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किसान पुत्र को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर पार्टी ने बढ़ाया किसानों का मान : चाहर

देश के उपराष्ट्रपति पद के लिए भाजपा ने किसान परिवार के सदस्य जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया है. इसके लिए भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर ने किसान मोर्चा की बैठक बुलाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को बधाई दी है. वहीं, देशभर के किसानों ने धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर भाजपा को धन्यवाद दिया है. 'ईटीवी भारत' की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना ने राजकुमार चाहर से बात की. जानिए खास बातचीत में चाहर ने क्या कहा.

BJP Kisan Morcha President and MP Rajkumar Chahar
भाजपा किसान मोर्चा अध्यक्ष और सांसद राजकुमार चाहर
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Published : Jul 18, 2022, 9:57 PM IST

नई दिल्ली : भाजपा किसान मोर्चा अध्यक्ष और सांसद राजकुमार चाहर (BJP Kisan Morcha President MP Rajkumar Chahar) ने कहा कि किसान परिवार से आने वाले जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाए जाने से किसानों में बहुत उत्साह है. पूरे देश के किसानों को यह एक सम्मान मिला है. भाजपा के इस कदम के लिए किसान पार्टी को धन्यवाद दे रहे हैं. इस सवाल पर कि क्या किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए यह फैसला लिया गया है.

चाहर से खास बातचीत

उन्होंने कहा कि जब से जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार (vice presidential candidate) बनाया गया तब से किसानों के पूरे देश से बधाई संदेश आ रहे हैं. लोग भाजपा अध्यक्ष से मिलकर भी उनका अभिनंदन कर रहे हैं. लोगों में खुशी है कि किसान के परिवार को एक सम्मान दिया गया है. देश में पहली बार ऐसा हुआ है जब एक किसान के बेटे को भारतीय जनता पार्टी ने उपराष्ट्रपति पद जैसे संवैधानिक पद पर बिठाने के लिए उम्मीदवार बनाया है.

इस सवाल पर कि क्या कुछ ऐसी पार्टियां भी समर्थन में आएंगी जो एनडीए में नहीं है? उन्होंने कहा कि 'यह बहुत बड़े गौरव की बात है कि कोई किसान के सामान्य परिवार से उपराष्ट्रपति पद के लिए खड़ा हुआ है. इसी तरह द्रौपदी मुर्मू जी भी ऐसे परिवार से आतीं हैं जहां उन्होंने बहुत संघर्ष किया है. ऐसी महिला को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है. वह एक आदिवासी महिला हैं. बाकी पार्टियां अभी तक ऐसा सोच भी नहीं सकती थीं लेकिन भाजपा ने सम्मान दिया है. देश के सर्वोच्च पद के उम्मीदवार के लिए उन्हें चुना है. वह निश्चित रूप से प्रचंड बहुमत से जीतकर आएंगी. निश्चित रूप से दलगत राजनीति से ऊपर उठकर यूपीए खेमे के लोग भी उनका साथ दे रहे हैं.'

'वंशवादी पार्टियों के पास ना विचार है ना विचारधारा' : विपक्ष ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों ही पदों के लिए उम्मीदवार उतारे हैं. इस सवाल का जवाब देते हुए चाहर ने कहा कि वंशवादी पार्टियों के पास ना विचार है ना विचारधारा है इसलिए वह हताश और निराश हैं. उनके पास कुछ भी नहीं है इसलिए वह दोनों ही पदों के लिए उम्मीदवार उतारे, मगर आंकड़े हमारे साथ हैं और प्रचंड बहुमत से हमारे उम्मीदवार जीतेंगे.

संसद में असंसदीय भाषा पर लगी पाबंदी के बाद प्रधानमंत्री के वक्तव्य पर भी विपक्ष टिप्पणी कर रहा है. इस सवाल का जवाब देते हुए चाहर ने कहा कि 'कौन से शब्द संसदीय हैं और कौन से असंसदीय, संसद के अंदर भी गरिमा और बाहर भी गरिमा. समाज में शब्दों का चयन अच्छा करना चाहिए. यह व्यक्तिगत तौर पर भी लोगों को देखना चाहिए कि कोई हद पार न करे. संसद का सर्वोच्च स्थान है ऐसे में यदि संसद में सही शब्दों का चयन नहीं होगा तो एक गलत मैसेज जाएगा.

ममता के साथ टकराव पर ये दिया जवाब : इस सवाल पर कि धनखड़ पश्चिम बंगाल के गवर्नर भी रहे हैं. जाट कम्युनिटी से ताल्लुक रखने वाले धनखड़ का ममता बनर्जी के साथ पद और संवैधानिक गरिमा को लेकर कई बार टकराव हुआ है. इस पर उन्होंने कहा कि बंगाल में संवैधानिक व्यवस्था को लागू कराने के लिए वह समय-समय पर संवैधानिक पद की गरिमा को याद दिलाते रहे हैं. वहां जो घटनाएं होती रही हैं वह देश ने देखी हैं. उन्होंने कानून का पालन कराने का वहां पर काम किया है. ममता ने उन्हें नहीं बल्कि संविधान और लोकतंत्र को चुनौती दी और यह किसी को बर्दाश्त नहीं होता है.

पढ़ें- Vice Presidential election: NDA उम्मीदवार जगदीप धनखड़ ने किया नामांकन

यह भी पढ़ें- उपराष्ट्रपति चुनाव: जगदीप धनखड़ होंगे एनडीए के उम्मीदवार, पीएम मोदी ने दी बधाई

नई दिल्ली : भाजपा किसान मोर्चा अध्यक्ष और सांसद राजकुमार चाहर (BJP Kisan Morcha President MP Rajkumar Chahar) ने कहा कि किसान परिवार से आने वाले जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाए जाने से किसानों में बहुत उत्साह है. पूरे देश के किसानों को यह एक सम्मान मिला है. भाजपा के इस कदम के लिए किसान पार्टी को धन्यवाद दे रहे हैं. इस सवाल पर कि क्या किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए यह फैसला लिया गया है.

चाहर से खास बातचीत

उन्होंने कहा कि जब से जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार (vice presidential candidate) बनाया गया तब से किसानों के पूरे देश से बधाई संदेश आ रहे हैं. लोग भाजपा अध्यक्ष से मिलकर भी उनका अभिनंदन कर रहे हैं. लोगों में खुशी है कि किसान के परिवार को एक सम्मान दिया गया है. देश में पहली बार ऐसा हुआ है जब एक किसान के बेटे को भारतीय जनता पार्टी ने उपराष्ट्रपति पद जैसे संवैधानिक पद पर बिठाने के लिए उम्मीदवार बनाया है.

इस सवाल पर कि क्या कुछ ऐसी पार्टियां भी समर्थन में आएंगी जो एनडीए में नहीं है? उन्होंने कहा कि 'यह बहुत बड़े गौरव की बात है कि कोई किसान के सामान्य परिवार से उपराष्ट्रपति पद के लिए खड़ा हुआ है. इसी तरह द्रौपदी मुर्मू जी भी ऐसे परिवार से आतीं हैं जहां उन्होंने बहुत संघर्ष किया है. ऐसी महिला को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है. वह एक आदिवासी महिला हैं. बाकी पार्टियां अभी तक ऐसा सोच भी नहीं सकती थीं लेकिन भाजपा ने सम्मान दिया है. देश के सर्वोच्च पद के उम्मीदवार के लिए उन्हें चुना है. वह निश्चित रूप से प्रचंड बहुमत से जीतकर आएंगी. निश्चित रूप से दलगत राजनीति से ऊपर उठकर यूपीए खेमे के लोग भी उनका साथ दे रहे हैं.'

'वंशवादी पार्टियों के पास ना विचार है ना विचारधारा' : विपक्ष ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों ही पदों के लिए उम्मीदवार उतारे हैं. इस सवाल का जवाब देते हुए चाहर ने कहा कि वंशवादी पार्टियों के पास ना विचार है ना विचारधारा है इसलिए वह हताश और निराश हैं. उनके पास कुछ भी नहीं है इसलिए वह दोनों ही पदों के लिए उम्मीदवार उतारे, मगर आंकड़े हमारे साथ हैं और प्रचंड बहुमत से हमारे उम्मीदवार जीतेंगे.

संसद में असंसदीय भाषा पर लगी पाबंदी के बाद प्रधानमंत्री के वक्तव्य पर भी विपक्ष टिप्पणी कर रहा है. इस सवाल का जवाब देते हुए चाहर ने कहा कि 'कौन से शब्द संसदीय हैं और कौन से असंसदीय, संसद के अंदर भी गरिमा और बाहर भी गरिमा. समाज में शब्दों का चयन अच्छा करना चाहिए. यह व्यक्तिगत तौर पर भी लोगों को देखना चाहिए कि कोई हद पार न करे. संसद का सर्वोच्च स्थान है ऐसे में यदि संसद में सही शब्दों का चयन नहीं होगा तो एक गलत मैसेज जाएगा.

ममता के साथ टकराव पर ये दिया जवाब : इस सवाल पर कि धनखड़ पश्चिम बंगाल के गवर्नर भी रहे हैं. जाट कम्युनिटी से ताल्लुक रखने वाले धनखड़ का ममता बनर्जी के साथ पद और संवैधानिक गरिमा को लेकर कई बार टकराव हुआ है. इस पर उन्होंने कहा कि बंगाल में संवैधानिक व्यवस्था को लागू कराने के लिए वह समय-समय पर संवैधानिक पद की गरिमा को याद दिलाते रहे हैं. वहां जो घटनाएं होती रही हैं वह देश ने देखी हैं. उन्होंने कानून का पालन कराने का वहां पर काम किया है. ममता ने उन्हें नहीं बल्कि संविधान और लोकतंत्र को चुनौती दी और यह किसी को बर्दाश्त नहीं होता है.

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