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प. बंगाल: आदिवासी भूमि अधिग्रहण के खिलाफ भाजपा का विरोध मार्च - देवचा पचमी कोयला ब्लॉक भारत का सबसे बड़ा कोयला ब्लॉक

देउचा पंचमी कोयला खनन परियोजना को वापस लेने की मांग को लेकर बीरभूम में भारतीय जनता पार्टी ने विरोध मार्च किया. बता दें कि पीएम मोदी की सरकार ने 2018 में देवचा पचमी हरिनसिंह दीवानगंज कोयला ब्लॉक आवंटित किया था.

प बंगाल भाजपा का विरोध मार्च
प बंगाल भाजपा का विरोध मार्च
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Published : May 13, 2022, 8:46 AM IST

बीरभूम (पश्चिम बंगाल) : पश्चिम बंगाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को देउचा पचमी कोयला खनन परियोजना को वापस लेने की मांग को लेकर बीरभूम में विरोध मार्च निकाला. विरोध का नेतृत्व पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और भाजपा के राज्य प्रमुख सुकांत मजूमदार ने किया. रैली में आदिवासी समाज के लोगों ने भी भाग लिया. सुवेंदु अधिकारी ने कहा, "जबरदस्ती भूमि अधिग्रहण विशेष रूप से आदिवासियों का अवैध है. 2006 में संसद द्वारा पारित अधिनियम के अनुसार, जबरन भूमि अधिग्रहण नहीं हो सकता है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी जबरदस्ती जमीन अधिग्रहण नहीं कर सकती हैं."

सुकांत मजूमदार ने कहा, "ममता बनर्जी जिस तरीके से जबर्दस्ती लोगों घर छीन रही है और आदिवासियों की जमीनों को कुछ व्यापारियों को बेचने का ठेका ले रही हैं, हम उसके खिलाफ हैं. हम उन्हें किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे. वह कभी सफल नहीं होंगी. बीरभूम जिले में देउचा पचमी कोयला परियोजना के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कथित "जबरन भूमि अधिग्रहण" के खिलाफ आदिवासी तीन महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 2018 में पश्चिम बंगाल को देवचा पचमी हरिनसिंह दीवानगंज कोयला ब्लॉक आवंटित किया था. जो कि भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला ब्लॉक आवंटन है.

बीरभूम (पश्चिम बंगाल) : पश्चिम बंगाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को देउचा पचमी कोयला खनन परियोजना को वापस लेने की मांग को लेकर बीरभूम में विरोध मार्च निकाला. विरोध का नेतृत्व पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और भाजपा के राज्य प्रमुख सुकांत मजूमदार ने किया. रैली में आदिवासी समाज के लोगों ने भी भाग लिया. सुवेंदु अधिकारी ने कहा, "जबरदस्ती भूमि अधिग्रहण विशेष रूप से आदिवासियों का अवैध है. 2006 में संसद द्वारा पारित अधिनियम के अनुसार, जबरन भूमि अधिग्रहण नहीं हो सकता है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी जबरदस्ती जमीन अधिग्रहण नहीं कर सकती हैं."

सुकांत मजूमदार ने कहा, "ममता बनर्जी जिस तरीके से जबर्दस्ती लोगों घर छीन रही है और आदिवासियों की जमीनों को कुछ व्यापारियों को बेचने का ठेका ले रही हैं, हम उसके खिलाफ हैं. हम उन्हें किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे. वह कभी सफल नहीं होंगी. बीरभूम जिले में देउचा पचमी कोयला परियोजना के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कथित "जबरन भूमि अधिग्रहण" के खिलाफ आदिवासी तीन महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 2018 में पश्चिम बंगाल को देवचा पचमी हरिनसिंह दीवानगंज कोयला ब्लॉक आवंटित किया था. जो कि भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला ब्लॉक आवंटन है.

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एएनआई

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