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कांग्रेस-एनसीपी से गठबंधन के बाद ही शिवसेना में शुरू हो गया था असंतोष: गोपाल कृष्ण अग्रवाल

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Published : Jun 29, 2022, 7:53 PM IST

Updated : Jun 29, 2022, 8:36 PM IST

महाराष्ट्र में सत्ता को लेकर राजनीतिक उठापटक जारी है और सवाल उठाए जा रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने आखिर इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों साध रखी है. क्या पार्टी वेट एंड वॉच की पॉलिसी अपना रही है. इन तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए दिल्ली में ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना ने भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल से बातचीत की.

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गोपाल कृष्ण अग्रवाल

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि महाराष्ट्र में राजनीतिक अस्थिरता शिवसेना के एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महा विकास अघाडी सरकार बनाने के साथ ही शुरू हो गई थी. उन्होंने कहा कि यह एक तरह से बेमेल राजनीतिक गठबंधन था, क्योंकि शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन को जनाधार मिला था. लेकिन शिवसेना ने अपनी विचारधारा से समझौता किया, जिसके कारण पार्टी के अंदर लगातार असंतोष देखने को मिल रहा था. उन्होंने कहा कि जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट दिया था और शिवसेना ने महाराष्ट्र की जनता के साथ विश्वासघात किया है. यही नहीं, शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे की जो विचारधारा थी, उद्धव ठाकरे ने उसपर कुठाराघात करके स्वार्थ की राजनीति को बढ़ावा दिया.

भाजपा प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल से बातचीत

इस सवाल पर कि एक समय शिवसेना अति हिंदूवादी पार्टी मानी जाती थी, क्या विपक्षी पार्टियों के साथ बेमेल गठबंधन करने की वजह से शिवसेना के विधायक असंतुष्ट हैं, उन्होंने कहा कि मैं इस अतिवादिता को नहीं मानता, एक तरफ जब से हम स्वतंत्र हुए कांग्रेस और खास तौर पर यूपीए की सरकार ने वोट बैंक की राजनीति की और वह मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करती रही है, और उनके साथ समाजवादी पार्टी और एनसीपी जैसी पार्टियां भी रहीं, उससे देश में सामाजिक अस्थिरता आ रही थी और यह इसी का परिणाम था कि शिवसेना जैसी हिंदुत्व की विचारधारा वाली पार्टियों का जन्म हुआ. यह मात्र हिंदुत्व की बात नहीं थी बल्कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति की वजह से इस विचारधारा को आगे आना पड़ा था और प्रखर राष्ट्रवाद को लेकर बीजेपी भी आगे बढ़ी. लेकिन आज जो उद्धव ठाकरे कर रहे हैं उससे इस विचारधारा का कोई मेल नहीं है बल्कि वह स्वार्थ की राजनीति कर रहे हैं.

शिवसेना के सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाने के संबंध में बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कि जिस तरह से शिवसेना के नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं जिस तरह से महाराष्ट्र पुलिस भ्रष्टाचार में लिप्त थी और जिस तरह से ठाकरे गुट ने सत्ता का दुरुपयोग किया, वह सबके सामने और यदि जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार की जांच करेंगी तो इसमें आरोप लगाने की क्या बात है. अगर प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार नजर आ रहा है तो ऐसे में जांच एजेंसियां अपना काम करेंगी ही.

यह भी पढ़ें- एकनाथ शिंदे और बागी विधायक, असम से गोवा के लिए हुए रवाना

उन्होंने कहा कि यह शिवसेना का अंदरूनी मामला था लेकिन अब उद्धव ठाकरे के साथ चार-पांच विधायक ही रह गए हैं. 'असली शिवसेना' तो अब शिंदे गुट बन गया है, इसलिए इसमें भाजपा की कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस ने यह स्पष्ट किया है कि जो महाराष्ट्र के हित में होगा वही भारतीय जनता पार्टी करेगी और आज जो ठाकरे गुट कर रहा है वह शिवसेना की मूल विचारधारा में भी नहीं है.

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि महाराष्ट्र में राजनीतिक अस्थिरता शिवसेना के एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महा विकास अघाडी सरकार बनाने के साथ ही शुरू हो गई थी. उन्होंने कहा कि यह एक तरह से बेमेल राजनीतिक गठबंधन था, क्योंकि शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन को जनाधार मिला था. लेकिन शिवसेना ने अपनी विचारधारा से समझौता किया, जिसके कारण पार्टी के अंदर लगातार असंतोष देखने को मिल रहा था. उन्होंने कहा कि जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट दिया था और शिवसेना ने महाराष्ट्र की जनता के साथ विश्वासघात किया है. यही नहीं, शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे की जो विचारधारा थी, उद्धव ठाकरे ने उसपर कुठाराघात करके स्वार्थ की राजनीति को बढ़ावा दिया.

भाजपा प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल से बातचीत

इस सवाल पर कि एक समय शिवसेना अति हिंदूवादी पार्टी मानी जाती थी, क्या विपक्षी पार्टियों के साथ बेमेल गठबंधन करने की वजह से शिवसेना के विधायक असंतुष्ट हैं, उन्होंने कहा कि मैं इस अतिवादिता को नहीं मानता, एक तरफ जब से हम स्वतंत्र हुए कांग्रेस और खास तौर पर यूपीए की सरकार ने वोट बैंक की राजनीति की और वह मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करती रही है, और उनके साथ समाजवादी पार्टी और एनसीपी जैसी पार्टियां भी रहीं, उससे देश में सामाजिक अस्थिरता आ रही थी और यह इसी का परिणाम था कि शिवसेना जैसी हिंदुत्व की विचारधारा वाली पार्टियों का जन्म हुआ. यह मात्र हिंदुत्व की बात नहीं थी बल्कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति की वजह से इस विचारधारा को आगे आना पड़ा था और प्रखर राष्ट्रवाद को लेकर बीजेपी भी आगे बढ़ी. लेकिन आज जो उद्धव ठाकरे कर रहे हैं उससे इस विचारधारा का कोई मेल नहीं है बल्कि वह स्वार्थ की राजनीति कर रहे हैं.

शिवसेना के सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाने के संबंध में बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कि जिस तरह से शिवसेना के नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं जिस तरह से महाराष्ट्र पुलिस भ्रष्टाचार में लिप्त थी और जिस तरह से ठाकरे गुट ने सत्ता का दुरुपयोग किया, वह सबके सामने और यदि जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार की जांच करेंगी तो इसमें आरोप लगाने की क्या बात है. अगर प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार नजर आ रहा है तो ऐसे में जांच एजेंसियां अपना काम करेंगी ही.

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उन्होंने कहा कि यह शिवसेना का अंदरूनी मामला था लेकिन अब उद्धव ठाकरे के साथ चार-पांच विधायक ही रह गए हैं. 'असली शिवसेना' तो अब शिंदे गुट बन गया है, इसलिए इसमें भाजपा की कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस ने यह स्पष्ट किया है कि जो महाराष्ट्र के हित में होगा वही भारतीय जनता पार्टी करेगी और आज जो ठाकरे गुट कर रहा है वह शिवसेना की मूल विचारधारा में भी नहीं है.

Last Updated : Jun 29, 2022, 8:36 PM IST
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