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यूपी फतह करने के लिए बीजेपी की 'सेना' तैयार, जानिए क्यों है ये पीएम मोदी के खास

भाजपा ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए जिन नेताओं को प्रभारी बनाया है, इनमें कोई कभी फौज में कमीशंड ऑफिसर था तो किसी ने प्रशासनिक अधिकारी बनकर सरकार की सेवा की थी.

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Published : Sep 8, 2021, 8:55 PM IST

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लखनऊ : बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश के चुनाव प्रभारी और सह-प्रभारियों की नियुक्ति की है. यूपी की कमान केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को दी गई है. पूरे यूपी को 6 क्षेत्रों में बांटते हुए इनके प्रभारी भी नियुक्‍त किए गए हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि भाजपा ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए जिन नेताओं को प्रभारी बनाया है, उनका बैकग्राउंड कैसा रहा है. जो प्रभारी बनाए गए हैं, उनमें किसी के पिता मुख्यमंत्री थे और वह खुद क्रिकेटर रहा. किसी ने पति की मृत्यु के बाद सियासत में अपना झंडा बुलंद किया और खुद को साबित करके भाजपा में बड़ा मुकाम पाया. प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को सियासत अपने पिता से विरासत में मिली थी.

धर्मेंद्र प्रधान को विरासत में मिली सियासत
धर्मेंद्र प्रधान 14वीं लोकसभा में देवगढ़, ओडिशा से सांसद चुने गये थे. धर्मेंद्र प्रधान ओडिशा की 12वीं विधानसभा (2000-2004) में पल्ललहारा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे. वह एबीवीपी के सदस्य भी रहे हैं और पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. देबेन्द्र प्रधान के पुत्र हैं. प्रधान ने भारत में लंबे समय तक पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में काम किया. उन्हें 'उज्ज्वला मैन' के रूप में भी जाना जाता है. कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री के रूप में, प्रधान ने शिक्षित युवाओं और रोजगार योग्य कार्यबल की आवश्यकता के बीच की खाई को पाटने पर केंद्रित कई महत्वपूर्ण पहल की.

बीजेपी की 'सेना' तैयार
क्रिकेट प्रेमी और सीएम के पुत्र अनुराग ठाकुर
अनुराग ठाकुर क्रिकेट प्रेमी और क्रिकेटर रहे हैं. अनुराग 2009 के उपचुनाव एवं 2014 के आम चुनावों में हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे हैं. वे खेल एवं युवा मामलों के मंत्री हैं. इसके अलावा वे सूचना और प्रसारण मंत्री भी हैं.
अर्जुन राम मेघवाल कभी थे प्रशासनिक अधिकारी
अर्जुन राम मेघवाल वर्तमान में केंद्रीय भारी उद्योग राज्य मंत्री एवम् संसदीय कार्य मंत्री तथा पूर्व केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री एवम् पूर्व केंद्रीय जल संसाधन, गंगा विकास मंत्री हैं. लोक सभा के बीकानेर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं. वो प्रशासनिक सेवा छोड़ कर राजनीति में आए थे.
कैप्टन अभिमन्यु फौज छोड़ कर राजनीति में आए
कैप्टन अभिमन्यु ने 1987 में थल सेना ज्वाइन की और कमीशंड ऑफिसर के रूप में 7 मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री रेजीमेंट (1 डोगरा) में सेवा करने के लिये पांच मार्च 1988 को सेकेंड लेफ्टीनेंट के रूप में पास आउट हुए. उन्हें 1989 में विशेष सेवा पदक से सम्मानित किया गया. उन्होंने 1993 में अपनी सेना के पांच साल की लघु सेवा आयोग को पूरा किया. 1994 में उन्हें भारतीय भारतीय सिविल सेवा के लिए चुना गया था, लेकिन उन्होंने शामिल नहीं होने का फैसला किया.
सरोज पांडेय भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी रहीं
सरोज पांडेय भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष रह चुकी हैं. दुर्ग से लोकसभा सांसद रही हैं. छत्तीसगढ़ विधान सभा में वैशाली नगर से विधायक रह चुकी हैं. बीजेपी की राष्ट्रीय महासचिव सरोज पांडेय ने 2018 छत्तीसगढ़ में राज्यसभा की एकमात्र सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी लेखराम साहू को हरा दिया था.
जहां से इंदिरा जीती थीं, वहां से सांसद बनीं थीं शोभा
शोभा कारनदलाजे एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं. वो भारत की सोलहवीं लोकसभा में सांसद हैं. 2014 के चुनावों में इन्होंने कर्नाटक की उदुपी चिकमगलूर सीट से भारतीय जनता पार्टी की ओर से भाग लिया था. वह जीती थीं. यहीं से इंदिरा गांधी भी चुनाव जीती थीं.
पति की मौत के बाद संभाली सियासत की कमान
अन्नपूर्णा देवी एक कृषक परिवार से आती हैं. दुमका में उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा हुई. फिर पटना और रांची में अपनी शिक्षा पूरी की. साल 1993 में राजद नेता और पूर्व मंत्री रमेश प्रसाद यादव से अन्नपूर्णा देवी की शादी हुई. हालांकि 5 साल बाद ही उनके पति का निधन हो गया. बस यहीं से शुरू हुई इस घरेलू महिला की राजनीतिक यात्रा. पति के निधन के बाद साल 1998 में कोडरमा विधानसभा सीट पर उपचुनाव में जीत का परचम लहराते हुए संसदीय राजनीति में एंट्री ली. फिर लगातार 2014 तक कोडरमा का प्रतिनिधित्व करती रहीं. साल 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की नीरा यादव ने उन्हें शिकस्त दी. बदलते राजनीतिक हालात के अनुसार अन्नपूर्णा देवी भी बीजेपी में आ गई थीं.
विवेक सिंह हैं राज्यसभा सांसद
विवेक सिंह राज्यसभा सांसद हैं. वे भाजपा नेतृत्व के साथ संघ के भी बहुत नजदीक बताए जाते हैं. वो भाजपा और संघ के बीच सेतु का काम करते हैं.

लखनऊ : बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश के चुनाव प्रभारी और सह-प्रभारियों की नियुक्ति की है. यूपी की कमान केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को दी गई है. पूरे यूपी को 6 क्षेत्रों में बांटते हुए इनके प्रभारी भी नियुक्‍त किए गए हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि भाजपा ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए जिन नेताओं को प्रभारी बनाया है, उनका बैकग्राउंड कैसा रहा है. जो प्रभारी बनाए गए हैं, उनमें किसी के पिता मुख्यमंत्री थे और वह खुद क्रिकेटर रहा. किसी ने पति की मृत्यु के बाद सियासत में अपना झंडा बुलंद किया और खुद को साबित करके भाजपा में बड़ा मुकाम पाया. प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को सियासत अपने पिता से विरासत में मिली थी.

धर्मेंद्र प्रधान को विरासत में मिली सियासत
धर्मेंद्र प्रधान 14वीं लोकसभा में देवगढ़, ओडिशा से सांसद चुने गये थे. धर्मेंद्र प्रधान ओडिशा की 12वीं विधानसभा (2000-2004) में पल्ललहारा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे. वह एबीवीपी के सदस्य भी रहे हैं और पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. देबेन्द्र प्रधान के पुत्र हैं. प्रधान ने भारत में लंबे समय तक पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में काम किया. उन्हें 'उज्ज्वला मैन' के रूप में भी जाना जाता है. कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री के रूप में, प्रधान ने शिक्षित युवाओं और रोजगार योग्य कार्यबल की आवश्यकता के बीच की खाई को पाटने पर केंद्रित कई महत्वपूर्ण पहल की.

बीजेपी की 'सेना' तैयार
क्रिकेट प्रेमी और सीएम के पुत्र अनुराग ठाकुर
अनुराग ठाकुर क्रिकेट प्रेमी और क्रिकेटर रहे हैं. अनुराग 2009 के उपचुनाव एवं 2014 के आम चुनावों में हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे हैं. वे खेल एवं युवा मामलों के मंत्री हैं. इसके अलावा वे सूचना और प्रसारण मंत्री भी हैं.
अर्जुन राम मेघवाल कभी थे प्रशासनिक अधिकारी
अर्जुन राम मेघवाल वर्तमान में केंद्रीय भारी उद्योग राज्य मंत्री एवम् संसदीय कार्य मंत्री तथा पूर्व केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री एवम् पूर्व केंद्रीय जल संसाधन, गंगा विकास मंत्री हैं. लोक सभा के बीकानेर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं. वो प्रशासनिक सेवा छोड़ कर राजनीति में आए थे.
कैप्टन अभिमन्यु फौज छोड़ कर राजनीति में आए
कैप्टन अभिमन्यु ने 1987 में थल सेना ज्वाइन की और कमीशंड ऑफिसर के रूप में 7 मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री रेजीमेंट (1 डोगरा) में सेवा करने के लिये पांच मार्च 1988 को सेकेंड लेफ्टीनेंट के रूप में पास आउट हुए. उन्हें 1989 में विशेष सेवा पदक से सम्मानित किया गया. उन्होंने 1993 में अपनी सेना के पांच साल की लघु सेवा आयोग को पूरा किया. 1994 में उन्हें भारतीय भारतीय सिविल सेवा के लिए चुना गया था, लेकिन उन्होंने शामिल नहीं होने का फैसला किया.
सरोज पांडेय भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी रहीं
सरोज पांडेय भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष रह चुकी हैं. दुर्ग से लोकसभा सांसद रही हैं. छत्तीसगढ़ विधान सभा में वैशाली नगर से विधायक रह चुकी हैं. बीजेपी की राष्ट्रीय महासचिव सरोज पांडेय ने 2018 छत्तीसगढ़ में राज्यसभा की एकमात्र सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी लेखराम साहू को हरा दिया था.
जहां से इंदिरा जीती थीं, वहां से सांसद बनीं थीं शोभा
शोभा कारनदलाजे एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं. वो भारत की सोलहवीं लोकसभा में सांसद हैं. 2014 के चुनावों में इन्होंने कर्नाटक की उदुपी चिकमगलूर सीट से भारतीय जनता पार्टी की ओर से भाग लिया था. वह जीती थीं. यहीं से इंदिरा गांधी भी चुनाव जीती थीं.
पति की मौत के बाद संभाली सियासत की कमान
अन्नपूर्णा देवी एक कृषक परिवार से आती हैं. दुमका में उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा हुई. फिर पटना और रांची में अपनी शिक्षा पूरी की. साल 1993 में राजद नेता और पूर्व मंत्री रमेश प्रसाद यादव से अन्नपूर्णा देवी की शादी हुई. हालांकि 5 साल बाद ही उनके पति का निधन हो गया. बस यहीं से शुरू हुई इस घरेलू महिला की राजनीतिक यात्रा. पति के निधन के बाद साल 1998 में कोडरमा विधानसभा सीट पर उपचुनाव में जीत का परचम लहराते हुए संसदीय राजनीति में एंट्री ली. फिर लगातार 2014 तक कोडरमा का प्रतिनिधित्व करती रहीं. साल 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की नीरा यादव ने उन्हें शिकस्त दी. बदलते राजनीतिक हालात के अनुसार अन्नपूर्णा देवी भी बीजेपी में आ गई थीं.
विवेक सिंह हैं राज्यसभा सांसद
विवेक सिंह राज्यसभा सांसद हैं. वे भाजपा नेतृत्व के साथ संघ के भी बहुत नजदीक बताए जाते हैं. वो भाजपा और संघ के बीच सेतु का काम करते हैं.
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