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...तो इसलिए बीजेपी ने पुराने चेहरों पर जताया भरोसा, संदेश आज का और संकेत 2024 का है

पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) के चुनाव हारने के बाद भी उन्हें उत्तराखंड की कुर्सी सौंपने का निर्णय हो या गोवा में सीएम पद को लेकर उठे असंतोष के बावजूद प्रमोद सावंत पर भरोसा जताना, यह दोनों बातें बीजेपी नेतृत्व की मजबूती का प्रमाण हैं. हालांकि यह भी माना जा रहा है कि आने वाले समय में यह चुनौतियां बढ़ सकती हैं. लेकिन भाजपा की नजर 2024 के लोकसभा चुनाव (2024 Lok Sabha Elections) पर हैं. बीजेपी की इस रणनीति को डिकोड कर रही हैं ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना.

PM MODI
पीएम मोदी
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Published : Mar 22, 2022, 9:09 PM IST

नई दिल्ली: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद (Chief Minister post in Uttarakhand) के लिए बीजेपी ने एक बार फिर से पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) पर भरोसा जताया है. जबकि धामी, खटीमा से चुनाव हार चुके हैं. हालांकि यह बात लगातार केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच रही थी कि धामी को चुनाव हरवाने में पार्टी छोड़कर गए कुछ नेताओं की अहम भूमिका है. इसलिए बीजेपी ने समय रहते रणनीति बदली और लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) का मैदान भी तैयार कर दिया.

बीजेपी ने पार्टी के बाहर व अंदर ऐसी चाहत रखने वालों को करारा जवाब देते हुए पार्टी ने पुष्कर सिंह धामी को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया. वहीं गोवा की बात करें तो वहां भी लगातार दूसरी बार प्रमोद सावंत पर ही पार्टी ने भरोसा जताया है. यह बात सही है कि गोवा में प्रमोद सावंत पार्टी के बड़े चेहरे के रूप में उभरकर आए हैं. मगर पार्टी के लिए यह निर्णय करना आसान नहीं था. क्योंकि मुकाबला काफी कड़ा था. राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे लगातार सीएम पद की रेस में थे और प्रमोद सावंत के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. मगर 11 दिन के सस्पेंस के बाद भारतीय जनता पार्टी ने प्रमोद सावंत पर ही भरोसा जताते हुए तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया.

पार्टी के पुराने वफादारों पर भरोसा
चार राज्यों के चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी में केंद्रीय नेतृत्व के काम करने की दिशा में हल्का सा बदलाव नजर आया है. इसे ऐसे समझें, कि यूपी से स्वामी प्रसाद मौर्या, दारा सिंह चौहान सरीखे नेताओं सहित बड़ी संख्या में पार्टी विधायकों के जाने के बाद बीजेपी ने रणनीति में बदलाव किया और सीटिंग विधायकों के टिकट काटने पर रोक लगा दी. पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो केंद्रीय नेतृत्व के पास राज्य के ही कुछ नेताओं ने यह बात पहुंचाई कि बंगाल चुनाव के समय से ही पार्टी में बड़ी संख्या में बाहरी लोगों के आने की वजह से पार्टी के अपने कार्यकर्ता नाराज चल रहे हैं. इसलिए पार्टी को अपने नेताओं पर भरोसा जताना ही पड़ेगा.

नजरें 2024 लोकसभा चुनाव पर
बीजेपी के बड़े नेता केंद्रीय नेतृत्व को यह समझाने में कामयाब रहे कि यदि अपनों पर भरोसा नहीं किया गया तो 2024 तक कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा सकते हैं. यही वजह रही कि पार्टी ने विधायकों के टिकट काटने की प्रक्रिया को तुरंत रोक दिया. बीजेपी ने जीते हुए चारों राज्य मणिपुर, उत्तर प्रदेश, गोवा और उत्तराखंड में अपने पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया. सूत्रों की मानें तो इसके पीछे का बड़ा कारण 2024 का चुनाव है. बीजेपी ने उसकी शुरुआत अभी से कर दी है.

यह भी पढ़ें- मानसरोवर यात्रा पर बोले गडकरी- अब चीन-नेपाल की जरूरत नहीं, फारूक अब्दुल्ला की मांग- स्थानीय गरीबों को मिले रोजगार

चुनावी राज्यों में तैयारी शुरू
भारतीय जनता पार्टी को इन राज्यों से ज्यादा से ज्यादा सीटें लोकसभा चुनाव में लाने की रणनीति पर चल रही है. अगले साल भी जिन राज्यों में चुनाव हैं, पार्टी उनकी तैयारियां कर रही है. उदाहरण के तौर पर तेलंगाना को देखा जाए तो जिन 60 लोगों की टीम उत्तर प्रदेश में काम कर रही थी, उन्हीं 60 लोगों को अब तेलंगाना में पार्टी ने तैनात कर दिया है. ताकि वह चुनाव के लिए पहले से प्लेटफार्म तैयार कर सकें.

नई दिल्ली: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद (Chief Minister post in Uttarakhand) के लिए बीजेपी ने एक बार फिर से पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) पर भरोसा जताया है. जबकि धामी, खटीमा से चुनाव हार चुके हैं. हालांकि यह बात लगातार केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच रही थी कि धामी को चुनाव हरवाने में पार्टी छोड़कर गए कुछ नेताओं की अहम भूमिका है. इसलिए बीजेपी ने समय रहते रणनीति बदली और लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) का मैदान भी तैयार कर दिया.

बीजेपी ने पार्टी के बाहर व अंदर ऐसी चाहत रखने वालों को करारा जवाब देते हुए पार्टी ने पुष्कर सिंह धामी को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया. वहीं गोवा की बात करें तो वहां भी लगातार दूसरी बार प्रमोद सावंत पर ही पार्टी ने भरोसा जताया है. यह बात सही है कि गोवा में प्रमोद सावंत पार्टी के बड़े चेहरे के रूप में उभरकर आए हैं. मगर पार्टी के लिए यह निर्णय करना आसान नहीं था. क्योंकि मुकाबला काफी कड़ा था. राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे लगातार सीएम पद की रेस में थे और प्रमोद सावंत के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. मगर 11 दिन के सस्पेंस के बाद भारतीय जनता पार्टी ने प्रमोद सावंत पर ही भरोसा जताते हुए तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया.

पार्टी के पुराने वफादारों पर भरोसा
चार राज्यों के चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी में केंद्रीय नेतृत्व के काम करने की दिशा में हल्का सा बदलाव नजर आया है. इसे ऐसे समझें, कि यूपी से स्वामी प्रसाद मौर्या, दारा सिंह चौहान सरीखे नेताओं सहित बड़ी संख्या में पार्टी विधायकों के जाने के बाद बीजेपी ने रणनीति में बदलाव किया और सीटिंग विधायकों के टिकट काटने पर रोक लगा दी. पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो केंद्रीय नेतृत्व के पास राज्य के ही कुछ नेताओं ने यह बात पहुंचाई कि बंगाल चुनाव के समय से ही पार्टी में बड़ी संख्या में बाहरी लोगों के आने की वजह से पार्टी के अपने कार्यकर्ता नाराज चल रहे हैं. इसलिए पार्टी को अपने नेताओं पर भरोसा जताना ही पड़ेगा.

नजरें 2024 लोकसभा चुनाव पर
बीजेपी के बड़े नेता केंद्रीय नेतृत्व को यह समझाने में कामयाब रहे कि यदि अपनों पर भरोसा नहीं किया गया तो 2024 तक कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा सकते हैं. यही वजह रही कि पार्टी ने विधायकों के टिकट काटने की प्रक्रिया को तुरंत रोक दिया. बीजेपी ने जीते हुए चारों राज्य मणिपुर, उत्तर प्रदेश, गोवा और उत्तराखंड में अपने पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया. सूत्रों की मानें तो इसके पीछे का बड़ा कारण 2024 का चुनाव है. बीजेपी ने उसकी शुरुआत अभी से कर दी है.

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चुनावी राज्यों में तैयारी शुरू
भारतीय जनता पार्टी को इन राज्यों से ज्यादा से ज्यादा सीटें लोकसभा चुनाव में लाने की रणनीति पर चल रही है. अगले साल भी जिन राज्यों में चुनाव हैं, पार्टी उनकी तैयारियां कर रही है. उदाहरण के तौर पर तेलंगाना को देखा जाए तो जिन 60 लोगों की टीम उत्तर प्रदेश में काम कर रही थी, उन्हीं 60 लोगों को अब तेलंगाना में पार्टी ने तैनात कर दिया है. ताकि वह चुनाव के लिए पहले से प्लेटफार्म तैयार कर सकें.

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