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पश्चिम बंगाल के परिणाम को सेमीफाइनल के तौर पर देख रही है भाजपा

पश्चिम बंगाल का चुनाव भले ही एक राज्य का चुनाव हो, लेकिन इस की हार जीत राष्ट्रीय राजनीति के पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ेगी और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक सेमीफाइनल एजेंडा तैयार करेगी, वह कैसे आइए जानते है वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की इस रिपोर्ट में...

बैजयंत जय पांडा
बैजयंत जय पांडा
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Published : Apr 30, 2021, 9:09 PM IST

नई दिल्ली : सर्वे के मुताबिक इस बार तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच कांटे का मुकाबला है. जीत चाहे किसी भी पार्टी की हो, लेकिन जीत का अंतर काफी कम रहने की संभावना है और इस वजह से मतगणना के बाद गठबंधन के भी अनुमान लगाए जा रहे हैं.

मगर जिस तरह भारतीय जनता पार्टी ने बंगाल का चुनाव लड़ा है वह पार्टी के लिए किसी लोकसभा चुनाव से कम नहीं रहा. पार्टी ने इस चुनाव में सारे दांव लगा दिए . बड़ी संख्या में टीएमसी और लेफ्ट के नेताओं का पार्टी में आना पार्टी के कैडर में आमूलचूल परिवर्तन और पहले से चल रहे बीजेपी के संगठन में चुनाव से पहले भारी फेरबदल पूरे चुनाव की जिम्मेदारी और बीड़ा गृह मंत्री अमित शाह के कंधे पर रहा ,क्योंकि यह उनके लिए नाक की लड़ाई थी.

हालांकि सर्वे कांटे का मुकाबला बता रहे हैं, मगर भारतीय जनता पार्टी के नेता अभी भी आत्मविश्वास से लवरेज 100% बंगाल में सत्ता हासिल करने की बात कर रहे हैं. उनका दावा है कि बंगाल भाजपा की झोली में आ चुका है. बहरहाल यहां सवाल यह उठता है कि यदि तमाम दावों के बावजूद पार्टी अगर बंगाल में चुनाव नहीं जीत पाती है और सरकार नहीं बना पाती है, तो पार्टी के ऊपर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा.

जिस तरह पूरे कोरोना वायरस दौरान बंगाल की लड़ाई लड़ी गई. इसमें कहीं ना कहीं इस बार चुनाव आयोग भी पूरी तरह से एक्सपोज होता हुआ नजर आया. यह बात कई अदालतों ने भी चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए कह दी और अब जनता भी इस बात को समझ रही है.

विपक्षी पार्टियां तो आरोप लगा ही रही हैं कि कोविड-19 के बढ़ने के लिए भी चुनाव आयोग ही जिम्मेदार है. कुछ नेताओं ने तो यहां तक कह दिया कि जैसे पहले सीबीआई सरकार के लिए तोते का काम कर रहा था आज उसी जगह पर चुनाव आयोग आ चुका है.

भारतीय जनता पार्टी के लिए बंगाल को जीतना नाक की लड़ाई बन चुकी है, लेकिन अगर किसी भी कारणवश भारतीय जनता पार्टी वहां चुनाव नहीं जीत पाई तो पार्टी के राष्ट्रीय स्तर पर काफी प्रभाव पड़ सकता है यही नहीं जो साख पिछले सात-आठ सालों से मोदी और शाह की जोड़ी ने पार्टी के अंदर बनाई है उस पर भी सवाल उठ सकते हैं. इसीलिए बंगाल का चुनाव जीतना पार्टी के लिए आंतरिक तौर पर भी बेहद जरूरी है.

ईटीवी भारत से बात करते बैजयंत जय पांडा
सूत्रों की माने तो लोकसभा 2024 के चुनाव से पहले बंगाल के रिजल्ट को भारतीय जनता पार्टी एक सेमीफाइनल के तौर पर देख रही है. वैसे तो चुनाव चार राज्यों और एक यूनियन टेरिटरी में हो रहा है मगर इन पांचों स्थान में सबसे ज्यादा ताकत बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में झोंकी है.

वहीं इससे इतर दूसरी तरफ देखें तो पश्चिम बंगाल में टीएमसी का साथ देने के लिए तमाम छोटी-बड़ी विपक्षी पार्टियों ने ममता को अपना समर्थन पत्र सौंप दिया था. भले ही कांग्रेस लेफ्ट के गठबंधन के साथ रही, लेकिन चुनाव प्रचार में जिस तरह से नाम मात्र की रूचि कांग्रेस के नेताओं ने दिखाई, उसे देखकर लगता है कि कांग्रेस की तरफ से लेफ्ट गठबंधन में शामिल होना कांग्रेस खुद ही एक बड़ी भूल मान रही थी.

अगर बीजेपी पश्चिम बंगाल में सत्ता हासिल कर लेती है ,तो शायद राष्ट्रीय पटल पर भारतीय जनता पार्टी के लिए लोकसभा 2024 का चुनाव और भी आसान हो जाएगा, लेकिन यदि जिस तरह सर्वे नेक टू नेक फाइट बता रहे हैं यदि पार्टी बंगाल के चुनाव में हार जाती है तो 2024 का चुनाव , भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत आसान नहीं होगा. ना सिर्फ पार्टी के अंदर के लोकतंत्र पर इसका प्रभाव पड़ सकता है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर बंगाल की मुख्यमंत्री के नेतृत्व में तमाम विपक्षी पार्टियों का एक बड़ा कुनबा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विपक्ष में खड़ा नजर आ सकता है और उसकी कमान ममता बनर्जी संभाल सकती हैं.

कहीं ना कहीं बंगाल की जीत से जहां पार्टी के दो वरिष्ठ नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पूरी पावर प्रदान कर सकते हैं, जो अभी भी है मगर उसमें और भी एकाधिकार आ सकता है, लेकिन वहीं यदि पार्टी यह चुनाव हार जाती है, तो ममता बनर्जी को विपक्षी पार्टियां सीधे-सीधे नरेंद्र मोदी के समानांतर नेता बताने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी.

ईटीवी भारत से बात करते बैजयंत जय पांडा

पश्चिम बंगाल के एग्जिट पोल भले ही बीजेपी और टीएमसी के लिए संशय की स्थिति बना रहे हों, लेकिन असम को लेकर भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से आश्वस्त नजर आ रही है बंगाल पर भले ही पार्टी के नेता कुछ भी बोलने से बच रहे हों, लेकिन आसाम पर वह बढ़-चढ़कर दावे कर रहे हैं.

पढ़ें - अरुणाचल प्रदेश : 18-44 आयु वर्ग को कोरोना टीका लगने में होगी देर

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और आसाम के प्रभारी बैजयंत जय पांडा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि जो एग्जिट पोल अभी बता रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी कई प्रदेशों में जीत रही है, यह हमारी जनता का विश्वास है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का ही यह प्रमाण है और भारतीय जनता पार्टी जिन राज्यो में सरकार में है, वहां के सुशासन के बारे में सभी को मालूम है.

उन्होंने कहा कि यदि आसाम में हम देखें तो 5 साल में एक विकास हुआ है. रेलवे हों या पानी के प्रोजेक्ट तमाम योजनाओं के माध्यम से लोगों को सहायता पहुंचाई गई है. नेटवर्क को लागू करा कर फाइनली मिलिटेंसी को खत्म किया गया है.

उन्होंने यह भी दावा किया कि कोविड-19 किसी भी बड़े राज्य से ज्यादा अच्छा मैनेजमेंट आसाम में रहा और इसलिए संभव हुआ है क्योंकि प्रधानमंत्री का असम और पूरे नॉर्थईस्ट पर फोक्स रहा है और गृह मंत्री ने भी काफी ध्यान दिया है और यही नहीं भारतीय जनता पार्टी के लाखों कार्यकर्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में पिछले एक साल से लगातार कोविड-19 में भी लोगों की सेवा कर रहे हैं.

नई दिल्ली : सर्वे के मुताबिक इस बार तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच कांटे का मुकाबला है. जीत चाहे किसी भी पार्टी की हो, लेकिन जीत का अंतर काफी कम रहने की संभावना है और इस वजह से मतगणना के बाद गठबंधन के भी अनुमान लगाए जा रहे हैं.

मगर जिस तरह भारतीय जनता पार्टी ने बंगाल का चुनाव लड़ा है वह पार्टी के लिए किसी लोकसभा चुनाव से कम नहीं रहा. पार्टी ने इस चुनाव में सारे दांव लगा दिए . बड़ी संख्या में टीएमसी और लेफ्ट के नेताओं का पार्टी में आना पार्टी के कैडर में आमूलचूल परिवर्तन और पहले से चल रहे बीजेपी के संगठन में चुनाव से पहले भारी फेरबदल पूरे चुनाव की जिम्मेदारी और बीड़ा गृह मंत्री अमित शाह के कंधे पर रहा ,क्योंकि यह उनके लिए नाक की लड़ाई थी.

हालांकि सर्वे कांटे का मुकाबला बता रहे हैं, मगर भारतीय जनता पार्टी के नेता अभी भी आत्मविश्वास से लवरेज 100% बंगाल में सत्ता हासिल करने की बात कर रहे हैं. उनका दावा है कि बंगाल भाजपा की झोली में आ चुका है. बहरहाल यहां सवाल यह उठता है कि यदि तमाम दावों के बावजूद पार्टी अगर बंगाल में चुनाव नहीं जीत पाती है और सरकार नहीं बना पाती है, तो पार्टी के ऊपर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा.

जिस तरह पूरे कोरोना वायरस दौरान बंगाल की लड़ाई लड़ी गई. इसमें कहीं ना कहीं इस बार चुनाव आयोग भी पूरी तरह से एक्सपोज होता हुआ नजर आया. यह बात कई अदालतों ने भी चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए कह दी और अब जनता भी इस बात को समझ रही है.

विपक्षी पार्टियां तो आरोप लगा ही रही हैं कि कोविड-19 के बढ़ने के लिए भी चुनाव आयोग ही जिम्मेदार है. कुछ नेताओं ने तो यहां तक कह दिया कि जैसे पहले सीबीआई सरकार के लिए तोते का काम कर रहा था आज उसी जगह पर चुनाव आयोग आ चुका है.

भारतीय जनता पार्टी के लिए बंगाल को जीतना नाक की लड़ाई बन चुकी है, लेकिन अगर किसी भी कारणवश भारतीय जनता पार्टी वहां चुनाव नहीं जीत पाई तो पार्टी के राष्ट्रीय स्तर पर काफी प्रभाव पड़ सकता है यही नहीं जो साख पिछले सात-आठ सालों से मोदी और शाह की जोड़ी ने पार्टी के अंदर बनाई है उस पर भी सवाल उठ सकते हैं. इसीलिए बंगाल का चुनाव जीतना पार्टी के लिए आंतरिक तौर पर भी बेहद जरूरी है.

ईटीवी भारत से बात करते बैजयंत जय पांडा
सूत्रों की माने तो लोकसभा 2024 के चुनाव से पहले बंगाल के रिजल्ट को भारतीय जनता पार्टी एक सेमीफाइनल के तौर पर देख रही है. वैसे तो चुनाव चार राज्यों और एक यूनियन टेरिटरी में हो रहा है मगर इन पांचों स्थान में सबसे ज्यादा ताकत बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में झोंकी है.

वहीं इससे इतर दूसरी तरफ देखें तो पश्चिम बंगाल में टीएमसी का साथ देने के लिए तमाम छोटी-बड़ी विपक्षी पार्टियों ने ममता को अपना समर्थन पत्र सौंप दिया था. भले ही कांग्रेस लेफ्ट के गठबंधन के साथ रही, लेकिन चुनाव प्रचार में जिस तरह से नाम मात्र की रूचि कांग्रेस के नेताओं ने दिखाई, उसे देखकर लगता है कि कांग्रेस की तरफ से लेफ्ट गठबंधन में शामिल होना कांग्रेस खुद ही एक बड़ी भूल मान रही थी.

अगर बीजेपी पश्चिम बंगाल में सत्ता हासिल कर लेती है ,तो शायद राष्ट्रीय पटल पर भारतीय जनता पार्टी के लिए लोकसभा 2024 का चुनाव और भी आसान हो जाएगा, लेकिन यदि जिस तरह सर्वे नेक टू नेक फाइट बता रहे हैं यदि पार्टी बंगाल के चुनाव में हार जाती है तो 2024 का चुनाव , भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत आसान नहीं होगा. ना सिर्फ पार्टी के अंदर के लोकतंत्र पर इसका प्रभाव पड़ सकता है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर बंगाल की मुख्यमंत्री के नेतृत्व में तमाम विपक्षी पार्टियों का एक बड़ा कुनबा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विपक्ष में खड़ा नजर आ सकता है और उसकी कमान ममता बनर्जी संभाल सकती हैं.

कहीं ना कहीं बंगाल की जीत से जहां पार्टी के दो वरिष्ठ नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पूरी पावर प्रदान कर सकते हैं, जो अभी भी है मगर उसमें और भी एकाधिकार आ सकता है, लेकिन वहीं यदि पार्टी यह चुनाव हार जाती है, तो ममता बनर्जी को विपक्षी पार्टियां सीधे-सीधे नरेंद्र मोदी के समानांतर नेता बताने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी.

ईटीवी भारत से बात करते बैजयंत जय पांडा

पश्चिम बंगाल के एग्जिट पोल भले ही बीजेपी और टीएमसी के लिए संशय की स्थिति बना रहे हों, लेकिन असम को लेकर भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से आश्वस्त नजर आ रही है बंगाल पर भले ही पार्टी के नेता कुछ भी बोलने से बच रहे हों, लेकिन आसाम पर वह बढ़-चढ़कर दावे कर रहे हैं.

पढ़ें - अरुणाचल प्रदेश : 18-44 आयु वर्ग को कोरोना टीका लगने में होगी देर

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और आसाम के प्रभारी बैजयंत जय पांडा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि जो एग्जिट पोल अभी बता रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी कई प्रदेशों में जीत रही है, यह हमारी जनता का विश्वास है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का ही यह प्रमाण है और भारतीय जनता पार्टी जिन राज्यो में सरकार में है, वहां के सुशासन के बारे में सभी को मालूम है.

उन्होंने कहा कि यदि आसाम में हम देखें तो 5 साल में एक विकास हुआ है. रेलवे हों या पानी के प्रोजेक्ट तमाम योजनाओं के माध्यम से लोगों को सहायता पहुंचाई गई है. नेटवर्क को लागू करा कर फाइनली मिलिटेंसी को खत्म किया गया है.

उन्होंने यह भी दावा किया कि कोविड-19 किसी भी बड़े राज्य से ज्यादा अच्छा मैनेजमेंट आसाम में रहा और इसलिए संभव हुआ है क्योंकि प्रधानमंत्री का असम और पूरे नॉर्थईस्ट पर फोक्स रहा है और गृह मंत्री ने भी काफी ध्यान दिया है और यही नहीं भारतीय जनता पार्टी के लाखों कार्यकर्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में पिछले एक साल से लगातार कोविड-19 में भी लोगों की सेवा कर रहे हैं.

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