मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर के बेनीवाद ओपी क्षेत्र के मधुरपट्टी घाट पर एक नाव हादसे का शिकार हो गई है. नदी के बीचों बीच नाव पलट गई. इस नाव में करीब 30 बच्चे सवार थे. नाव हादसे के बाद कोहराम मच गया है. अबतक 20 बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया है, जबकि कई बच्चे लापता हैं.
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मुजफ्फरपुर में स्कूली बच्चों से भरी नाव पलटी: बेनीवाद ओपी क्षेत्र के मधुरपट्टी घाट पर बच्चों से भरी नाव हादसे का शिकार हुई है. नाव हादसे की खबर जैसे ही इलाके में पहुंची लोग भागते हुए घटनास्थल पर पहुंचे. फिलहाल गांव में हाहाकार मचा है. हादसे के बाद कई बच्चों ने तैरकर अपनी जान बचाई. इधर नाव हादसे की सूचना पर बेनीबाद ओपी पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू में जुटी है. गोताखोरों को मौके पर बुलाया गया है. सभी दुआ कर रहे हैं कि बच्चे सुरक्षित हों और सभी को जल्द से जल्द उनके माता-पिता के हवाले कर दिया जाए. परिजन अनहोनी की आशंका से भयभीत हैं.
''बच्चे और महिलाएं नाव पर सवार थे. जरूरत से ज्यादा की संख्या में सवारी होने की वजह से नाव पलट गयी है. अभी सही आंकड़ा नहीं बताया जा सकता है. जांच की जा रही है. जगह-जगह जाल को बिछाया गया है.''- सहियार अख्तर, डीएसपी, ईस्ट मुजफ्फरपुर
सीएम नीतीश ने डीएम को दिए जांच के आदेश: इस मामले को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि "मुजफ्फरपुर नाव हादसे को लेकर हमने डीएम को आदेश दिया है. डीएम मामले को देख रहे हैं. पीड़ित परिवार को मदद की जाएगी."
ओवरलोडिंग के कारण हादसा?: ज्यादातर मामलों में नाविक कमाई के लिए क्षमता से ज्यादा सवारी बैठा लेते हैं, जिसके कारण कई बार नाव ओवरलोडिंग के कारण हादसे का शिकार हो जाती है. फिलहाल इस मामले की जांच चल रही है. घटना क्यों हुई? किसकी चूक है? इन तमाम बिंदुओं की जांच की जा रही है. बारिश के कारण भी नदियां उफान पर रहती हैं. ऐसे में नाव हादसों के मामले बढ़ जाते हैं. मुजफ्फरपुर में कई मासूम बच्चे लापता हैं और उनके अभिभावकों का रो रोकर बुरा हाल है.
उफान पर बागमती: बिहार की कई नदियां उफान पर हैं. नेपाल से छोड़े गए पानी के कारण बागमती नदी का जलस्तर भी बढ़ा हुआ है. बीते कुछ समय से बागमती खतरे के निशान से ऊपर है. उसके बावजूद बच्चों से भरी नाव को नदी पार कराया जा रहा था. सभी स्कूली बच्चे हैं. बिहार के बाढ़ प्रभावित इलाकों में मासूम जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर हैं.