जैसलमेर : राजस्थान के जैसलमेर जिले में पिछले तीन वर्षों में छह राजकीय पक्षी गोडावण की हाईटेंशन तारों से टकराने से मौत हुई है. ऐसे में उनको बचाने के लिए एक बार फिर जिले में बर्ड डायवर्टर लगाए जा रहे हैं.
जैसलमेर के चाचा-खेतोलाई गांव के बीच गोडावण का रहवासी क्षेत्र है. इस क्षेत्र में हाईटेंशन लाइन होने से गोडावण उड़ान भरते समय तारों की चपेट में आ जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है.
इसके लिए वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी की ओर से खेतोलाइ-चाचा गांव के बीच करीब 6.5 किलोमीटर क्षेत्र में हाईटेंशन तारों पर 1842 बर्ड डायवर्टर लगाए गए हैं, ताकि इन तारों से गोडावण पक्षी को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके.
उपवन संरक्षक कपिल चंद्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले तीन वर्षों में छह गोडावण पक्षी की मौत इन तारों की चपेट में आने से हुई है. चाचा-खेतोलाई क्षेत्र के बीच हाल ही में दो गोडावण की मौत इन तारों से टकराने से हुई है. इसके बाद संस्था की ओर से बर्ड डायवर्टर लगाए हैं.
उन्होंने बताया कि गोडावण का वजन ज्यादा होता है और उनके सामने देखने की क्षमता कम होती है, ऐसे में हवा में उड़ते वक्त अचानक तार सामने आने पर वह मूवमेंट नहीं कर पाते और तारों से टकरा जाते हैं.
डीएफओ अनूप केआर ने की थी पहल
करीब चार साल पहले तत्कालीन डीएफओ अनूप केआर ने बर्ड डायवर्टर लगाने की पहल की थी और विदेश से विशेष प्रकार के बर्ड डायवर्टर सैंपल के तौर पर मंगवाए गए थे. जैसलमेर के सलखा, रामदेवरा और रासला क्षेत्र गोडावण के पसंदीदा क्षेत्र हैं, ऐसे में इन जगहों पर हाईटेंशन लाइन भी गोडावण की मौत का कारण बन रही है.
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हालांकि, इन जगहों पर सैंपल के तौर पर तारों पर डायवर्टर लगाए गए हैं, लेकिन वृहद स्तर पर इस बार चाचा-खेतोलाई गांव के बीच बर्ड डायवर्टर लगाए जा रहे हैं.
गौरतलब है कि 23 दिसंबर को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की ओर से हाईटेंशन लाइनों पर चार महीनों में बर्ड डायवर्टर लगाने के साथ ही नए प्रोजेक्ट के लिए निजी कंपनियों को भूमिगत केबल करवाने की शर्त रखी गई है. राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने यह कदम हाईटेंशन तारों से गोडावण की हो रही मौत को लेकर उठाया.