नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र के लिए कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां सरकार को जोर-शोर से घेरने की तैयारी कर रही हैं. संसद का पिछला सत्र कृषि बिल के विरोध में हंगामे की भेंट चढ़ गया था. इस बार संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होने जा रहा है और इसके 23 दिसंबर तक चलने की संभावना है.
शीतकालीन सत्र से ठीक पहले प्रधानमंत्री की तरफ से कृषि बिल को वापस लेने की घोषणा के बावजूद भी सरकार की चुनौतियां कम नहीं होने वाली हैं. वैसे भी कृषि कानून वापस लेने के बावजूद भी किसान फिलहाल धरने प्रदर्शन को वापस लेने पर सहमत नहीं हो पाए हैं. संसद सत्र के पहले दिन किसान संसद की ओर कूच करने का भी कार्यक्रम बना रहे हैं, ऐसे में सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर रणनीति तैयार करने के लिए शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक हुई.
बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी, संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, राज्य सभा में नेता सदन और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के अलावा सरकार के कई मंत्री मौजूद रहे. बताया जा रहा है कि राजनाथ सिंह के घर पर हुई इस अहम बैठक में 29 नवंबर से शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर सरकार की रणनीति पर चर्चा हुई. सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने विरोधी दलों के राजनीतिक हमलों की रणनीति को काउंटर करने के उपायों पर भी चर्चा की.
26 नए विधेयक सदन में पेश करने की तैयारी
संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में सरकार द्वारा लाए जा रहे विधेयकों को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई. आपको बता दें कि आगामी सत्र में सरकार कृषि कानून निरस्त विधेयक-2021 सहित कुल 26 नए विधेयक सदन में पेश करने की तैयारी में है. इसके साथ ही 3 अन्य विधेयकों पर भी सदन में चर्चा होनी है. राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में उनके आवास पर हुई बैठक में इन विधेयकों को सदन में पेश करने, चर्चा कराने और पारित कराने की रणनीति को लेकर भी चर्चा की गई.
विपक्ष की आक्रामक होगी रणनीति!
विपक्ष की बात करें तो उसकी रणनीति आक्रामक होकर सरकार को घेरने की है. जल्द ही चार महत्वपूर्ण राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव है. खासतौर पर उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव को देखते हुए कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियां लामबंद हो रही हैं. कांग्रेस अन्य विरोधी दलों के साथ मिलकर सरकार को किसानों से जुड़े मुद्दों के साथ-साथ महंगाई, पेट्रोल-डीजल की कीमतों, कोविड प्रबंधन में कोताही, पेगासस जासूसी, राफेल डील, चीन की भारतीय सीमा में घुसपैठ और जम्मू-कश्मीर जैसे मुद्दों पर भी घेरने की तैयारी कर रही है.
इन तमाम मुद्दों पर अलग-अलग विपक्षी पार्टियां सरकार से चर्चा कराने की मांग रखेंगी. यही नहीं महंगाई के खिलाफ विपक्षी पार्टियां सत्र के दौरान दिल्ली में ही एक बड़ी रैली भी कर सकती हैं. यानी कि संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार पर विपक्षी पार्टियां लामबंद होकर चौतरफा हमला करेंगी, क्योंकि विपक्षी पार्टियों ने संसद को हंगामेदार बनाने के लिए कमर कस ली है. ऐसे में सरकार भी विपक्ष पर पलटवार का कोई मौका चूकना नहीं चाहती है.
ये मुद्दे भी हावी रह सकते हैं
सत्र में जहां कांग्रेस महंगाई समेत सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार को घेरेगी, वहीं टीएमसी ईडी और सीबीआई से संबंधित दो अध्यादेश जिनमें निदेशकों का कार्यकाल 2 साल से बढ़ाकर 5 साल कर दिया गया है, इसके खिलाफ भी सत्र में आवाज उठाएगी. साथ ही टीएमसी सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का भी मामला सदन में उठाएगी. वहीं, शिरोमणि अकाली दल जो पहले सरकार के गठबंधन में था वह भी सरकार को घेरने की तैयारी में है. अकाली दल किसान बिल वापस लेने के बावजूद भी किसानों की तमाम मांगे जल्द पूरी करने के लिए दबाव बनाएगा. यानी कि कुल मिलाकर देखा जाए तो 29 नवंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में कृषि बिल के वापस लेने के बावजूद भी हंगामा बरकरार रहेगा. विपक्षी पार्टियों की मांगों से सरकार को रणनीतिक रूप से निपटना पड़ेगा.
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