नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने मंगलवार को पार्टी की ओर से नियुक्त विभिन्न राज्यों के केंद्रीय प्रभारियों के साथ बैठक (BJP state incharge meeting) की. बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव सहित अगले साल होने वाले विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर संगठन को मजबूत करने पर चर्चा की. नड्डा ने इस महीने की शुरुआत में पार्टी के केंद्रीय पदाधिकारियों व प्रमुख नेताओं को राज्यों और संघशासित प्रदेशों का प्रभार सौंपा था. प्रभारियों के साथ यह उनकी पहली बैठक थी. बैठक में नड्डा के अलावा भाजपा के संगठन महासचिव बी. एल. संतोष भी मौजूद थे.
सूत्रों ने बताया कि बैठक में संगठन को मजबूत करने और 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर व्यापक चर्चा की गई. उन्होंने बताया कि अगले साल जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां के बारे में विशेष रूप से मंथन किया गया. बैठक में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देब, भाजपा महासचिव अरुण सिंह, विनोद तावड़े, तरुण चुग और सुनील बंसल भी मौजूद थे.
इस साल के अंत तक हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं. इन दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं. हिमाचल में जहां उसके सामने सत्ता बचाए रखने की चुनौती है, वहीं गुजरात में उसके समक्ष अपना गढ़ संभाले रखने की चुनौती है. अगले साल मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम में चुनाव होने हैं. मध्य प्रदेश, कर्नाटक, त्रिपुरा में जहां भाजपा की सरकार है, वहीं तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्र समिति की सरकार है. राजस्थान और छत्तीसगढ़ दो राज्य ऐसे हैं, जहां कांग्रेस की अपने बूते सरकार है.
नड्डा ने नौ सितंबर को पूर्व मुख्यमंत्रियों और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों समेत कई वरिष्ठ नेताओं को संगठनात्मक कार्य के लिए विभिन्न प्रदेशों में पार्टी मामलों का प्रभारी नियुक्त किया था. नवनियुक्त प्रभारियों में रूपाणी और देब के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और महेश शर्मा के नाम शामिल हैं. भाजपा ने तावड़े को बिहार का नया प्रभारी और बिहार के पूर्व मंत्री मंगल पांडे को पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाया था. रूपाणी को पंजाब और चंडीगढ़ की जिम्मेदारी दी गई थी, जबकि देब को हरियाणा का प्रभारी नियुक्त किया गया था. जावड़ेकर को केरल का प्रभारी बनाया गया था, जबकि अरुण सिंह को राजस्थान की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. लंबे समय तक पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई में संगठन महामंत्री की भूमिका निभाने वाले बंसल को पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और ओड़िशा में पार्टी का कामकाज देखने का दायित्व सौंपा गया था.