नई दिल्ली : जिस तरह 22 जनवरी 2023 का दिन भारतीय इतिहास और राम भक्तों के मन में हमेशा के लिए दर्ज हो जायेगा. उसी तरह से इस तारीख के साथ हमेशा ही 6 दिसबंर 1992 के दिन नत्थी रहेगा. 6 दिसंबर 1992 यानी वह तारीख तब विवादित स्थल पर खड़े बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने ढाह दिया था. राम मंदिर आंदोलन के लिए यह तारीख सबसे अहम तारीखों में से एक है. यूं तो इस आंदोलन ने देश को लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेता तो दिये ही इन सब के बीच विनय कटियार एक ऐसा नाम रहे जो राम जन्मभूमि आंदोलन के सबसे आक्रमक नेताओं के रूप में पहचाने गये.
अयोध्या में नव निर्मित राम मंदिर के उद्धाटन और 1992 के आंदोलन के बार में सवाल करने पर उन्होंने कहा कि तब भी राम भक्तों का सहयोग मिला था आज भी राम भक्तों के सहयोग से सार काम हो रहा है. उन्होंने कहा कि भक्तों की सक्रियता और कोर्ट में लड़ी गयी लंबी लड़ाई के बाद हमें यह सौभाग्य मिला है. उन्होंने कहा कि सभी राम भक्तों को इस अवसर पर बड़ी संख्या में अयोध्या में जुटना चाहिए. सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि यह किसी एक संगठन या भाजपा के संकल्प पूरा होने की बात नहीं है बल्कि सभी राम भक्तों का संकल्प पूरा हो रहा है.
उन्होंने कहा कि एक बार जब प्राण प्रतिष्ठा हो जाये तो राम भक्तों को अयोध्या आकर रामलाला के दर्शन करना चाहिए. विनय कटियार ने कहा की काशी और मथुरा में क्रमश: भोले बाबा और कृष्ण जन्मभूमि से कब्जा हटाने की लड़ाई लड़ी जायेगी. यात्रा लंबी होगी लेकिन यह काम भी होना है.
मुस्लिम संगठनों की प्रतिक्रिया पर उन्होंने कहा कि सभी सब्र करेंगे, जो जगह हमारी है हम वहां मंदिर बनायेंगे. जहां कृष्ण विराजमान हैं वहां मंदिर बनाएंगे. इसके लिए आंदोलन चलेगा और कोर्ट से लेकर सड़क तक की यात्रा पूरी की जायेगी.