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बीएमसी चुनाव में कुल सीटों से संबंधित याचिका पर महाराष्ट्र सरकार को HC का नोटिस

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीएमसी चुनावों में कुल सीटों को 236 से घटाकर 227 करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर महाराष्ट्र सरकार को नोटिस भेजा है. कुल सीटों को घटाने को लेकर एकनाथ शिंदे सरकार ने अध्यादेश जारी किया था. इसको पूर्व शिवसेना (ठाकरे गुट) के कॉरपोरेटर राजू पेडनेकर ने चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.

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Published : Nov 17, 2022, 12:32 PM IST

Updated : Nov 17, 2022, 4:26 PM IST

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को दो याचिकाओं के जवाब में अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिनमें राज्य द्वारा जारी एक अध्यादेश को चुनौती दी गई थी. आक्षेपित अध्यादेश के माध्यम से मुंबई नगर निकाय क्षेत्र की सीमा में सीधे चुने गए पार्षदों की संख्या 236 से घटाकर 227 कर दी गई थी. जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस गौरी गोडसे की खंडपीठ ने कहा कि दो पूर्व पार्षदों द्वारा दायर याचिकाओं ने एक “जटिल प्रतीत होता मुद्दा” उठाया है और उत्तरदाताओं को जवाब देने का मौका देने के बाद ही इसे सुना जाना चाहिए.

याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के चुनाव पहले ही छह महीने से अधिक समय से लंबित हैं और अगर अध्यादेश पर रोक नहीं लगाई गई, तो एसईसी चुनाव नहीं करा पाएगा. उच्च न्यायालय की पीठ ने बृहस्पतिवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को 25 नवंबर तक अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले में 30 नवंबर को सुनवाई की अगली तारीख निर्धारित की. अदालत ने सरकार के महाधिवक्ता को भी नोटिस जारी किया क्योंकि याचिकाओं में इस साल अगस्त में जारी अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी गई है.

नवंबर 2021 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने बीएमसी के तहत वार्डों की संख्या 227 से बढ़ाकर 236 करने का फैसला किया था. इस साल अगस्त में हालांकि शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर इस संख्या को वापस 227 कर दिया. बीएमसी के पूर्व पार्षद राजू पेडनेकर और समीर देसाई ने अपनी याचिकाओं में शिंदे सरकार के इस फैसले को चुनौती दी है.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को दो याचिकाओं के जवाब में अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिनमें राज्य द्वारा जारी एक अध्यादेश को चुनौती दी गई थी. आक्षेपित अध्यादेश के माध्यम से मुंबई नगर निकाय क्षेत्र की सीमा में सीधे चुने गए पार्षदों की संख्या 236 से घटाकर 227 कर दी गई थी. जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस गौरी गोडसे की खंडपीठ ने कहा कि दो पूर्व पार्षदों द्वारा दायर याचिकाओं ने एक “जटिल प्रतीत होता मुद्दा” उठाया है और उत्तरदाताओं को जवाब देने का मौका देने के बाद ही इसे सुना जाना चाहिए.

याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के चुनाव पहले ही छह महीने से अधिक समय से लंबित हैं और अगर अध्यादेश पर रोक नहीं लगाई गई, तो एसईसी चुनाव नहीं करा पाएगा. उच्च न्यायालय की पीठ ने बृहस्पतिवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को 25 नवंबर तक अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले में 30 नवंबर को सुनवाई की अगली तारीख निर्धारित की. अदालत ने सरकार के महाधिवक्ता को भी नोटिस जारी किया क्योंकि याचिकाओं में इस साल अगस्त में जारी अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी गई है.

नवंबर 2021 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने बीएमसी के तहत वार्डों की संख्या 227 से बढ़ाकर 236 करने का फैसला किया था. इस साल अगस्त में हालांकि शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर इस संख्या को वापस 227 कर दिया. बीएमसी के पूर्व पार्षद राजू पेडनेकर और समीर देसाई ने अपनी याचिकाओं में शिंदे सरकार के इस फैसले को चुनौती दी है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Nov 17, 2022, 4:26 PM IST
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