नई दिल्ली: लोकसभा प्रवास योजना के तहत बीजेपी ने उन 160 संसदीय सीटों का चयन किया था, जिन सीटों पर 2019 के लोकसभा में बीजेपी की हार हुई थी या जीत का अंतर कम था. पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए लक्ष्य 350 सीटों का रखते हुए कुछ नेताओं को कमजोर सीटों पर काम करने के लिए लगाया है. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को पार्टी के सांसदों की बुलाई बैठक में सभी सांसदों को लक्ष्य 350 पर काम करने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है और सभी क्षेत्रों और जोन के लिए अलग-अलग रणनीति पर पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है.
मिशन 2024 को लेकर वैसे तो भारतीय जनता पार्टी पिछले छह माह से भीं ज्यादा दिन से तैयारियां शुरू कर चुकी है लेकिन अब पार्टी जिम्मेदारियों का बंटवारा कर रही है और नेताओं को टारगेट और टाइम बाउंड दिए जा रहे हैं. बुधवार को देर रात तक चली बैठक में जेपी नड्डा ने पिछले 9 महीने से चल रहे प्रवास कार्यक्रम के फीडबैक लिए और उसपर आगे की रणनीति बताई और समीक्षा की. सूत्रों की मानें तो पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने वो 160 सीटें जिसे बीजेपी पिछले लोकसभा चुनाव में नहीं जीत पाई थी, उन सीटों को कुछ केंद्रीय नेताओं को सौंपा है. ये नेता इन सीटों में पार्टी की रणीतियों पर अभी से काम शुरू कर देंगे और सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का असर उनके क्रियान्वयन और उनके प्रभाव पर काम करते हुए एक रिपोर्ट तैयार करेंगे, जिसे समय समय पर उन्हें पार्टी अध्यक्ष को सौंपना होगा.
यानी इन हारी हुई सीटों पर बीजेपी ने फूल प्रूफ प्लान तैयार किया है ताकि जीत सुनिश्चित की जा सके. इन 160 सीटों को जिसमें बीजेपी 2019 में दूसरे नंबर पर रही थी या किसी कारणवश जीत नहीं पाई थी, उन तमाम सीटों को बीजेपी ने अपने प्रवास कार्यक्रम में शामिल किया है. साथ ही उत्तर की ऐसी सीटें भी पार्टी की प्राथमिकता हैं जिनमें उसे अच्छे वोट मिले मगर वो जीत नही पाई. यूपी की ऐसी 14 सीटों को प्रवास कार्यक्रम की इस सूची में शामिल किया गया है, जिसका प्रभार केंद्रीय नेताओं को दिया गया है. इन नेताओं के नाम हैं, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल जो पहले यूपी मे थे और उनके अलावा चार केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, जितेंद्र सिंह, अश्वनी चौबे और अन्नपूर्णा देवी.
कुल मिलाकर देखा जाए तो बीजेपी ने हारी हुई सीट को प्रतिष्ठा का विषय बनाते हुए इनपर पूरा दमखम लगा दिया है और जिन सीटों पर जीत लगभग सुनिश्चित है, उनमें अगले चरण में काम शुरू किया जाएगा ताकि तब तक कमजोर सीटों पर पार्टी अपना ध्यान पूरी तरह से केंद्रित कर सके. इन सीटों पर जातिय, सामाजिक और राजनीतिक तमाम समीकरण का खास ध्यान रखा जा रहा है ताकि पार्टी 2024 तक वहां अपनी स्थिति मजबूत कर सके.
इस मुद्दे पर पूछे जाने पर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल अग्रवाल का कहना है कि पार्टी हमेशा इन सभी सीटों पर ध्यान देती है, लेकिन सरकार को योजनाएं सुचारू रूप से जन-जन तक पहुंचे ये पार्टी की जिम्मेदारी है और इसी तरह की जिम्मेदारी पार्टी की तरफ से पूरा करने के लिए पार्टी के नेताओं को दी जाती है, जिसका सिर्फ चुनाव से ही लेना देना नहीं है.
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