मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने सात साल के एक बच्चे की कस्टडी को उसकी मौसी को देने का आदेश बाल कल्याण समिति को दिया है. बताया जाता है कि माता-पिता की मौत के बाद मुंबई बाल कल्याण समिति ने सात साल के एक बच्चे को सुधार गृह भेज दिया था. इसको लेकर बच्चे की मौसी ने बच्चे की कस्टडी लेने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने बाल कल्याण समिति को फटकार लगाते हुए 48 घंटे के भीतर बच्चे की कस्टडी उसकी मौसी को देने का आदेश दिया.
मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की जस्टिस अनुजा प्रभु देसाई की कोर्ट ने बाल कल्याण समिति को फटकार लगाई. इस दौरान बताया गया कि बच्चे की मां की 2021 में दुबई में मौत हो गई. वहीं उसके पिता की एक हादसे में मौत हो गई. दुबई में मां की मौत के बाद छोटा लड़का अपने पिता के साथ मुंबई लौट आया. बाद में दोनों गोवा चले गए, लेकिन कुछ समय के बाद उनके नाना-नानी और मौसी भी उनके साथ रहने लगे.
वहीं जब बच्चा चार का हुआ तब से उसकी मौसी ने उसकी देखभाल की. फलस्वरूप बच्चे के पिता ने बच्चे की मौसी से शादी करने का फैसला किया. लेकिन चूंकि मौसी का तलाक नहीं हुआ था इसलिए उन्हें शादी का इंतजार करना पड़ा. इसके बाद मई 2023 में बच्चे की मौसी का तलाक हो गया, लेकिन जुलाई 2023 में बच्चे के पिता की एक हादसे में मौत हो गई. फलस्वरूप बच्चे के साथ अभिभावक के नहीं रहने पर बाल कल्याण समिति ने बच्चे को बाल सुधार गृह भेजने का निर्णय लिया.
दूसरी तरफ बच्चे की मौसी ने दावा किया कि बाल कल्याण समिति को बच्चे की कस्टडी मुझे देनी चाहिए थी. मैंने एक बच्चे की तब से देखभाल की है जब वह चार साल का था. लेकिन बाल कल्याण समिति ने मनमाने तरीके से बच्चे की कस्टडी ले ली है.कोर्ट ने इस बच्चे की मौसी की ओर से दायर याचिका को स्वीकार कर लिया. साथ ही महिला के दावे को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने बाल कल्याण समिति को 48 घंटे के भीतर बच्चे की कस्टडी उसकी मौसी को सौंपने का आदेश दिया.
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