कोलकाता : पश्चिम बंगाल के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने तमाम बड़े नेताओं को उतार दिया है. हालांकि,कई जगहों पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बीच बाहरी उम्मीदवार को लेकर पार्टी का कैडर नाराज दिखाई दे रहा है. इस कारण पार्टी को भीड़ जुटाने में भी मुश्किल हो रही है.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी हों या रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह या फिर महिला और बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी, बंगाल की धरती पर पूरे दिन सुभाष चंद्र बॉस विमान टर्मिनल पर, वीआईपी हेलीकॉप्टर और चार्टर्ड विमानों का उतरना जारी है. मानो ऐसा लग रहा है कि यह किसी एक राज्य का चुनाव नहीं बल्कि दिल्ली में प्रधानमंत्री चुनने के लिए कोई चुनाव हो रहा हो.
इस बीच उत्तर प्रदेश के फायर ब्रांड मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी प्रत्याशियों के तरफ से डिमांड काफी ज्यादा आ रही है इसी वजह से उनकी भी सभाओं के आयोजन का इंतेजाम किया जा रहा है. वही सांसद मनोज तिवारी सांसद रवि किशन जैसे नेताओं को भी चुनावी मैदान में झोंक दिया गया है.
हालांकि पार्टी को इन तमाम नेताओं के हेलीकॉप्टर उतारने में भी राज्य सरकार से अुनमति प्राप्त करने को लेकर काफी दिक्कतें आ रही हैं. इसी हफ्ते मनोज तिवारी और उसके बाद मंगलवार को सांसद रवि किशन के हेलीकॉप्टर को उतरने के लिए हैलीपैड जिस मकान मालिक के जमीन पर बनाया गया उसने बाद में देने से जगह मना कर दिया.
गली नुक्कड़ ,चाय की दुकानों से लेकर मिठाइयों की दुकानों पर भी इस बार चुनाव का प्रभाव दिख रहा है. चुनाव का खुमार लोगों पर इस कदर छाया हुआ है कि आप इस का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इस बार यहां की मिठाईयों की दुकान पर पार्टी के नेताओं और उनके चुनाव चिन्ह के संदेश बनाए जा रहे हैं, चाहे वह बीजेपी हो या टीएमसी कांग्रेस या फिर लेफ्ट सभी पार्टियों के चुनाव चिन्ह और उनके नेता की तस्वीर मिठाईयों पर बनाई जा रही है.
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एक मिठाई की दुकान के मालिक का कहना है कि इस बार के चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के डिमांड पर और नए अलग-अलग चुनावी चिन्ह के संदेश बनाने पढ़ रहे हैं. साथ ही राजनीतिक पार्टियां अपने कार्यकर्ताओं के लिए, जहां भी राजनीतिक कार्यक्रम हो रहे हैं ऑर्डर बुक करवा रही हैं ताकि वह संदेश मिठाई के माध्यम से अपना संदेश जनता तक पहुंचा सकें.
पश्चिम बंगाल में कहीं एक तरफ हिंसा, तो वहीं दूसरी तरफ मिठास बंगाल की अपनी ही अलग संस्कृति है, राजनीतिक पार्टियां माहौल बिगाड़ने की चाहे कितनी कोशिश करें बावजूद इसके यहां की जनता में एक अच्छी खासी समझदारी दिखाई पड़ती है, जो अपने वोट का इस्तेमाल कहीं ना कहीं पूरे विवेक से करते हैं और समय आने पर ही पता चल पाएगा कि इस बार का ऊंट किस करवट बैठता है.