्मत के बाद भी लगातार खराब हो रही थी और इसलिए मशीनों का इस्तेमाल एहतियात के तौर पर नहीं किया जा रहा था. महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने इस मुद्दे को बड़े पैमाने पर उठाया था.

(आईएएनएस)

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