कानपुर : चिड़ियाघर में मृत पाए गए पक्षियों के नमूनों के जांच के बाद बर्ड फ्लू की पुष्टि होने पर कानपुर चिड़ियाघर को 15 दिनों के लिए बंद कर दिया गया है. चिड़ियाघर परिसर में 6 जनवरी को चार पक्षी मृत पाए गए थे, जिसके बाद नमूनों को उच्च सुरक्षा के बीच भोपाल में पशु रोग प्रयोगशाला में भेजा गया था. वहीं, शनिवार को आई रिपोर्ट में मृत पंक्षियों में एच -5 स्ट्रेन बर्ड फ्लू की मौजूदगी की पुष्टि हुई.
चिड़ियाघर के निदेशक डॉ. सुनील चौधरी ने कहा कि आगंतुकों के लिए चिड़ियाघर को 15 दिनों के लिए बंद कर दिया गया है. जिस अस्पताल में संक्रमित पक्षियों को रखा गया था, उसे भी बंद कर दिया गया है.
मात्र पांच दिन की अवधि में ही चिड़ियाघर में चार पंक्षी और दो तोते मृत पाए गए थे, जिससे वन अधिकारी सचेत हो गए. कानपुर में जिला प्रशासन ने सभी पोल्ट्री फार्मों को संक्रमण से मुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और मीट की दुकानों का निरीक्षण करने के लिए टीमों का गठन किया गया है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अनिल कुमार मिश्रा ने कहा कि बर्ड फ्लू के लिए सावधानियां कोविड के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल के समान हैं.
उन्होंने कहा कि कोविड से भी अधिक खतरनाक इस वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने में मास्क, सामाजिक दूरी और स्वच्छता मदद करेगा. मुख्य पशु चिकित्साधिकारी आरपी मिश्रा ने कहा कि जिले के सभी पोल्ट्री फार्मों पर मांस और अंडों की बिक्री के आउटलेट पर लगातार सतर्कता बरती जा रही है. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आर बी कमल ने कहा कि कानपुर में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद अस्पताल के कर्मचारियों को अलर्ट पर रखा गया है.
वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जिलों में निर्देश जारी किए हैं और जिला मजिस्ट्रेटों को यह देखने के लिए कहा है कि अन्य प्रभावित राज्यों के पोल्ट्री उत्पाद राज्य में प्रवेश न करें. सरकार के निर्देश में कहा गया है कि, मुर्गी और अंडे को खुले वाहनों में नहीं ले जाया जाना चाहिए और मुर्गी बेचने वाले बाजार सप्ताह में एक बार बंद होने चाहिए. राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सभी जिलाधिकारियों को निर्देश है कि संक्रमित राज्यों के पोल्ट्री उत्पाद उत्तर प्रदेश की सीमा के भीतर नहीं आने चाहिए. यदि ऐसा है तो तुरंत इसे रोकें और संबंधित अधिकारी को सूचित करें.
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इसके साथ-साथ कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा ने भी एडवाइजरी जारी की है. जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया कि पोल्ट्री उत्पादों के साथ-साथ खुदरा और थोक बाजारों की एक सूची बनाई जानी चाहिए, जहां भारत सरकार के मानकों के अनुसार स्वच्छता पर निर्देश जारी किए जाने चाहिए. इसके अलावा सलाहकार ने अधिकारियों को ऐसे अभयारण्यों और जल निकायों की एक और सूची बनाने के लिए कहा है, जहां विदेशों से आने वाले पक्षियों के साथ-साथ जंगली पक्षियों को देखा जाता है. उन्होंने कहा, इन स्थानों में संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक जैव सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि रैपिड रिस्पॉन्स टीम बनाई जानी चाहिए, जो कि निदेशालय, पशुपालन विभाग को प्रतिदिन की समीक्षा और रिपोर्ट भेज सकें. उन्होंने प्रत्येक जिले में नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का भी निर्देश दिया, जहां लोग पक्षियों की अप्राकृतिक मौतों के मामले के बारे में सूचित करें. निर्देश में आगे कहा गया है, बर्ड फ्लू से निपटने के लिए जिला मजिस्ट्रेटों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि पर्याप्त पीपीई किट और फेस मास्क के साथ-साथ दवाइयां भी उपलब्ध हों. मृत पक्षी को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिसीज, भोपाल में परीक्षण के लिए भेजा जाना चाहिए.
मध्य प्रदेश में भी बढ़ रहा खतरा
वहीं, मध्य प्रदेश में बर्ड फ्लू का दायरा तेजी से बढ़ रहा है. अब तक 13 जिलों में हुई कौओं की मौत की वजह बर्ड फ्लू पाई गई है. इसी क्रम में आगर मालवा जिले के कुक्कुट बाजार को आगामी सात दिनों के लिए एहतियातन बंद कर दिया गया है. बताया गया है कि प्रदेश में अब तक 13 जिलों- इंदौर, मंदसौर, आगर, नीमच, देवास, उज्जैन, खंडवा, खरगोन, गुना, शिवपुरी, राजगढ़, शाजापुर, विदिशा में कौओ में बर्डफ्लू रोग की पुष्टि हो चुकी है. अब तक 27 जिलों से लगभग 1100 कौओं एव जंगली पक्षियों की मृत्यु की सूचना प्राप्त हुई है. प्रदेश के विभिन्न जिलों से 32 सैंपल राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा रोग अनुसंधान प्रयोगशाला भोपाल को जांच के लिए भेजा गया है.