नई दिल्ली : जेएनयू में पूजा पाठ और रामनवमी के मौके पर देश में जगह-जगह निकाली गई शोभा यात्रा से शुरू हुई सांप्रदायिक घटनाओं (communal violence) का असर देश की राजधानी दिल्ली पर भी पड़ा है. केंद्र सरकार की नाक के नीचे हुई जहांगीरपुरी की घटना ने देश की राजनीति को गरमा दिया है. विपक्ष लामबंद होकर पहले से ही हमलावर था, जिसका नेतृत्व कांग्रेस कर रही थी. पिछले दिनों सोनिया गांधी ने अपने लेख में सीधे-सीधे इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए देश में असहिष्णुता के मामले में बढ़ती घटनाओं पर चिंता भी जाहिर की थी.
इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए विपक्ष की 13 पार्टियों ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए सांप्रदायिक घटनाओं और भड़काऊ भाषणों पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सीधे सीधे सवाल उठाया था. बीजेपी के मुखिया जेपी नड्डा ने विपक्षी पार्टियों को तो जवाब नहीं दिया, लेकिन जनता की अदालत में जनता को संबोधित करते हुए अपने खुले पत्र में क्रमवार काफी कुछ कह दिया है.
एक के बाद एक, अलग-अलग राज्यों में हो रही सांप्रदायिक घटनाएं और नेताओं की बयानबाजी आग में घी का काम कर रही है. बावजूद इसके राजनीतिक पार्टियों ने अपने अपने नेताओं की बयानबाजी पर रोक लगाने के लिए अभी तक कोई निर्देश जारी नहीं किया है. भाजपा के मुखिया जेपी नड्डा ने संयुक्त बयान के जवाब में नागरिकों के नाम खुला पत्र लिखते हुए विपक्ष पर राष्ट्र की भावना पर हमला करने और मेहनती नागरिकों पर आक्षेप लगाने का आरोप लगाया है. वहीं कांग्रेस का नाम ना लेते हुए विपक्षी दलों की वोट बैंक की राजनीति को विभाजनकारी सिलेक्टिव पॉलिटिक्स और धूल में मिली और जंग खा चुकी सोच करार दिया है.
नड्डा के इस पत्र के माध्यम से सत्ताधारी पार्टी ने जनता को यह बताने की कोशिश की है कि एक तरफ एनडीए ने काम के प्रयास से जनता के दिलों में जगह बनाई है, वहीं विपक्ष और राजनीतिक दलों का यह समूह तुच्छ राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने लेटर में लिखा कि 'हम बाधाएं नहीं विकास चाहते हैं.' भाजपा ने आरोप लगाया है कि विपक्षी पार्टियां विभाजन कार्य नीति अपनाते हुए देश को बांटने का काम कर रही हैं.
एमपी में भी बुलडोजर की राजनीति : मगर सवाल यह उठता है कि आखिर भाजपा को सफाई देने की जरूरत क्यों पड़ रही है. यदि सिलसिलेवार ढंग से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में बुलडोजर की राजनीति का कहीं न कहीं भाजपा को चुनाव में फायदा मिला. इसी से उत्साहित होते हुए मध्य प्रदेश के 'मामा' यानी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी खरगोन में हुई हिंसा के आरोपियों के घर बुलडोजर से गिरवा दिए. शिवराज सरकार में ना कानून का सहारा लिया गया और ना ही उन्हें कोई अल्टीमेटम दिया गय. प्रशासन ने ना आव देखा ना ताव आरोपियों के मकान गिराने शुरू कर दिए. फिर क्या था देश में बुलडोजर राजनीति के खिलाफ तमाम विपक्षी पार्टियां लामबंद हो गईं. उन्होंने केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इस मुद्दे पर कहीं ना कहीं भाजपा बैकफुट पर जाती दिखी. पार्टी को ऐसा लगा कि हमेशा की तरह इस बार भी यह राजनीति उनकी पार्टी को सूट करेगी लेकिन विपक्षियों की लामबंदी ने कहीं ना कहीं पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.
गौरव भाटिया ने भी साधा निशाना : नड्डा के पत्र के बाद भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विपक्षी पार्टियों पर एक बार फिर जमकर हमला बोला. साथ ही पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि जिनकी जवाबदेही बनती है वह सवाल पूछ रहे हैं. इसी के साथ दिल्ली की मुख्यमंत्री पर भी सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि दिल्ली में जहांगीरपुरी में हुए हमले का मास्टरमाइंड इस बार भी 'आप' का कार्यकर्ता निकला. पिछली बार जब दिल्ली में दंगे हुए थे तब भी आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन का हाथ सामने आया था. उन्होंने कहा कि पार्टियों को जनता को जवाब देना चाहिए. उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां लामबंद होकर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठा रही हैं लेकिन शायद कांग्रेस पार्टी भूल गई है कि सबसे ज्यादा दंगे अगर किसी के शासन में हुए तो वह कांग्रेस पार्टी के शासन में हुए.
उन्होंने कहा कि जब खुद कटघरे में खड़े होते हैं तो दुख की बात है कि उसको सही कैसे ठहराते हैं? इसका सबसे दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण कोई है तो वह राजीव गांधी जी हैं. भारतीय जनता पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री एक दूरदर्शी सोच के व्यक्ति हैं और देश का हित कैसे हो? देश आगे कैसे बढ़े? हमेशा इसकी बात सोचते हैं. दूसरी तरफ तुच्छ राजनीति करते हुए कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों की सोच है कि हमारा भला कैसे हो? हम सत्ता में कैसे आएं?. उन्होंने कहा कि चाहे पश्चिम बंगाल हो झारखंड हो राजस्थान हो या महाराष्ट्र हम देख रहे हैं कि इन राज्यों में क्या हो रहा है. यह विपक्षी दल अपील तो करते हैं लेकिन जो प्रमुख सवाल है उसका उत्तर नहीं देते. भाजपा के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने यह सवाल भी उठाया कि ऐसी क्या मजबूरी है कि मतलूब अहमद जरूरी है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी यह सवाल उठाया है कि करौली राजस्थान पर चुप्पी क्यों? यह सवाल देश का है मुख्य आरोपी मतलूब अहमद नामजद आरोपी है. 16 दिन हो चुके हैं लेकिन अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई?.
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