मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय की एक न्यायाधीश ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से उस पत्र की जांच करने को कहा है, जिसमें दावा किया गया है कि उन्होंने एक आरोपी को अनुचित लाभ पहुंचाया (Bombay HC judge orders inquiry).
न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने गुरुवार को अपने समक्ष सूचीबद्ध एक मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, लेकिन कहा कि न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगाने वाले और अपनी 'धमकाने वाली कार्रवाई' के परिणाम की प्रतीक्षा किए बिना चुपचाप पीछे हट जाने वाले 'असंतुष्ट तत्वों' को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए.
सीबीआई मामले में आरोपी सुरेश खेमानी की अर्जी उनके समक्ष सूचीबद्ध की गई थी, क्योंकि इससे पहले एक न्यायाधीश ने मामले से खुद को अलग कर लिया था या अपना नाम वापस ले लिया था.
न्यायमूर्ति डांगरे ने भी घोषणा की कि वह खुद को इस मामले से अलग कर रही हैं, लेकिन उन्होंने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को आवश्यक जांच करने के लिए पत्र की एक प्रति सीबीआई को उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया और मामले की सुनवाई 29 सितंबर को तय की.
उन्होंने कहा कि इस तरह की रणनीति (न्यायाधीश को हटने के लिए मजबूर करना) का इस्तेमाल 'बेंच हंटिंग या फोरम शॉपिंग' के लिए नहीं किया जा सकता है.
न्यायाधीश ने कहा कि वह बिना कोई कारण बताए खुद को सुनवाई से अलग कर सकती थी, लेकिन 'अब समय आ गया है कि उन असंतुष्ट तत्वों को कुछ जवाबदेही दी जाए, जो अपने बेईमान कृत्यों से प्रणाली को परेशान करते रहते हैं और अपने धमकाने वाले कार्यों के परिणामों की प्रतीक्षा किए बिना चले जाते हैं.'
हाईकोर्ट ने कहा, 'एक न्यायाधीश निष्पक्ष हो सकता है, लेकिन अगर एक पक्ष की यह धारणा हो कि वह (न्यायाधीश) निष्पक्ष नहीं है, तो सुनवाई से हटना ही एकमात्र विकल्प है.'
न्यायाधीश ने कहा, 'उसे स्पष्ट विवेक होना चाहिए कि वह अभी भी स्वतंत्र है और पत्र से प्रभावित हुए बिना अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में सक्षम है.'
(PTI)