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मधुमेह और कमजोर इम्युनिटी वालों के लिए ब्लैक फंगस खतरनाक : डॉ. सायमा - डॉ सायमा तब्बसुम

डॉ. सायमा तब्बसुम का कहना है कि ब्लैक फंगस दुर्लभ प्रकार का एक फंगल संक्रमण है, जिसकी मृत्यु दर 50 फीसदी है. यह मधुमेह और कमजोर इम्यूनिटी वालों को अपनी चपेट में सबसे पहले लेता है.

ब्लैक फंगस
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Published : May 22, 2021, 12:25 AM IST

जम्मू : घातक संक्रमण ब्लैक फंगस का दायरा बढ़ता जा रहा है. शुक्रवार को गुजरात के बाद अब जम्मू के मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस का पहला मामला सामने आया है. यहां 40 वर्षीय मरीज में ब्लैक फंगस की शिकायत मिली है. फिलहाल मरीज को निगरानी में रखा गया है.

इस पर ईटीवी भारत से बात करते हुए बत्रा अस्पताल, जम्मू की ईएनटी विशेषज्ञ और सहायक प्रोफसर डॉ. सायमा तब्बसुम ने बताया, ब्लैक फंगस दुर्लभ प्रकार का एक फंगल संक्रमण है, जिसकी मृत्यु दर 50 फीसदी है. यह मधुमेह और कमजोर इम्यूनिटी वालों के लिए बहुत खतरनाक है.

ब्लैक फंगस पर जानकारी देतीं डॉ. सायमा तब्बसुम

ये भी पढ़ें- ब्लैक फंगस को लेकर रहें सावधान, इन राज्यों ने घोषित किया महामारी

उन्होंने आगे कहा, यह एक गैर-संचारित रोग है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है. यह बीमारी कोरोना के मरीजों में पाई जा रही है, क्योंकि कोरोना संक्रमित होने पर उनकी इम्युनिटी बेहद कमजोर हो जाती है. यह रोग मधुमेह पीड़ित व्यक्तियों में फैलता है, क्योंकि वे स्टेरॉयड का सेवन करते हैं, जो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बनाता है.

उन्होंने कहा कि इस तरह प्रतिरक्षा प्रणाली के कमजोर पड़ने पर व्यक्ति ब्लैक फंगस का शिकार होने लगता है. यह बीमारी नाक के जरिए शरीर में जाने के बाद त्वचा की हड्डियों को नष्ट करना शुरू कर देती है. यह आंखों को बड़ा नुकसान पहुंचाता है, जिसके कारण मरीज को बचाने के लिए उसकी आंखें तक निकालनी पड़ती है.

ये भी पढ़ें- कोरोना-ब्लैक फंगस पर कांग्रेस ने पीएम को घेरा, कहा- सिर्फ भाषणों से काम नहीं चलेगा

उन्होंने यह भी कहा, किसी में ब्लैक फंगस के लक्षण पाए जाने पर उसका जल्द इलाज करना बहुत जरूरी होता है. यही एकमात्र तरीका है, जिससे आप खुद को संक्रमित होने से बचा सकते हैं.

जम्मू : घातक संक्रमण ब्लैक फंगस का दायरा बढ़ता जा रहा है. शुक्रवार को गुजरात के बाद अब जम्मू के मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस का पहला मामला सामने आया है. यहां 40 वर्षीय मरीज में ब्लैक फंगस की शिकायत मिली है. फिलहाल मरीज को निगरानी में रखा गया है.

इस पर ईटीवी भारत से बात करते हुए बत्रा अस्पताल, जम्मू की ईएनटी विशेषज्ञ और सहायक प्रोफसर डॉ. सायमा तब्बसुम ने बताया, ब्लैक फंगस दुर्लभ प्रकार का एक फंगल संक्रमण है, जिसकी मृत्यु दर 50 फीसदी है. यह मधुमेह और कमजोर इम्यूनिटी वालों के लिए बहुत खतरनाक है.

ब्लैक फंगस पर जानकारी देतीं डॉ. सायमा तब्बसुम

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उन्होंने आगे कहा, यह एक गैर-संचारित रोग है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है. यह बीमारी कोरोना के मरीजों में पाई जा रही है, क्योंकि कोरोना संक्रमित होने पर उनकी इम्युनिटी बेहद कमजोर हो जाती है. यह रोग मधुमेह पीड़ित व्यक्तियों में फैलता है, क्योंकि वे स्टेरॉयड का सेवन करते हैं, जो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बनाता है.

उन्होंने कहा कि इस तरह प्रतिरक्षा प्रणाली के कमजोर पड़ने पर व्यक्ति ब्लैक फंगस का शिकार होने लगता है. यह बीमारी नाक के जरिए शरीर में जाने के बाद त्वचा की हड्डियों को नष्ट करना शुरू कर देती है. यह आंखों को बड़ा नुकसान पहुंचाता है, जिसके कारण मरीज को बचाने के लिए उसकी आंखें तक निकालनी पड़ती है.

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उन्होंने यह भी कहा, किसी में ब्लैक फंगस के लक्षण पाए जाने पर उसका जल्द इलाज करना बहुत जरूरी होता है. यही एकमात्र तरीका है, जिससे आप खुद को संक्रमित होने से बचा सकते हैं.

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