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ब्लैक फंगस के मामले बढ़े, दवा की कमी के लिए कांग्रेस ने केंद्र को बताया जिम्मेदार

ईटीवी भारत से बात करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, 'यह अफसोस की बात है कि हर बार जब दवा, ऑक्सीजन या टीके की जरूरत होती है, तो कमी होती है और वह भी एक ऐसे देश में जिसे दुनिया की फार्मा प्रयोगशाला कहा जाता है.

सुप्रिया श्रीनेत
सुप्रिया श्रीनेत
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Published : May 20, 2021, 9:39 PM IST

नई दिल्ली : देशभर में म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगल के मामलों में वृद्धि के साथ राज्यों को एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जो इस दुर्लभ बीमारी के इलाज के लिए एक एंटिफंगल दवा है.कांग्रेस पार्टी मामले में केंद्र सरकार पर समय पर तैयारी नहीं करने का आरोप लगा रही है, तो वहीं उसने यह भी सुझाव दिया कि संकट के इस समय में इन दवाओं की कालाबाजारी या जमाखोरी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.

ईटीवी भारत से बात करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, 'यह अफसोस की बात है कि हर बार जब दवा, ऑक्सीजन या टीके की जरूरत होती है, तो कमी होती है और वह भी एक ऐसे देश में जिसे दुनिया की फार्मा प्रयोगशाला कहा जाता है.

उन्होंने कहा कि अब खबरें आ रही हैं कि ब्लैक फंगस के लिए एंटीफंगल दवाओं की आपूर्ति कम हो गई है, क्योंकि इन की भी कालाबाजारी या जमाखोरी हो रही है.

सुप्रिया श्रीनेत का बयान

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र को जमाखोरों पर नकेल कसनी होगी. जो लोग हमारी लोगों की दुर्दशा से मुनाफाखोरी कर रहे हैं, उन्हें दंडित किया जाना चाहिए और केंद्र सरकार को इन लोगों पर नकेल कसने का संकल्प तलाशने की जरूरत है.

हाल ही में ट्रेडर्स यूनियन, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर लिपोसोमल साल्ट इंजेक्शन की कालाबाजारी और अनैतिक बिक्री की आशंका जताते हुए मांग की थी कि ऐसे इंजेक्शन की आपूर्ति केंद्र सरकार के नियंत्रण में की जाए और फिर राज्य सरकारों के माध्यम से इन इंजेक्शनों को सीधे अस्पतालों में पहुंचाए.

कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने भी इस मामले पर बात की और सुझाव दिया कि पहले रेमेडिसविर इंजेक्शन का संकट था और अब ब्लैक फंगस के लिए एंटिफंगल इंजेक्शन के लिए भी यही हो रहा है.

राजीव शुक्ला का बयान

इसके लिए सरकार को तत्काल तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. अगर इसे आयात करना है तो इसे आयात करना शुरू कर दें. हमारी घरेलू दवा कंपनियों में इस इंजेक्शन की उपलब्धता तत्काल सुनिश्चित करें.

उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें एक बीमारी से छुटकारा नहीं मिला है और दूसरी का आ गई. इसलिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को मिलकर काम करना चाहिए और अस्पतालों से सलाह मशविरा कर इस बीमारी से निपटने की तैयारी शुरू करनी चाहिए और अपनी जरूरत के मुताबिक ये दवाएं उपलब्ध कराना चाहिए.

गुरुवार को केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने के लिए कहा. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्यों को पत्र लिखकर दुर्लभ, लेकिन संभावित रूप से घातक, संक्रमण को इसके महामारी रोग अधिनियम तहत सूचीबद्ध करने के लिए कहा है.

जिस तरह दिल्ली में ब्लैक फंगस के 200 से अधिक मामले सामने आए हैं, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज एलएनजेपी, जीटीबी और राजीव गांधी सहित तीन सरकारी अस्पतालों में इसके इलाज के लिए केंद्र स्थापित करने की घोषणा की.

एंटिफंगल दवा की कमी का जिक्र करते हुए केजरीवाल ने मीडिया से कहा कि हमने केंद्र सरकार को इन एंटीफंगल इंजेक्शन को हमें उपलब्ध कराने के लिए लिखा है क्योंकि उसने इन दवाओं का उत्पादन अपने हाथों में ले लिया है.

पढ़ें- ब्लैक फंगस के बाद व्हाइट फंगस ने बढ़ाई टेंशन, जानिए शरीर पर कैसे करता है अटैक

इसलिए केंद्र जब इन दवाओं का वितरण कर रहा है, तो हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह हमें हमारी जरूरत के अनुसार पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन उपलब्ध कराया जाएगा.

म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस एक दुर्लभ संक्रमण है, जो ज्यादातर कोविड से ठीक हुए रोगियों में देखा जा रहा है, जिनमें आंखों या गालों में सूजन, नाक में काली सूखी पपड़ी और चेहरे का सुन्न होना जैसे लक्षण हैं.

डॉ सुरेश कुमार का बयान

एलएनजेपी अस्पताल के एमडी डॉ सुरेश कुमार ने समझाया कि यह संक्रमण कोविड रोगियों के लिए स्टेरॉयड के अति प्रयोग के कारण हो रहा है.

शुरुआत में इसका असर आंखों और नाक पर पड़ता है. बाद में यह मस्तिष्क और फेफड़ों में भी फैल जाता है. यह एक बहुत ही जटिल बीमारी है जिसका इलाज कई विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है.

इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए समय पर इंसुलिन देना और ब्लड शुगर की सख्त निगरानी बहुत जरूरी है.

नई दिल्ली : देशभर में म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगल के मामलों में वृद्धि के साथ राज्यों को एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जो इस दुर्लभ बीमारी के इलाज के लिए एक एंटिफंगल दवा है.कांग्रेस पार्टी मामले में केंद्र सरकार पर समय पर तैयारी नहीं करने का आरोप लगा रही है, तो वहीं उसने यह भी सुझाव दिया कि संकट के इस समय में इन दवाओं की कालाबाजारी या जमाखोरी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.

ईटीवी भारत से बात करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, 'यह अफसोस की बात है कि हर बार जब दवा, ऑक्सीजन या टीके की जरूरत होती है, तो कमी होती है और वह भी एक ऐसे देश में जिसे दुनिया की फार्मा प्रयोगशाला कहा जाता है.

उन्होंने कहा कि अब खबरें आ रही हैं कि ब्लैक फंगस के लिए एंटीफंगल दवाओं की आपूर्ति कम हो गई है, क्योंकि इन की भी कालाबाजारी या जमाखोरी हो रही है.

सुप्रिया श्रीनेत का बयान

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र को जमाखोरों पर नकेल कसनी होगी. जो लोग हमारी लोगों की दुर्दशा से मुनाफाखोरी कर रहे हैं, उन्हें दंडित किया जाना चाहिए और केंद्र सरकार को इन लोगों पर नकेल कसने का संकल्प तलाशने की जरूरत है.

हाल ही में ट्रेडर्स यूनियन, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर लिपोसोमल साल्ट इंजेक्शन की कालाबाजारी और अनैतिक बिक्री की आशंका जताते हुए मांग की थी कि ऐसे इंजेक्शन की आपूर्ति केंद्र सरकार के नियंत्रण में की जाए और फिर राज्य सरकारों के माध्यम से इन इंजेक्शनों को सीधे अस्पतालों में पहुंचाए.

कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने भी इस मामले पर बात की और सुझाव दिया कि पहले रेमेडिसविर इंजेक्शन का संकट था और अब ब्लैक फंगस के लिए एंटिफंगल इंजेक्शन के लिए भी यही हो रहा है.

राजीव शुक्ला का बयान

इसके लिए सरकार को तत्काल तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. अगर इसे आयात करना है तो इसे आयात करना शुरू कर दें. हमारी घरेलू दवा कंपनियों में इस इंजेक्शन की उपलब्धता तत्काल सुनिश्चित करें.

उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें एक बीमारी से छुटकारा नहीं मिला है और दूसरी का आ गई. इसलिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को मिलकर काम करना चाहिए और अस्पतालों से सलाह मशविरा कर इस बीमारी से निपटने की तैयारी शुरू करनी चाहिए और अपनी जरूरत के मुताबिक ये दवाएं उपलब्ध कराना चाहिए.

गुरुवार को केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने के लिए कहा. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्यों को पत्र लिखकर दुर्लभ, लेकिन संभावित रूप से घातक, संक्रमण को इसके महामारी रोग अधिनियम तहत सूचीबद्ध करने के लिए कहा है.

जिस तरह दिल्ली में ब्लैक फंगस के 200 से अधिक मामले सामने आए हैं, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज एलएनजेपी, जीटीबी और राजीव गांधी सहित तीन सरकारी अस्पतालों में इसके इलाज के लिए केंद्र स्थापित करने की घोषणा की.

एंटिफंगल दवा की कमी का जिक्र करते हुए केजरीवाल ने मीडिया से कहा कि हमने केंद्र सरकार को इन एंटीफंगल इंजेक्शन को हमें उपलब्ध कराने के लिए लिखा है क्योंकि उसने इन दवाओं का उत्पादन अपने हाथों में ले लिया है.

पढ़ें- ब्लैक फंगस के बाद व्हाइट फंगस ने बढ़ाई टेंशन, जानिए शरीर पर कैसे करता है अटैक

इसलिए केंद्र जब इन दवाओं का वितरण कर रहा है, तो हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह हमें हमारी जरूरत के अनुसार पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन उपलब्ध कराया जाएगा.

म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस एक दुर्लभ संक्रमण है, जो ज्यादातर कोविड से ठीक हुए रोगियों में देखा जा रहा है, जिनमें आंखों या गालों में सूजन, नाक में काली सूखी पपड़ी और चेहरे का सुन्न होना जैसे लक्षण हैं.

डॉ सुरेश कुमार का बयान

एलएनजेपी अस्पताल के एमडी डॉ सुरेश कुमार ने समझाया कि यह संक्रमण कोविड रोगियों के लिए स्टेरॉयड के अति प्रयोग के कारण हो रहा है.

शुरुआत में इसका असर आंखों और नाक पर पड़ता है. बाद में यह मस्तिष्क और फेफड़ों में भी फैल जाता है. यह एक बहुत ही जटिल बीमारी है जिसका इलाज कई विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है.

इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए समय पर इंसुलिन देना और ब्लड शुगर की सख्त निगरानी बहुत जरूरी है.

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