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ब्लैक फंगस : इंदौर के अस्पताल में 40 दिन के भीतर 49 मरीजों ने तोड़ा दम

इंदौर के शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) में पिछले 40 दिन के दौरान करीब आठ प्रतिशत की मृत्यु दर के साथ ब्लैक फंगस संक्रमण (म्यूकर माइकोसिस) के 49 मरीजों की मौत हो गई.

Black fungus
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Published : Jun 22, 2021, 4:39 PM IST

इंदौर : एमवायएच के एक आला अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी कि बीते 40 दिनों में ब्लैक फंगस के 49 मरीजों की मृत्यु हुई है. एमवायएच, राज्य में ब्लैक फंगस का इलाज करने वाला सबसे व्यस्त अस्पताल है. जहां इंदौर के अलावा अन्य जिलों के मरीज भी भर्ती हैं. यह अस्पताल शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से सम्बद्ध है.

महाविद्यालय के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया कि एमवायएच में अब तक ब्लैक फंगस के कुल 614 मरीज भर्ती हो चुके हैं. इनमें से 283 लोगों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई, जबकि 49 मरीजों की मौत हो चुकी है. आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि एमवायएच में ब्लैक फंगस के मरीजों की मृत्यु दर करीब आठ प्रतिशत है. डीन ने दावा किया कि देश के अलग-अलग हिस्सों में ब्लैक फंगस के मरीजों की मृत्यु दर आमतौर पर 40-50 प्रतिशत के बीच है.

उन्होंने कहा कि एमवायएच में ब्लैक फंगस के जिन मरीजों की मौत हुई. उनमें से ज्यादातर लोग मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों से ताल्लुक रखते थे और देरी से अस्पताल पहुंचे थे. डीन ने बताया कि हम ब्लैक फंगस के मरीजों की जान बचाने के लिए पिछले 40 दिनों में 580 सर्जरी कर चुके हैं.

उन्होंने बताया कि एमवायएच में फिलहाल ब्लैक फंगस के 282 मरीज भर्ती हैं. इनमें से चार लोग कोविड-19 से संक्रमित हैं जबकि 241 व्यक्तियों में इस महामारी से उबरने के बाद ब्लैक फंगस की समस्या उत्पन्न हुई. डीन ने कहा कि एमवायएच में ब्लैक फंगस के 37 मरीज ऐसे भी हैं जिन्हें कोविड-19 होने का कोई सरकारी रिकॉर्ड नहीं है.

यह भी पढ़ें-राज्यों के पास कोविड-19 टीकों की 2.14 करोड़ से अधिक खुराक उपलब्ध : केंद्र

हालांकि, हमें लगता है कि ये लोग कोविड-19 की जद में आए तो होंगे. पर उनमें इस महामारी के लक्षण नहीं होने के चलते उन्हें अपने संक्रमित होने के बारे में पता ही नहीं चला होगा. एमवायएच के अधीक्षक प्रमेंद्र ठाकुर ने बताया कि इस अस्पताल में ब्लैक फंगस का पहला मरीज 13 मई को भर्ती हुआ था.

(पीटीआई-भाषा)

इंदौर : एमवायएच के एक आला अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी कि बीते 40 दिनों में ब्लैक फंगस के 49 मरीजों की मृत्यु हुई है. एमवायएच, राज्य में ब्लैक फंगस का इलाज करने वाला सबसे व्यस्त अस्पताल है. जहां इंदौर के अलावा अन्य जिलों के मरीज भी भर्ती हैं. यह अस्पताल शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से सम्बद्ध है.

महाविद्यालय के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया कि एमवायएच में अब तक ब्लैक फंगस के कुल 614 मरीज भर्ती हो चुके हैं. इनमें से 283 लोगों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई, जबकि 49 मरीजों की मौत हो चुकी है. आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि एमवायएच में ब्लैक फंगस के मरीजों की मृत्यु दर करीब आठ प्रतिशत है. डीन ने दावा किया कि देश के अलग-अलग हिस्सों में ब्लैक फंगस के मरीजों की मृत्यु दर आमतौर पर 40-50 प्रतिशत के बीच है.

उन्होंने कहा कि एमवायएच में ब्लैक फंगस के जिन मरीजों की मौत हुई. उनमें से ज्यादातर लोग मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों से ताल्लुक रखते थे और देरी से अस्पताल पहुंचे थे. डीन ने बताया कि हम ब्लैक फंगस के मरीजों की जान बचाने के लिए पिछले 40 दिनों में 580 सर्जरी कर चुके हैं.

उन्होंने बताया कि एमवायएच में फिलहाल ब्लैक फंगस के 282 मरीज भर्ती हैं. इनमें से चार लोग कोविड-19 से संक्रमित हैं जबकि 241 व्यक्तियों में इस महामारी से उबरने के बाद ब्लैक फंगस की समस्या उत्पन्न हुई. डीन ने कहा कि एमवायएच में ब्लैक फंगस के 37 मरीज ऐसे भी हैं जिन्हें कोविड-19 होने का कोई सरकारी रिकॉर्ड नहीं है.

यह भी पढ़ें-राज्यों के पास कोविड-19 टीकों की 2.14 करोड़ से अधिक खुराक उपलब्ध : केंद्र

हालांकि, हमें लगता है कि ये लोग कोविड-19 की जद में आए तो होंगे. पर उनमें इस महामारी के लक्षण नहीं होने के चलते उन्हें अपने संक्रमित होने के बारे में पता ही नहीं चला होगा. एमवायएच के अधीक्षक प्रमेंद्र ठाकुर ने बताया कि इस अस्पताल में ब्लैक फंगस का पहला मरीज 13 मई को भर्ती हुआ था.

(पीटीआई-भाषा)

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